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IAS VIPIN GARG SUCCESS STORY : कोटा के रहने वाले विपिन गर्ग (IAS VIPIN GARG) ने सिविल सर्विसेज एग्जाम में ऑल इंडिया 20वीं रैंक हासिल की है. इन्हे यह सफलता अपने तीसरे प्रयास में मिली है. इससे पहले दो बार इनके द्वारा मेन्स क्वालिफाई करने के बावजूद वे हर बार इंटरव्यू पास नहीं कर पाते थे.
ऐसा नहीं है की उन्हे यूपीएससी मे ही पहली बार असफलता प्राप्त हुई हो बल्कि असफलताओं के साथ तो उनका शुरुआत से ही नाता रहा है, लेकिन हर बार उन्होंने इसे एक अवसर के रूप मे लिया और आज देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा मे टॉप करके दिखाया.
IAS VIPIN GARG की EDUCATION
विपिन गर्ग का जन्म सहायक निदेशक कॉलेज शिक्षा डॉ. एसएन गर्ग के घर हुआ था. इन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा सवाई माधोपुर से ही पूर्ण की, ओर संवाई माधोपुर के आदर्श विद्या मंदिर से इनके दसवीं कक्षा पास करने के बाद इनके पिता डॉ. गर्ग वर्ष 2005 में अपने इन्हे लेकर कोटा आ गए थे. डॉ. गर्ग का ख्वाब था की उनका बेटा आईआईटीयंस बने.
विपिन गर्ग का भी उस समय यही सपना था इसलिए उनके पिता ने उन्हे कोचिंग में पढ़ाने के लिए उन्होंने प्रवेश परीक्षा दिलवाई, लेकिन विपिन गर्ग उस परीक्षा को पास नहीं कर सके. इसके बाद मे उनका ग्यारहवीं में दाखिला कराया गया, लेकिन स्कूल टीचर्स ने उन्हे गणित विषय देने से मना कर दिया. अपने देखे हुए ख्वाब को इस प्रकार टूटता देख बेटे की तो छोडि़ए उनके शिक्षक पिता भी उस समय अवसाद से घिर गए.
हताशा से पिता चले गए अवसाद मे
विपिन की असफलता से डॉ. गर्ग इतने ज्यादा अवसाद मे चले गए कि वे कई-कई घंटे तलवंडी की सड़कों पर यूं ही घूमते रहते. हालांकि असफलता के इस किस्से को पीछे छोड़ते हुए इधर विपिन जूलॉजी और बॉटनी पढऩे में खो गए. इस दौरान भी उन्होंने अपने घर पर गणित की पढ़ाई करना नहीं छोड़ा.
अपने बारहवीं की परीक्षा के साथ ही विपिन ने इस बार मेडिकल एंट्रेस एग्जाम दिया और पहली बार में ही उन्होंने इसे क्वालिफाई भी कर लिया, लेकिन कम उम्र (17 साल) होने के कारण इन्हे मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं मिल सका. हालांकि डॉ. गर्ग ने एमसीआई के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती भी दी, लेकिन फिर भी उन्हे कोई सफलता हासिल नहीं हुई.
टेक्सी वाले के साथ घटित घटना ने बदली जिंदगी
विपिन गर्ग के पिता कहते है कि विपिन की जिंदगी में तब एक नया टर्निंग पॉइंट आया जब एक ऑटो ड्राईवर के साथ हुई छोटी सी घटना ने विपिन की जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया. वे बताते हैं कि एक दिन विपिन जब घर से ट्यूशन पढ़ने के लिए एक ऑटो से जा रहा था तो रास्ते में ही उसकी जेब में रखा हुआ 100 रूपये का नोट ऑटो में ही गिर गया.
ट्यूशन पहुचने पर जब विपिन उस ऑटो से उतरा तो उसके पास पैसे नहीं थे जिस पर ऑटो वाले ने उस वक्त उनसे किराया नहीं लिया और चला गया. परन्तु कुछ ही समय बाद वह ऑटो ड्राईवर फिर से उनके पास आया और ऑटो मे घिरे हुए रुपये वापस करने लगा.
इस घटना ने विपिन के मन को हिला कर रख दिया ओर उन्हे यह शिक्षा मिली कि “व्यक्ति के द्वारा की हुई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती और उसे मेहनत का फल कभी न कभी अवश्य मिलता है.” इस घटना के बाद विपिन के जीवन में एक नयी ऊर्जा भर गई.
IAS VIPIN GARG KI सफलता की कहानी
इस नई ऊर्जा के साथ विपिन को वर्ष 2009 में राजस्थान मेडिकल प्रवेश परीक्षा में द्वीतीय स्थान मिला, साथ ही उन्हे एम्स में 17वां स्थान ओर आल इंडिया पीएमटी में 22वां स्थान प्राप्त हुआ. विपिन ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा भी इस दौरान ही उत्तीर्ण की और आईआईटी दिल्ली में प्रवेश लेकर 02 माह तक पढ़ाई भी की.
परन्तु इसके बाद विपिन अपनी बड़ी बहन डॉ कल्पना अग्रवाल से बहुत ज्यादा प्रभावित हो गए ओर वे भी मेडिकल की तरफ मुड़ गए और एम्स के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश ले लिया. विपिन गर्ग ने एम्स से एमबीबीएस तो पूर्ण कर ली किन्तु इसके पश्चात इनका रुझान आईएएस बनने की तरफ चला गया.
आईएएस की परीक्षा में भी इन्हे दो बार इंटरव्यू मे सिलेक्शन न होने के कारण वापस तैयारी करनी पड़ी किन्तु इसके बावजूद भी इन्होंने हार नहीं मानी और अंततः अपने तीसरे प्रयास में विपिन ने पूरे देश में 20 वां स्थान हासिल किया.
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तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…