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AMBARISH MITRA : स्लम से डॉलर तक का सफर, जाने कैसे उन्होंने बनाया अपने सपनो का ताजमहल

“मेहनत के दम पर पत्थर को पिघला कर मोम बनाया जा सकता है,जरुरी है तो जज्बा कुछ कर गुजरने का”

AMBARISH MITRA SUCCESS STORY : कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है आज के हमारे पात्र अम्ब्रीश मित्रा (AMBARISH MITRA) जिन्होंने फर्श से अर्श का सफर तय किया और अपनी मेहनत और जूनून के बलबूते पर सफलता के शिखर को छुआ.

AMBARISH MITRA का बचपन ओर ग़रीबी

अम्ब्रीश का जन्म धनबाद, झारखण्ड में एक निर्धन परिवार में हुआ था जहा आर्थिक तंगी का आलम इतना था की कभी कभी दो वक़्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी, ऐसे अभावो में रहते हुए भी उनके पिता का सपना उन्हें इंजीनियर बनाने का था जिससे वे अपना और परिवार का नाम रोशन करते हुए इस आर्थिक तंगी से निजात दिला सके.

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TECHNOLOGY जानने का शौक

लेकिन कुदरत को तो कुछ और ही मंजूर था सो अम्ब्रीश का कभी भी अपनी पढाई में मन नहीं लगता था ना ही उन्हें पढ़ने में कोई दिलचस्पी थी फिर भी फ़ैल-पास होते उन्होंने अपनी शिक्षा पूर्ण की लेकिन हां उन्हें कंप्यूटर और नयी टेक्नोलॉजी जानने का बड़ा शौक था.

अपने कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी के इंटरेस्ट की वजह से वे कई बार सपना देखा करते की क्या इसी फील्ड में करियर बनाया जा सकता है मेरे लिए इसमें कुछ है या में इसमें कुछ कर सकता हु क्या ना जाने कितने सवाल उनके मन में घूमते रहते थे.

इसी कारण पिता द्वारा आगे पढाई का प्रेशर बनाये जाने पर मात्र 15 वर्ष की आयु में घर छोड़ कर भाग कर दिल्ली आ गए. इतनी छोटी उम्र में गांव का बालक बड़े शहर में कहा रहता क्या करता कैसे कमाता या फिर क्या खाता इसी कश्मकश में उन्होंने दिल्ली की झोपड़-पट्टी की झुग्गियों में रहते हुए अखबार बेचकर अपना गुजारा किया.

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अख़बार में आए विज्ञापन ने बदली ज़िंदगी

इसी तरह से दिन गुजरते हुए एक दिन यु ही अखबार बेचते हुए उनकी नज़र एक विज्ञापन पर गयी जिसमे लिखा था “एक बिज़नेस आईडिया की जरुरत है, सबसे अच्छे बिज़नेस आईडिया देने वाले को 5 लाख का इनाम दिया जायेगा” बस फिर क्या था अम्ब्रीश के मन में सपने और नए बिज़नेस आईडिया उमड़ने लगे.

फिर क्या था अम्ब्रीश पहुंच गए विज्ञापन वाले के दफ्तर और वहा जाकर ‘महिलाओ के लिए फ्री इंटरनेट कनेक्शन’ का आईडिया दिया जो काफी पसंद भी आया और उन्हें इनाम के तौर पर 5 लाख की राशि दी गयी.

इन पैसो को पाकर अम्ब्रीश ने अपना नया बिज़नेस सेटअप स्टार्ट किया जिसमे उन्होंने ‘वीमेन इन्फोलाइन’ कंपनी खोली, लेकिन उनका यह आईडिया फ्लॉप साबित हुआ जिसका की उन्हें नुक्सान उठाना पड़ा फिर कुछ नए की तलाश में वे दिल्ली से लंदन चले गए और वह जाकर अपने गुजारे के लिए एक इंश्योरेंस कंपनी ज्वाइन कर ली.

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जब लगी शराब की बुरी लत

लेकिन यहाँ पर उन्हें वहां के चकाचौध की हवा लग गयी और उन्हें एक बुरी लत शराब पीने की हो गयी वे अक्सर अपना टाइम पब में ही बिताने लगे एक दिन ऐसे ही अपने दोस्त ‘उमर तैयब’ के साथ शराब का आखिरी पेग लेते हुए उन्होंने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाल कर टेबल पर रखते हुए बोला की कितना अच्छा हो की टेबल पर रखे नोटों से यहाँ की रानी ‘महारानी एलिजाबेथ’ बाहर निकल कर आ जाए उनके दोस्त में मजाक मजाक में उनकी फोटो लेकर महारानी की पिक्चर के साथ ‘सुपरइम्पोस’ कर दिया.

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जब आया मोबाइल एप्प बनाने का विचार

बस यही से उन्हें एक ऐसे ऐप्प को बनाने का आईडिया मिला जो की स्मार्टफोन में “ऑगमेंटेड रियलिटी” बेस्ड होगी उसका नाम “ब्लिपर” (blippar) रखा. इसकी शुरुआत उन्होंने वर्ष 2011 में की थी उनके इस आईडिया ने पूरी दुनिया में तहलका मकहते हुए सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री को एक नयी दिशा और सोच प्रदान की इनका यह आईडिया लगभग 170 से अधिक देशो में अपनी पहचान बना चूका है. 

इसके साथ ही अम्ब्रीश ने सफलता की और बढ़ते हुए कई सारे टॉप ब्रांड्स नेस्ले, जगुआर और यूनिलीवर के साथ भी टाई -अप किया जिससे कंपनी का टर्न ओवर 10 हज़ार करोड़ से ऊपर का है.

अंत में जाते-जाते अम्ब्रीश मित्रा की यह प्रेरणादायक कहानी “स्लमडॉग मिलेनियर” फिल्म की याद दिलाती है जहा पर नायक अपने ऊपर पूरा भरोसा रखते हुए सब कुछ हासिल कर सकता है.

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