“एक सफल व्यक्ति होने के लिए ज्यादा पढ़ा लिखा होना जरुरी नहीं है बल्कि जरुरी है आगे बढ़ने की सोच“
KAILASH KATKAR SUCCESS STORY : वेदो में भी एक बात कही गई है की धन की देवी माता लक्ष्मी और विद्या की देवी माँ सरस्वती का आपस में बैर है,मतलब की जिस व्यक्ति पर माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद होगा उसके पास विद्या नहीं होगी और जिसके पास माँ सरस्वती का आशीर्वाद होगा वह धनी नहीं होगा.
KAILASH KATKAR का बचपन
कुछ ऐसा ही हुआ है आज की हमारी शख्सियत के साथ जिनका नाम कैलाश काटकर है. कैलाश काटकर बचपन में ही मात्र अपनी प्रारंभिक शिक्षा को पूर्ण कर नौकरी करने लग गए और वही से उनकी सफलता की कहानी भी शुरू हो गयी.
आज उनके द्वारा बनाई गयी कंप्यूटर एंटीवायरस प्रोग्राम कंपनी Quick Heal Antivirus (क्विक हील टेक्नोलॉजी) का कारोबार लगभग 60 से अधिक देशो में फैला हुआ है जो उन्हें सालाना 1500 करोड़ से ज्यादा का टर्न ओवर देता है साथ ही वर्ष 2016 में भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में आईपीओ के जरिये भी अपने को लिस्टेड करवा चुके है.
कैलाश काटकर का जन्म 1 नवंबर 1966 में महाराष्ट्र के रहिमतपुर गांव में एक मराठी निर्धन परिवार में हुआ था, उनके पिता फिलिप्स कंपनी में मशीन सेटर का काम करते थे जहाँ उनकी पगार से घर खर्च चलाना भी दूभर था.
वे बचपन से ही पढाई में कोई रूचि नहीं रखते थे फिर भी जैसे तैसे उन्होंने अपने प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण कर परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए मात्र 19 वर्ष की आयु में पुणे की एक रेडिओ और कैलकुलेटर रिपेयर शॉप में नौकरी की.
KAILASH KATKAR ने जब खोली खुद की दुकान
कैलाश काटकर को यहाँ पर केवल 1500/- तनख्वाह मिलती थी, वहा पर उन्होंने लगभग 5 साल तक काम किया और उन्हें पूरा नॉलेज हो जाने के बाद खुद की दूकान खोलने का मन हुआ अतः वहाँ की जॉब छोड़ अपनी शॉप वर्ष 1990 में पुणे में ही खोल ली.
कैलाश काटकर ने अपनी दुकान नौकरी में से बचाये गए 15000 रूपये से शुरू किया था. और इससे उन्हें पहले ही वर्ष 45000 रूपये का प्रॉफिट हुआ इससे उत्साहित होकर उन्होंने आगे बढ़ने के लिए कुछ करने का फैसला लिया.
नौकरी से बचाए रुपए से शुरू किया कम्प्यूटर का कार्य
वह टाइम भारत में कंप्यूटर का शुरूआती चरण था अतः अपने को अपग्रेड और नई दिशा में कदम बढ़ने के उद्देश्य से कंप्यूटर कोर्स को ज्वाइन किया लेकिन ज्यादा पढ़े लिखे ना होने की वजह से सिर्फ बेसिक जानकारी ही प्राप्त कर पाए.
वर्ष 1993 में उन्होंने कंप्यूटर रिपेयर का काम शुरू करते हुए “कैट कंप्यूटर सर्विसेज” (CAT Computer Services) की नीव रखी यहाँ भी पहले ही वर्ष में लगभग 1 लाख से ज्यादा का प्रॉफिट हासिल किया, इसी के साथ उनका छोटा भाई संजय कटकर जो पुणे से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढाई पूरी कर चूका था, अपने भाई के साथ उनकी कंप्यूटर सर्विस सेंटर में हेल्प करने लगा.
जब भाई ने दिया साथ ओर बनाया एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर
संजय ने भी भी अपनी पढाई का पूरा सदुपयोग करते हुए एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम विकसित किया जो कम्प्यूटर्स में आने वाले वायरस को पहचान कर उसे दूर हटाता है
लेकिन इसके बारे में लोगो में जागरूकता ना होने की वजह से कुछ खास पहचान नहीं बना पाया इसलिए दोनों भाइयो ने इसे फ्री में लोगो को देना शुरू किया. फिर वर्ष 2007 में उन्होंने इसको व्यापक रूप से व्यावसायिक तौर पर पहचान देने के उद्देश्य से अपनी कंपनी Quick Heal Technology (क्विक हील टेक्नोलॉजी) की शुरुआत की और फिर सफलता के ऐसे झंडे गाड़े की आज उनका कारोबार 60 से अधिक देशो में फ़ैल चूका है इसी के साथ वर्ष 2016 में आईपीओ (IPO) के जरिये भारतीय एक्सचेंज में भी लिस्टेड करवाया उसके बाद से कंप्यूटर जगत में एक ट्रस्टेड ब्रांड के रूप में एंटीवायरस प्रोग्राम को और ज्यादा लाभ हुआ जिससे इनका सालाना टर्न ओवर लगभग 1500 करोड़ तक पहुंच चूका है.
अंत में इतना ही कहने को ही की सफलता शिक्षा की मोहताज नहीं होती उसके लिए चाहिए सक्रिय प्रयास और कठिन परिश्रम.
चलिए मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…….