“जिन्हें अपने आप पर भरोसा होता है, फिर डर को भी उन से डर लगता है।”
Success Story Of IAS Anil Rathore : यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा को पास करने का सपना हर एक यूपीएससी ऐस्पिरंट्स का होता है ओर सफलता की चाह अपने मन में लेकर ही लाखों स्टूडेंट हर साल इस परीक्षा में बेठते है. इनमे से अधिकांश स्टूडेंट को इस परीक्षा में असफलता का सामना करना पड़ता है.
असलता के कारण इनमे से अधिकांश स्टूडेंट हार मानते हुए दूसरी बार प्रयास ही नही करते किंतु कुछ स्टूडेंट ऐसे होते है जो असफलता का सामना बड़ी ही बहादुरी के साथ करते है ओर फिर से इस परीक्षा के लिए प्रयास करते है ऐसे स्टूडेंट तब तक अपने प्रयास जारी रखते है तब तक की इन्हें सफलता प्राप्त न हो जाए.
मध्य प्रदेश राज्य के मुरैना के रहने वाले अनिल राठौर (IAS ANIL RATHORE) की यूपीएससी की जर्नी भी बहुत लंबी रही. किंतु इसके बावजूद उन्होंने इस सफर के दौरान कभी भी अपनी हिम्मत न टूटने दी और खुद पर भरोसा बनाए रखा, अनिल राठौर ने इन सालों को खुद की परीक्षा का समय समझकर न सिर्फ समझदारी पूर्वक इसे पार किया बल्कि अंत में सफलता भी हासिल की.
हालांकि, उन्हें यह सफलता तुलनात्मक रूप से बहुत देर से मिली लेकिन अनिल ने अपने प्रयासों में कभी भी कोई कमी नहीं आने दी. वे हर बार अपनी गलतियों से सीखते हुए आगे बढ़े और अंततः अपने पांचवें प्रयास में न सिर्फ यूपीएससी की परीक्षा में सफल हुए बल्कि टॉपर्स में भी शामिल हो गए.
इससे पहले इनका यूपीएससी के चौथे अटेम्पट में भी सेलेक्शन हुआ था, लेकिन उस समय इनकी रैंक 569 आई थी, इस कारण इनका सिलेक्शन इंडियन रेलवेज एकाउंट्स सर्विसेस में हुआ ओर उन्होंने इसको ज्वाइन कर लिया. किंतु अनिल रथोरे अपनी इस रैंक से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए उन्होंने एक बार फिर से कोशिश की और आखिरकार उनकी इतने सालों की मेहनत रंग लाई और वह आईएएस पद के लिए चयनित हो गए. आज की सक्सेस स्टोरी में जानते है अनिल राठौर के संघर्षों के बारे में…
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IAS ANIL RATHORE की शिक्षा (Education)
अनिल राठौर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं. इनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गाँव से हुई और क्लास 5 तक इन्होंने हिंदी मीडियम स्कूल से पढ़ाई की. क्लास पांच के बाद उन्होंने बोर्ड बदला ओर स्कूल की शिक्षा खत्म होने के बाद आईआईटी एंट्रेंस दिया.
आईआईटी एंट्रेंस में उनकी रैंक दो हजार से ऊपर आइ ओर इस कारण से उन्होंने लोकल के एक संस्थान से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. अनिल एक इंटरव्यू में बात करते हुए कहते हैं कि उनकी जिंदगी में इंजीनियरिंग के दिनों में ही इनकी सबसे ज्यादा ग्रोथ हुई, वे अपने इन दिनों को बिल्डिंग ईयर्स मानते हैं.
इंजीनियरिंग करने के दौरान ही इनहका रुझान यूपीएससी की और बढ़ने लगा ओर इन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देने का विचार किया ओर इसकी तैयारी में जुट गए. शुरुआत में उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग ली, क्योंकि इन्हें ऐसा लगता था कि इनका टेक्निकल बैकग्राउंड है तो ह्यूमैनिटीज के नज़रिए से चीजों को समझने के लिए इन्हें किसी गाइडेंस की जरूरत है. इसके बाद की तैयारी इन्होंने स्वयं की.
एनसीईआरटी यूपीएससी का बेस है
दूसरे कैंडिडेट्स की तरह अनिल राठौर भी यूपीएससी की तैयारी के लिए एनसीईआरटी की किताबों को तैयारी के लिए बेस तैयार करने के लिए बहुत जरूरी मानते हैं. अनिल राठौर का कहना है कि इन किताबों में दी गई जानकारी आपको परीक्षा के अंत तक बहुत मदद करती है क्योंकि इनसे आपके बेसिक्स क्लियर हो जाते हैं.
