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KRISHNA YADAV : उधार के 500 रुपये लेकर पहुँची थी दिल्ली, एक आइडिया के दम पर बनी करोड़पति

“जो प्रेरित होना चाहते हैं वो किसी भी चीज से हो सकते हैं ।”

KRISHNA YADAV SUCCESS STORY : हमारे देश में बढ़ती आबादी के कारण कई लोग भूखे मर रहे है. गाँवो में बेरोज़गारी का आलम यह है की कई लोग नौकरी की तलाश में दूसरे शहरों की और रुख करते हैं. इनमे से कुछ लोग ऐसे भी होते है जो दूसरे शहर की ओर पलायन कर अपना ख़ुद का करोबार शुरू करते हैं, ऐसे लोगों की दृढ़ता और उनके साहस को सलाम करना चाहिए.

आज की सूक्केस स्टोरी में भी एक ऐसी ही महिला की सफलता की जीवनगाथा है, जिन्होंने अपने घर के आर्थिक हालातों से तंग आकर हमारे देश की राजधानी दिल्ली की और अपना रुख किया और अपनी मजबूत इच्छा-शक्ति ओर मेहनत के दम पर कामयाबी का एक अनोखा संसार बनाया.

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KRISHNA YADAV के बुरे आर्थिक हालात

यह कहानी है उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली कृष्णा यादव (KRISHNA YADAV) की सफलता के बारे में है. साल 1995-96 के समय की बात है जब कृष्णा यादव का पूरा परिवार बहुत बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा था. आर्थिक हालात ठीक नही होने के चलते उनके पति भी मानसिक रूप से काफी परेशान रह रहे थे, ऐसी स्थिति में उनके पूरे परिवार का दारोमदार कृष्णा यादव के कंधे पर ही आ गया.

जिंदगी के इस कठिन दौर के सामने अगर कोई ओर होता तो हार मान लेता किंतु कृष्णा यादव ने इसे चुनौती की तरह स्वीकार करते हुए रोज़गार की तलाश में दिल्ली का रुख करने का फैसला लिया. रोज़गार की तलाश में अपनी एक महिला मित्र से 500 रुपये उधार लेकर कृष्णा अपने पूरे परिवार सहित एक नई आशा ओर विश्वास के साथ देश की राजधानी दिल्ली आ पहुंची.

कृष्णा यादव अपनी सम्पूर्ण हिम्मत जुटाकर दिल्ली में रोज़गार की तलाश में आ तो गई किंतु इस टरह से एक महिला को अनजान शहर में आसानी से नौकरी मिल पाना सम्भव नहीं था. काफी दिनो तक भागदौड़ ओर जद्दोजहद के बाद भी जब उन्हें कोई काम नहीं मिल पाया, तो अंत में मजबूरन उन्होंने कमांडेट बीएस त्यागी के खानपुर स्थित रेवलाला गाँव के फार्म हाउस के देख-रेख करने की नौकरी शुरू की.

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फार्म हाउस पर करना पड़ा काम

कमांडेट त्यागी के फार्म हाउस में उस समय वैज्ञानिकों के निर्देशन में बेर और करौंदे के बाग लगाए गए थे. उस वक़्त बाज़ार में उनके इन फलों की अच्छी कीमत मिलती थी, इसलिए वैज्ञानिकों ने कमांडेट त्यागी को मूल्य संवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण तकनीक से भी अवगत कराया.

फार्म हाउस में काम करते-करते कृष्णा को भी खेती के कार्य से बेहद लगाव होता चला गया और फिर उसने साल 2001 में खेती के बारे में ओर अधिक जानकारी हासिल करने के उद्देश्य से कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा में खाद्य प्रसंस्करण तकनीक का तीन महीने का प्रशिक्षण लेने का फैसला किया.

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शुरू किया आचार का काम

इस प्रशिक्षण के बाद कृष्णा यादव के मन में हौंसला आया ओर उन्होंने भी कुछ प्रयोग करने का फ़ैसला लेते हुए हुए तीन हजार रुपये लगाकर 100 किलो करौंदे का अचार और पांच किलो मिर्च का अचार तैयार किया, और उस तैयार आचार को बाज़ार में बेच कर उन्होंने 5250 रुपये का मुनाफा कमाया. हालांकि पहले प्रयास के दौरान उन्हें जो मुनाफ़ा हुआ वह इतना बड़ा भी नही था, लेकिन पहली सफ़लता ने कृष्णा यादव के हौसले को एक नई उड़ान दी.

आचार के इस कार्य के दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी भी सामने आने वाली चुनौतियों के सामने हार नहीं मानी और पूर्ण दृढता के साथ अपने लक्ष्य-पथ पर अडिग रहीं. इस कड़ी में कृष्णा यादव के पति ने भी उनका भरपूर साथ दिया.

कृष्णा घर पर ही आचार का सारा माल तैयार करतीं और उनके पति नजफगढ़ में सड़कों के किनारे ठेले लगा कर उनके द्वारा तैयार आचार को बेचा करते. हालांकि करौंदा कैंडी का उनका कांसेप्ट उस वक़्त बाज़ार में बिल्कुल नया था, लेकिन लोगों द्वारा उन्हें मिल रही अच्छी प्रतिक्रिया ने उन्हें बड़े स्तर पर ऐसे ही और भी प्रोडक्ट्स बनाने के लिए प्रेरित किया.

आज ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ बन चुका है ब्रांड

वर्तमान समय में श्रीमती कृष्णा यादव ‘श्री कृष्णा पिकल्स’ (shrikrishnapickles) ब्रांड के बैनर तले कई तरह की चटनी, आचार, मुरब्बा सहित कुल 87 प्रकार के उत्पाद तैयार किए जाते है. आपको इस बारे में जानकर और भी अधिक हैरानी होगी की आज इनके व्यापार में करीबन 500 क्वींटल फलों और सब्जियों का प्रयोग होता है, जिसकी कीमत करोड़ों में है. हाल ही में कृष्णा यादव ने अपने बिज़नेस का विस्तार करते हुए पेय-पदार्थ के उत्पादों की भी शुरुआत की है.

किसी समय सड़क किनारे एक रेहड़ी से शुरुआत करते हुए आज इनकी कंपनी कई बहुमंजिला इमारत तक का सफ़र तय कर चुकी है. इनकी कंपनी की इस सफलता का सारा श्रेय श्रीमती कृष्णा यादव को ही जाता है. 8 मार्च 2016 को भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से कृष्णा यादव को नारी शक्ति सम्मान से भी पुरस्कृत किया गया है.

कृष्णा यादव की यह सफलता आने वाले समय की लाखों-करोड़ों भावी युवा महिलाओं के लिए एक मजबूत प्रेरणास्रोत है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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