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IAS GARIMA AGARWAL : हिंदी मीडियम से पढ़ाई कर ऐसे तय किया IPS से IAS तक का सफर

जिंदगी में आप कितनी बार हारे
ये कोई मायने नहीं रखता
क्यूंकि आप जीतने के लिए पैदा हुए हैं!

Success Story Of IAS Garima Agrawal: यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा को एक ऐसी कठिन परीक्षा माना जाता है जिसमें लोग सालो तक मेहनत करते हुए एक बार सफलता प्राप्त करने के लिए तरसते हैं. वहीं कुछ कैंडिडेट्स ऐसे भी होते हैं जिन्हें उनकी किस्मत और कड़ी मेहनत बार-बार उस मुकाम तक पहुंचा देती है जहां पहचने का सपना हर यूपीएससी ऐस्पिरंट्स देखता है.

आज हम बात करने जा रहे है मध्य प्रदेश की एक छोटी सी जगह खरगोन की रहने वाली गरिमा अग्रवाल (IAS GARIMA AGARWAL) की. गरिमा ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा को पास कर लिया किंतु उनकी रैंक अधिक होने के कारण उन्हें आईपीएस का पद मिला किंतु गरिमा तो IAS ऑफ़िसर बनना चाहती थी इसलिए उन्होंने फिर से प्रयास किया ओर IAS ऑफ़िसर बनकर ही दम लिया.

गरिमा का बैकग्राउंड ध्यान से देखने पर यह बात पता चलती है कि उन्होंने अपनी स्टूडेंट लाइफ में ही बहुत कुछ हासिल किया और वे हमेशा से ही एक इंटेलीजेंट स्टूडेंट रहीं है. लेकिन इसके बावजूद उनके श्रेष्ठ तक पहुंचने का यह सफर इतना आसान नहीं था क्योंकि किसी भी इंसान को इतनी आसानी से यह सफलता नही मिलती है.

हर किसी व्यक्ति के जीवन में अपने-अपने संघर्ष होते हैं. ऐसे ही संघर्ष गरिमा की ज़िंदगी में भी थे लेकिन सारे संघर्षों से पार पाकर उन्होंने यह सफलता हासिल की. आज की स्टोरी में जानते हैं गरिमा के जीवन के गौरव भरे इस सफर के बारे में.

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IAS GARIMA AGARWAL

IAS GARIMA AGARWAL हिंदी मीडियम से आती है

गरिमा उन यूपीएससी कैंडिडेट्स के लिए एक बड़ी प्रेरणा हैं जिन्हें लगता है कि हिंदी मीडियम से की गई स्टडी उनके आने वाले करियर में उनके लिए अवरोध बन सकती है. गरिमा ने अपनी पूरी स्कूलिंग अपने टाउन में स्टेट बोर्ड से पूरी हुई परंतु इसके बावजूद भी गरिमा अपने जीवन में सफलता दर सफलता हासिल करती गयीं.

गरिमा के दसवीं में 92 परसेंट और बारहवीं में 89 परसेंट मार्क्स आये थे. इसी के साथ अपने एक्सीलेंट बोर्ड रिजल्ट की वजह से उन्हें रोटरी इंटरनेशनल यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत एक साल के लिए अपनी हायर सेकेंडरी एजुकेशन मिनेसोटा, अमेरिका में पूरी करने को मिली. गरिमा की माँ किरण अग्रवाल एक होममेकर हैं और उनके पिता कल्याण अग्रवाल एक बिजनेस मैन होने के साथ-साथ समाज सेवी भी हैं.

गरिमा की बड़ी बहन प्रीती अग्रवाल ने भी साल 2013 में यूपीएससी परीक्षा पास की है ओर आज वह इंडियन पोस्टल सर्विस में कार्यरत हैं उनकी बहन के पति शेखर गिरिडीह भी आईआरएस ऑफिसर हैं. एक ऐसी फैमिली से संबंध रखने के कारण गरिमा भी शुरू से ही IAS ऑफ़िसर बनने का सपना देखती थी.

परंतु इस बात से उनका संघर्ष कम नहीं हो जाता. एक इंटरव्यू में गरिमा ने कहा, कि आपके परिवार के लोग अगर पहले से सिविल सेवा में होते हैं तो आपको इस बात का फायदा ज़रूर मिलता है परंतु इसके बावजूद भी पढ़ना तो आपको ही पड़ता है.

IAS बनने का सपना अगर आपका है तो मेहनत भी आपको ही करनी पड़ेगी और उससे जुड़ा हुआ संघर्ष भी आपका ही होगा. आप सिर्फ़ इस बात से अपने संघर्ष से नही बच सकते आपको अपने सपने को पूरा करने के लिए अपना सौ प्रतिशत तो देना ही होता है.

