World water day 2022: आज 22 मार्च 2022 है इस दिन वर्ल्ड वॉटर डे मनाया जाता है, ऐसे में आज के दिन जानिए पानी से जुड़े ऐसे ही दिलचस्प फैक्ट.
हमारे देश में एक इंसान रोजाना औसतन 45 लीटर पानी को बिना किसी कार्य के बर्बाद (Water Wastage) करता है. उसके द्वारा वेस्ट किया जाने वाला यह पानी उसकी रोजाना की जरूरत का 30 फीसदी हिस्सा है. एक इंसान को हर दिन औसतन 135 लीटर पानी की जरूरत होती है. बोतलबंद पानी के इस युग में एक चौंकाने वाली बात यह भी है कि एक लीटर पानी की बोतल को तैयार करने के लिए डेढ़ लीटर पानी लगता है. आज 22 मार्च यानी की विश्व जल दिवस (World Water Day) है, इस मौके पर जानते हैं पानी से जुड़ी कई दिलचस्प बातें…
देश में हर दिन नलों से टपकता पानी भी हमारे देश में लगातार बढ़ते जा रहे जलसंकट को बढ़ाने में अहम रोल अदा करता है. अगर देश में हर एक नल से बूंद-बूंद से टपकते पानी को भी रोक लिया जाए तो सालभर में उस एक नल से ही क़रीब एक लाख लीटर पानी बचाया जा सकता है. इतने पानी से सैकड़ों पानी की टंकिया भरी जा सकती हैं. इसलिए कहा जाता है कि जलसंकट को रोकने के लिए बूंद-बूंद पानी का महत्व होता है.
आज के समय में पानी की बर्बादी का एक सबसे अहम कारण है इंसान द्वारा नहाते समय हाईफ्लो शॉवर का इस्तेमाल करना. अगर व्यक्ति नहाते समय लो फ्लो शॉवर का इस्तेमाल करते हैं को इससे पानी को काफी हद तक बचाया जा सकता है. हाई फ्लो शॉवर से नहाते वक्त जहाँ प्रति मिनट 50 लीटर पानी की ज़रूरत होती है वही दूसरी ओर लो फ्लो में 30 मीटर ही पानी निकलता है. इस तरह से एक इंसार अगर 5 मिनट स्नान करने के लिए शॉवर का इस्तेमाल करता है तो आप स्वयं सोच सकते हो की वह कितने लीटर पानी की बचत कर सकता है.
‘सेव द वॉटर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रथवि पर हर 15 सेकंड में एक बच्चे की मौत प्रदूषित पानी की वजह से हो जाती है. यह धरती वैसे तो 70 फीसदी तक पानी से घिरी हुई है, लेकिन इसमें से 2 फीसदी पानी ही साफ है जिसे व्यक्ति पीने के लिए इस्तेमाल कर सकता है. इसलिए पानी को बर्बाद होने से बचाएं.
विश्व में बढ़ती पानी की क़िल्लत के चलते पिछले 50 साल के अंदर पानी का बिजनेस पहले की तुलना में बढ़कर 1.80 लाख करोड़ रुपये का हो गया है. ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के की बात को माने तो, 2023 तक यह कारोबार 4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है. इसमें चौंकाने वाली बात है यह है कि 135 करोड़ आबादी वाले भारत में प्रति व्यक्ति बोतल के पानी की सालाना खपत सिर्फ आधा लीटर है, जबकि यूरोप में यह आंकड़ा प्रति व्यक्ति 111 लीटर है.