“शानदार जीत के लिए, बहुत मेहनत करनी पड़ती है।”
Success Story Of IAS Nandini Maharaj : यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा को विश्व की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है ओर कहा जाता है कि इस परीक्षा की तैयारी के लिए हर दिन 10 से 12 घंटे तक पढ़ाई करनी पड़ती है उसके बाद भी इस परीक्षा में पास होने की कोई गारंटी नही है.
किंतु कुछ स्टूडेंट ऐसे होते है जो जॉब के साथ-साथ इस परीक्षा की तैयारी करते है ओर न सिर्फ़ इस परीक्षा को पास करते है बल्कि इसमें टॉप भी करते है.
नंदिनी महाराज (IAS NANDINI MAHARAJ) भी उन कैंडिडेट्स में से एक हैं जिनके पास समय को मैनेज करने की जादूई ताकत होती है.
जहां एक ओर कुछ कैंडिडेट केवल यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करते है फिर भी उसे क्रैक नहीं कर पाते है वहीं नंदिनी ने न केवल परीक्षा की तैयारी कर की बल्कि तैयारी के साथ में एक कोचिंग संस्थान में पढ़ा भी रही थी और उसी के साथ अपनी हॉबी डांसिंग के लिए भी हर दिन वक्त निकालती थी.
नंदिनी अपनी यूपीएससी की तैयारी के बारे में कहती हैं कि वे तैयारी करने के लिए घंटों किताबें लेकर नहीं बैठती थी परंतु जो भी पढ़ती थी उसे पूरा ध्यान लगाकर पढ़ती थी.
यही एकमात्र वजह थी कि नंदिनी महाराज ने नौकरी करने के साथ ही हॉबी के लिए समय निकालने के बाद भी यूपीएससी की तैयारी करने के लिए पढ़ाई करने के लिए समय निकाल लेती थी. आज की स्टोरी में जानते है कैसे नंदिनी ने इतना सब-कुछ एक साथ में मैनेज किया.
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IAS NANDINI MAHARAJ की शिक्षा (Education) ओर रुचि (Interest)
नंदिनी महाराज अपने बचपन से ही पढ़ाई में हमेशा से अच्छी थी और बचपन से ही हर क्लास में उनके अंक अच्छे आते थे. उनका कलास दस में सीपीजीए 9.6 था ओर उन्होंने क्लास बारहवीं 89 प्रतिशत अंकों के साथ पास की थी.
बारहवीं कक्षा की पढ़ाई के बाद इन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए लेडी श्रीराम कॉलेज में एडमिशन लिया ओर हिस्ट्री में बीए ऑनर्स की डिग्री हासिल की.
इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए नंदिनी ने यूके (ब्रिटेन) का रुख़ किया ओर वहाँ से उन्होंने अप्लाइड ह्यूमन राइट्स में एमए की डिग्री ली. पढ़ाई के साथ-साथ इस दौरान नंदिनी ने अपनी पोल डांसिंग के शौक को भी जारी रखी. इसी के साथ-साथ वे बीच-बीच में बच्चों को पढ़ाती भी थी, टीचिंग करने में उनका हमेशा से ही रुझान रहा.
अपने इस टीचिंग के शौक को उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने के दौरान भी ज़िंदा रखा ओर इस दौरान वे एक कोचिंग संस्थान में हिस्ट्री पढ़ाती रहीं. नंदिनी को ऐसा लगता था इस तरह से पढ़ाने से उनका हिस्ट्री का बढ़िया रिवीजन हो जाता है. उनका यूपीएससी में ऑप्शनल सब्जेक्ट भी हिस्ट्री ही था.
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नंदिनी द्वारा यूपीएससी ऐस्पिरंट्स के लिए टिप्स
यूपीएससी की तैयारी के बारे में बात करते हुए नंदिनी महाराज कहती हैं कि उन्हें यूपीएससी की तैयारी के दौरान पढ़ाई करने के लिए 6 से 7 घंटे का टाइम ही मिलता था पर वे इस समय का अच्छे से ओर भरपूर इस्तेमाल करती थी.
उन्होंने अपने तैयारी के रिर्सोस सीमित रखे और उन्हें ही बार-बार पढ़ा. नंदिनी महाराज कहती है की उन्होंने सिर्फ़ इकोनॉमिक्स सब्जेक्ट के लिए कई सारे सोर्स यूज किए क्योंकि उन्हें मन ही मन यह लगता था उनका यह विषय थोड़ा कमजोर है.
तैयारी के दौरान से हर दिन न्यूज पेपर पढ़ती थी और करेंट अफेयर्स के लिए इसके अलावा इंटरनेट पर कुछ बड़ी आईएएस परीक्षा की तैयारी कराने वाली वेबसाइट्स की भी मदद ली.