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IAS GARIMA AGARWAL

पहले ही प्रयास में बनीं आईपीएस

गरिमा अग्रवाल की स्कूल की पढ़ाई समाप्त होने के बाद उनका सिलेक्शन जेईई में हो गया. इसके बाद उन्होंने आईआईटी हैदराबाद से अपना ग्रेजुएशन किया और जर्मनी से अपनी इंटर्नशिप भी पूरी की. यहीं पर रन्हें नौकरी का ऑफर भी मिला किंतु वे शुरू से ही अपने समाज की सेवा करने की चाहत रखती थी ओर इस कारण से उन्होंने वहाँ की नौकरी को न कह दिया.

गरिमा अग्रवाल ने करीब डेढ़ साल तक यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की ओर साल 2017 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी और पहली ही बार में ही उनका सिलेक्शन यूपीएससी में हो गया था. किंतु इस परीक्षा में गरिमा की 241वीं रैंक थी और इस कारण से उन्हें आईपीएस सर्विस मिली. गरिमा अपनी इस सफलता से संतुष्ट थीं पर उनका सपना IAS ऑफ़िसर बनने का था.

गरिमा ने आईपीएस की ट्रेनिंग ज्वॉइन कर ली और हालांकी वे पहले भी यूपीएससी के लिए तैयारी कर चुकी थीं इसलिए उन्होंने अपनी तैयारी को जारी रखा ओर एक बार फिर से जमकर तैयारी करते हुए दोबारा से यूपीएससी की परीक्षा देने का मन बना लिया.

गरिमा की मेहनत और समर्पण आने वाले समय के यूपीएससी ऐस्पिरंट्स के लिए मिशाल है की कैसे उन्होंने ट्रेनिंग के साथ-साथ अगले ही साल यानी साल 2018 में न केवल यूपीएससी परीक्षा को पास किया बल्कि 40वीं रैंक लाकर यूपीएससी में टॉप भी किया. इसी के साथ उन्होंने अपने बचपन का सपना IAS ऑफ़िसर बनने का भी पूरा किया.

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IAS GARIMA AGARWAL

तैयारी के दौरान सोशल मीडिया से बनाई दूरी

गरिमा अग्रवाल की यह सफलता तो हर किसी को आसानी से दिखाई देता होगा किंतु इसके पीछे का संघर्ष और दिन-रात की मेहनत बहुत कम लोग ही जानते होगे. हिंदी मीडियम से ताल्लुक़ रखने वाली गरिमा अग्रवाल के लिए इंग्लिश में परीक्षा देना और करेंट अफ़ेयर्स के लिए न्यूज़ पेपर पढ़ना बिल्कुल भी आसान नहीं था.

तैयारी की शुरुआत में उन्हें केवल इंग्लिश न्यूज़पेपर पढ़ने में ही तीन घंटे लग जाते थे. हिंदी मीडियम के बावजूद उन्होंने हिम्मत करते हुए इंग्लिश में परीक्षा देना चुना क्योंकि जैसा वे चाह रही थी वैसा स्टडी मैटीरियल उन्हें हिंदी में नहीं मिल रहा था. इंजीनियरिंग में तो उन्हें इंग्लिश की भाषा की बहुत अधिक समस्या नहीं आयी क्योंकि वहाँ पर अधिकतर कैलकुलेशंस ही रहते थे या फिर कोडिंग.

यूपीएससी मेन्स में पूछे गए प्रश्न के जवाब में इफेक्टिव आसंर लिखना उनके लिए सबसे बड़ा चैलेंज था, इस चलेंज को पार करने के लिए उन्होंने जमकर आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस की. गरिमा UPSC की तैयारी के बारे में कहती हैं, कि एक या डेढ़ साल की डेडिकेटेड तैयारी आपको सिविल परीक्षा में सफलता दिला सकती है, बस इसके लिए आप एक या दो साल में तैयारी के अलावा कुछ और न करें ओर सिर्फ़ यूपीएससी की परीक्षा को पास करने पर अपना ध्यान केंद्रित करें.

यूपीएससी की तैयारी के दौरान आप किसी और सरकारी परीक्षा की तैयारी की और बिल्कुल भी ध्यान न दे. गरिमा का कहना हैं कि तैयारी के समय होने वाले डिस्ट्रैक्शंस से बचने के लिए उन्होंने दो साल तक अपने सभी सोशल मीडिया के सभी एकाउंट डिलीट कर दिए थे.

यूपीएससी की सफलता के इस सफर में गरिमा अपने माता-पिता का योगदान भी कही कम नहीं आंकती जिन्होंने परिवार और समाज की फ़ालतू बाटो पर ध्यान न देते हुए केवल अपने बच्चों पर विश्वास दिखाया और उनके बच्चों ने भी उनके इस विश्वास को अपनी सफलता से गहरा किया.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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