अनिल आगे कहते हैं कि अगर आपके पास अधिक समय है तो क्लास 6 से 12 तक की एनसीईआरटी पढ़ सकते है, लेकिन अगर समय कम हो तो उस स्थिति में कम से कम क्लास 11 और 12 की एनसीईआरटी जरूर पढ़ें. इसके बाद आप चाहे तो किसी कोचिंग के नोट्स से या संबंधित विषय की किताब से अगे की तैयारी करे.
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यूपीएससी की तैयारी के लिए किताबों की बात करें तो अनिल भी इसके लिमिटेड रिर्सोस रखने, ओर उन्हें ही ठीक से पढ़ने और उनका बार-बार रिवीजन करने पर अधिक जोर देते हैं. वे कहते हैं यूपीएससी की तैयारी के लिए कुछ प्रसिद्ध लेखक की किताबें हैं जिन्हें लगभग हर टॉपर स्टूडेंट पढ़ते हैं, उन्होंने भी वही किताबें तैयारी के लिए चुनी और अच्छे से तैयारी की.
अनिल ने अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट भी बदला. उन्होंने पहले ज्योग्राफी का ऑप्शनल चुना था फिर उसमें नंबर कम आने के बाद उन्होंने अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट बदलने का फैसला लिया. उनका दूसरा ऑप्शनल सब्जेक्ट केमिस्ट्री रहा. इसमें उन्हें अपने सीनियर्स से गाइडेंस के साथ ही तैयारी करने के लिए नोट्स भी मिले और उन्होंने अपने बाद के अटेम्पट इसी विषय के साथ दिए.
लगातार असफलता से निराश हो गए
आज अनिल राठौर यूपीएससी परीक्षा को पास करने में सफल रहे है पर ऐसा नहीं है कि यहां तक आने में उन्होंने मुश्किलों का सामना नहीं किया है या फिर उनके इस सफ़र के दौरान डिप्रेसिव फेज ही नहीं आया.
इनके यूपीएससी के सफ़र के दौरान बीच में कई बार ऐसा हुआ जब बार-बार की असफलता ने अनिल को पूरी तरह से निराश कर दिया और वे सोचने लगे कि पता नहीं उनसे यह परीक्षा पास भी होगी या नहीं परंतु इसके बावजूद उन्होंने कभी भी अपनी हिम्मत नही हारी ओर खुद को दिलासा देते रहे कि परेशान होने से कुछ नहीं होगा उनको यह देखना होगा कि तैयारी के बावजूद उनसे कहा पर कमी रह रही है और उसे कैसे दूर करना है.
अपनी तैयारी कि दौरान अपनी कमियों का एनालिसिस करने पर अनिल ने पाया की वे पूरे समर्पण के साथ तैयारी तो कर रहे थे किंतु इसके बावजूद भी वैल्यू एडिशन नहीं कर रहे थे बस वे लगातार एक ही ट्रैक पर आगे बढ़े जा रहे थे. जब उन्हें इस बारे में पता चला तो उन्होंने अपनी इस गलती को सुधारा और उसका नतीजा सबके सामने है.
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अनिल राठौर का यूपीएससी की तैयारी का अनुभव
अनिल अपनी यूपीएससी की तैयारी से प्राप्त अनुभव को बाँटते हुए कहते हैं कि इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के लिए आंसर राइटिंग बहुत जरूरी है इसलिए इसका अधिक से अधिक अभ्यास जरूर करें.
खूब रिवीजन करने के बाद मॉक टेस्ट ज़रूर दें ताकि आप यह जान पाएं की आपकी कमी क्या है. इसके साथ ही परीक्षा के लिए सीमित समय के अंदर पेपर खत्म करना सीखें. एक उत्तर पर बहुत अधिक समय न लगाएं भले ही वो आपको कितने ही अच्छे से आता हो.
यूपीएससी में सारा खेल ही समय का होता है कि अगर आपने किसी प्रश्न को ज़रूरत से ज्यादा समय दिया तो कहीं कुछ न कुछ छूटेगा जरूर, इसलिए हमेश उत्तर लिखते समय बैलेंस करते चलें. यह निरंतर अभ्यास से ही आएगा.
अनिल अपना अनुभव बताते हैं कि वे पहले के प्रयासों में ज़रूरत से ज़्यादा लिखने के कारण पेपर छोड़कर जरूर आते थे. बाद में उन्होंने पेपर देते हुए यह सीखा की भले ही कम लिखो पर अधिक से अधिक आंसर अटेम्पट करने की कोशिश करो.
इससे आपके परीक्षा में कम से कम पांच या छ अंक तो बढ़ ही जाते हैं, ओर इन नंबरो से रैंक में बहुत बड़ा फर्क आ जाता है. अनिल निबंध और एथिक्स के पेपर को भी बहुत अधिक महत्व देने की बात कहते हैं. अंत में वे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते है की कि यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान खूब मन लगाकर तैयारी करें, कई बार ऐसा हो जाता है कि आपको मंजिल देर से मिलती है पर एक न एक दिन मिलती जरूर है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…