नंदिनी महाराज के माता-पिता दोनों ही ब्यूरोक्रेट्स हैं, इसलिए उन्हें तैयारी के दौरान अपने पैरेंट्स की भी खूब मदद मिली. उनकी बहन भी एक लॉयर हैं ओर उन्होंने भी नंदिनी महाराज को तैयारी के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के द्वारा चीजों को समझने के अलग-अलग तरीक़े बताए.
नंदिनी ने अन्य स्टूडेंट्स की तरह आंसर राइंटिंग की बहुत ज़्यादा प्रैक्टिस नहीं की क्योंकि उन्हें पहले से ही अपनी लेखनी पर भरोसा था पर इसके बावजूद वे बहुत से टेस्ट पेपर सॉल्व करती थी.
नंदिनी महाराज कहती हैं एक बार में आप सबकुछ न पढ़ पाएं ऐसा सम्भव हो सकता है पर बहुत से टेस्ट पेपर सॉल्व करने से आपको परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों की अपरोच के बारे में अनुमान हो जाता है इसी के साथ-साथ ही आप यह भी सीख पाते हैं कि आपको किस प्रकार से आंसर्स को गेस करना है.
जब उन्होंने टेस्ट देने शुरू किए तो शुरू में टेस्ट सीरीज में उनके अंक अच्छे नहीं आते थे पर इसके बावजूद वे इससे निराश नहीं हुईं और अपनी और से लगातार प्रयास करती रही.
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दूसरे अटेम्पट में मिली यूपीएससी में सफलता
नंदिनी कहती हैं कि उन्होंने यूपीएससी का पहला अटेम्पट दिया तो उनका सिलेक्शन नही हुआ किंतु पहली बार में सेलेक्शन न होने का कारण भी उन्हें पता है. उन्होंने पहले अटेम्पट की तैयारी में निबंध और एथिक्स के पेपर पर जितनी मेहनत करनी चाहिए थी उतनी की ही नहीं थी साथ ही उन्हें हिस्ट्री में मैप में भी बहुत समस्या आ रही थी.
अपने यूपीएससी के पहले प्रयास में वे प्री तक ही पहुंची थी. अपने दूसरे प्रयास में नंदिनी ने सभी गलतियों को सुधारते हुए अपनी दोगुनी मेहनत ओर उत्साह से तैयारी करने में जुट गईं.
इस बार उन्होंने निबंध की प्रेक्टिस के साथ एथिक्स के विषय की भी अच्छे से तैयारी की थी. इसके लिए उन्होंने परीक्षा से डेढ़ महीने पहले से खूब टेस्ट देना शुरू कर दिए थे ताकि वे परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के नेचर से वाकिफ हो सकें.
नंदिनी महाराज इस बारे में कहती हैं कि मेरे अनुसार टेस्ट देना सिलेबस से पढ़ने के अतिरिक्त तैयारी करना का सबसे अच्छा तरीका है इस दौरान आप पिछले साल के अधिक से अधिक प्रश्न-पत्र हल कर सकते है.
उन्होंने खुद भी तैयारी के लिए पिछले पांच साल के पेपर हल किए थे. इसी के साथ उन्होंने टॉपर्स के इंटरव्यू देखें किंतु उनसे सिर्फ़ अपने मतलब की बात ही सीखी.
नंदिनी महाराज का कहना है कि आप अपने उत्तर अन्य स्टूडेंट के साथ डिस्कस ज़रूर करें ताकि आपको अपनी कमियां पता चल सकें.
जब नंदिनी का मेन्स में सिलेक्शन हो गया तो उन्होंने अपनी पूरी जान लगा दी ताकि किसी भी कारण से वे इंटरव्यू में फेल न हो जाएं. यहां पर भी नंदिनी को उनके मां-बाप की बहुत हेल्प मिली.
अंततः नंदिनी द्वारा की गई मेहनत सफल हुई और वे 42वीं रैंक के साथ यूपीएससी में सेलेक्ट हो गईं. नंदिनी महाराज दूसरे कैंडिडेट्स को यूपीएससी की तैयारी के संबंध में यही सलाह देती है कि जितना हो सके उतना किताबें सीमित रखकर पढ़ें और उनका बार-बार रिवीज़न करे.
इसके साथ-साथ अपनी कमजोरियों पर समय रहते काम करें और पढ़ाई में हमेशा कंसिसटेंसी बनाए रखें, अगर आप यह कर पाने में सफल हो जाते है तो आपको यूपीएससी में सफल होने से कोई नही रोक सकता है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…