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SURINDER KUMAR : कभी साइकिल पर बेचा करते थे फल, आज 12 देशों में फैले कारोबार से कमाते हैं करोड़ों रुपये

ज़िन्दगी की कठनाइयों से भाग जाना आसान होता है,
जिंदगी में हर पहलू इम्तेहान होता है,
डरने वालो को नही मिलता कुछ ज़िन्दगी में,
लड़ने वालों के कदमो में जहांन होता है.

SURINDER KUMAR SUCCESS STORY : आज की सक्सेस स्टोरी एक ऐसे दिलचस्प किसान की है जो किसी समय में साइकिल पर टोकरी बांधकर गली-गली घूमकर फल बेचा करता था लेकिन आज इनकी मेहनत के दम पर इन्होंने अपने फलो के बिजनेस को दुनिया भर के 12 देशों में फैला लिया है.

आपको यह बात जानकर और भी अधिक हैरानी होगी कि इन्होंने सिर्फ़ प्राथमिक विद्यालय तक की ही पढ़ाई पूरी की, उसके बाद ग़रीबी की वजह से चंद पैसों से फल बेचने के धंधे की शुरुआत की और आज वे देश के सबसे सफल किसानों में से एक हैं.

हमारा देश एक ऐसा देश है जहाँ पर हर साल हजारों की तादात में किसान क़र्ज़े के बोझ तले दबकर आत्महत्या कर लेते हैं और हमारे यहाँ की भावी युवा पीढ़ी खेती-बाड़ी को हीन भावना से देखती है, आज की यह कहानी उन तमाम लोगों के लिए प्रेरक साबित होगी जो या तो खेती-किसानी को हीन भावना से देखते है या फिर जो किसानो के काम को छोटा समझते है.

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SURINDER KUMAR का जन्म ओर बचपन का संघर्ष

आज हम बात कर रहे हैं पंजाब राज्य के अबोहर के निवासी सुरिंदर कुमार (SURINDER KUMAR) की सफलता के बारे में. सुरिंदर कुमार का जन्म एक बेहद ही गरीब परिवार में हुआ था ओर इनका लालन-पालन भी अभावों के बीच ही हुआ. सुरिंदर कुमार ने अपने गांव के ही सरकारी स्कूल से शुरुआती पढ़ाई पूरी की ओर उसके बाद फल बेचने का काम करना शुरू कर दिया.

सुरिंदर ने यह काम साल 1997 से शुरू कर दिया. इस फलो के काम के लिए वे किसानों या मंडी से पहले तो किन्नू खरीदकर लाते और उसके बाद उसे गली-गली उसे बेचा करते. कई सालों तक यही सिलसिला लगातार चलता रहा.

कुछ सालो तक काम करने के बाद सुरिंदर को अपने इस फल बेचने के बिज़नेस में अपार सभावनाओं का अहसास हुआ. फिर उन्होंने एक कदम आगे बढ़ाते हुए बाज़ार में फल की एक स्टाल लगा ली. इनके द्वारा लगाई गई फल की दुकान भी चल निकली.

फल की दुकान के कामयाबी से उत्साहित होकर सुरिंदर कुमार ने अपने बिज़नेस के दायरे को बढ़ाने के बारे में सोचा लेकिन इनके सामने पूँजी की कमी सबसे बड़ी समस्या के रूप में थी.

सुरिंदर ने इसके लिए कुछ पैसे लोन पर लेकर पंजाब की फल मंडी में एक होलसेल दूकान खोल ली. उनका यह सफर उनके लिए बिल्कुल भी आसान नही रहा बल्कि उन्हें हर कदम चुनौती का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी.

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SURINDER KUMAR

विदेशों में फैला है इनके फलो का कारोबार

अपने फल के कारोबार को बड़ा करने के लिए सुरिंदर के दिमाग में एक दिन एक अनोखा आइडिया आया. उन्होंने अपने आइडिया पर काम करते हुए पंजाब के आस-पास के शहरों की मंडियों में किन्नू भेजने शुरू कर दिए. इनका यह आइडिया इनके लिए बेहद कारगर साबित हुआ और इससे उन्हें काफी मुनाफा भी हुआ.

शुरूआती सफलता के बाद इन्होंने भारत से बाहर विदेश में भी अपना कारोबार फैलाने की सोची. आज दुबई, बांग्लादेश, ब्राजील, यूक्रेन जैसे कई देशों में उनका कारोबार फैला हुआ है.

अपनी सफलता के बारे में बात करते हुए सुरिंदर बतातें हैं कि वैसे तो किन्नू का सीजन केवल साढ़े तीन महीने का होता है, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कारोबार को बढ़िया तरीके से चलाने के लिए खुद ही करोड़ों रुपये की लागत से पैक हाउस व कोल्ड स्टोर विकसित किए है ताकि वे इन्हें ख़राब होने से बचा सके.

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करोड़ों में है फलो का टर्नओवर

आज सुरिंदर कुमार के पास 40-40 लाख की चार एसी ट्रक भी है. सुरिंदर इन ट्रको का इस्तेमाल करते हुए ऑफ सीजन में किन्नू दक्षिण भारत में बेचते हैं. वर्तमान समय में सुरिंदर के फल कारोबार का सालाना टर्नओवर करोड़ों में है.

इतना ही नहीं आज सुरिंदर स्वयं के साथ-साथ करीब 400 लोगों को भी रोजगार मुहैया करा रहे है. सुरिंदर ने भारत जैसे कृषि प्रधान देश में सफलता प्राप्त करते हुए अन्य किसान भाइयों के सामने मिसाल पेश की है.

कुछ वर्षों पहले ही इन्होंने कैरेट बनाने की फैक्टरी भी खोली है. ताकि फलों व अन्य सामान को बढ़िया तरीके से बाहर भेज सके. आज सुरिंदर की पहचान एक सफल किसान ओर व्यापारी के रूप में होती हैं. हालांकि उनका यहाँ तक पहचने का यह सफर चुनौती भरा रहा, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने परिस्थितियों के सामने कभी भी हार नहीं मानी. उल्टा इनके रास्ते में आने वाली हर मुश्किल उन्हें उनकी मंजिल के और करीब ले गई.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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