“जो व्यक्ति अपने आप से ईमानदार होता है, उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता”
SHIV NADAR SUCCESS STORY : जब कभी भी हमारे देश के सफल उद्यमियों का नाम लिया जाता है तो उसमें कुछ बिजनेस हाऊस के साथ ही प्रमुखता से हिंदुस्तान कम्प्यूटर्स लिमिटेड (HCL) के संस्थापक शिव नाडर (SHIV NADAR) का नाम भी लिया जाता है.
Гलक्ष्य तय करने के लिए सपने देखें, क्योंकि अगर आप सपने ही नहीं देखेंगे तो जीवन में आपका कोई लक्ष्य ही नहीं होगा और बिना लक्ष्य के कोई सफलता पाई ही नही जा सकती.’ इस कथन को हक़ीक़त में बदला है एक बेहद ही साधारण परिवार में जन्में शिव नाडर ने. अपने कुशल नेतृत्व और सही वक्त पर सही निर्णय लेने की क्षमता ने कैसे इस साधारण से व्यक्ति को देश के सबसे शीर्ष उद्योगपतियों की सूची में शामिल कर दिया.
SHIV NADAR का जन्म ओर शिक्षा (Education)
तमिलनाडु राज्य के थूठुकुडि जिले के मूलाइपुजहि गांव में जन्में शिव नाडर ने टाउन हायर सेकेंडरी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की ओर उसके बाद ‘द अमेरिकन कॉलेज, मदुरै’ से प्री-यूनिवर्सिटी डिग्री हासिल की. इसके बाद इन्होंने कोयंबटूर के पीइसजी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की डिग्री भी हासिल की.
Ðएक मध्यवर्गीय परिवार में जन्म लेने वाले शिव नाडर के लिए सफलता प्राप्त करने का यह सफ़र बिल्कुल भी आसान नहीं था. उन्होंने पुणे में स्थित कुपर इंजिनियरिंग से अपने करियर की शुरुआत की. परंतु वह इस जॉब से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं थे क्योकिं वह शुरू से ही अपना कुछ करना चाहते थे.
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कैंटीन की बातचीत से कंपनी की शुरुआत
साल 1976 में दिल्ली क्लोथ मिल्स में लंच के दौरान कैंटीन में शिव नाडर ने ऐसे ही बातों-बातों में अपने कुछ युवा साथियों के साथ मिलकर नौकरी छोड़ अपनी खुद की कंपनी शुरू करने के बारे में विचार बनाया.
Ðशिव नाडर ने इस बातचीत के दौरान यह तय किया कि वो सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाएंगे. अपने आइडिया को हक़ीक़त का रूप देने के लिए उन्होंने नौकरी को अलविदा कहते हुए माइक्रोकॉम्प लिमिटेड नामक एक कंपनी की शुरुआत की और उसे बाद में टेलीडिजिटल कैलकुलेटर को बेच दिया.
इस सौदे से मिले पैसे से उन्होंने साल 1982 में एच.सी.एल (HCL) की स्थापना करते हुए अपना पहला कम्प्यूटर पिसी बाजार में उतारा.
IBM के बंद होने का मिला फ़ायदा
Ðशिव नाडर को उस समय इस बात का भी बहुत फ़ायदा मिला की आई. बी. एम. ने अपनी कम्प्यूटर सेवा उसी समय भारत में बंद कर दी थी. शिव नाडर ने तुरंत ही इस अवसर के लाभ को पहचाना ओर IBM के भारत से जाने के कारण बाज़ार में पैदा हुए खालीपन को भरने का लाभ एच.सी.एल. (HCL) को मिला. और उसके बाद तो शिव नाडर ने अपने जीवन में कभी भी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.
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पाँच कंपनियो को किया समाहित
जल्दी ही शिव नाडर ने अपने आईटी व्यवसाय में पांच कंपनियां- एचसीएल टेक्नोलॉजीज (ग्लोबल आईटी सर्विस कंपनी), एचसीएल कॉमनेट (नेटवर्क सर्विसेज कंपनी), एचसीएल इंफोसिस्टम्स (इंडियन आईटी हार्डवेयर लीडर), एचसीएल पेरॉट (आईटी एप्लीकेशंस) और एनआईआईटी (एजुकेशन सर्विसेज) को भी समाहित कर लिया.
Ðसाल 1989 में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए शिव नाडर ने अमेरिकी कंप्यूटर हार्डवेयर मार्केट में भी अपने हाथ आज़माए. हालांकि उनकी यह कोशिश पूरी तरह से असफल रही और कंपनी ने साल 1991 में अपने आप को पीसी व्यवसाय से बाहर कर लिया.
सामाजिक उत्थान में है महत्वपूर्ण योगदान
इसके बाद सामाजिक सेवा में जुड़ते हुए शिव नाडर ने कई मेडिकल क्लिनिक, विद्यालय और विश्वविद्यालय खोले जहाँ पर कम से कम खर्च में विश्वस्तरीय सुविधा दी जाती है. शिव नाडर अपनी निजी संपत्ति से अरबों रुपए का दान करते हैं और ग्रामीण क्षेत्रो के विकास में भी उन्होंने अपना अहम योगदान दिया है.
Ðपद्मश्री और कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित शिव नाडर 13.2 अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति के साथ देश के दस सबसे अमीर व्यक्ति में से एक है. वर्तमान में एच.सी.एल टेक्नोलॉजी की मार्केट वैल्यू 18.7 बिलियन डॉलर अर्थात 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक है.
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मार्केट में बना रखी है अपनी छवि
पिछले कुछ दशको में तकनीकि कम्पनियों की आई बाढ़ के बावजूद भी आज अगर एच.सी.एल. (HCL) स्वयं की उत्कृष्टता को बनाए रख पाया है तो उसमें शिव नाडर के उत्तम नेतृत्व का ही परिणाम है. शिव नादर कहते हैं कि
Гमैं नेतृत्व के अवसर नहीं देता, बल्कि उन लोगों पर निगाह रखता हूं, जो कमान संभाल सकते हैं.”
एक साधारण व्यक्ति से दुनिया के नामचीन बिजनेसमें बनने तक का असाधारण सफ़र तय करने वाले शिव नाडर की सफलता से हमारे देश के युवाओं को काफी कुछ सीखने को मिलता है. पहली बात जो सीखने को मिलती है वो यह कि जिंदगी में कुछ बड़ा करने के लिए रिस्क तो लेना ही होगा और दूसरी बात यह कि अपने आइडिया के साथ बिना थके-बिना रुके आगे बढ़ने से एक न एक दिन सफलता अवश्य ही मिलेगी.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…