“Luck का तो पता नहीं लेकिन अवसर जरूर मिलते है मेहनत करने वालों को I”
SUCCESS STORY OF BYJU RAVEENDRAN : किसी भी व्यक्ति द्वारा ज्यादातर कोई भी व्यवसाय शुरू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य पैसा कमाना ही होता है, लेकिन अगर कोई व्यवसाय समाज को बदलने के जुनून से आरम्भ किया जाए तो ऐसे में वह व्यवसाय अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है. आज हम एक ऐसे ही इंजिनीयर की कहानी लेकर आए है जिसने अपना मुख्य पेशा छोड़कर शिक्षक बनने का फ़ैसला लिया ओर एक शिक्षक के रूप में नई पारी की शुरुआत करते हुए बच्चों को पढ़ाने लगे.
बायजू रविन्द्रन (BYJU RAVEENDRAN) ने जब शिक्षा देना शुरू किया तब उन्होंने कभी सोचा भी नही था कि वे एक दिन एक अरबपति शिक्षक होगे. उन्होंने शिक्षा को एक नया आयाम देते हुए प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए इन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों तक शिक्षा पहुँचाने के उद्देश्य से इंटरनेट का सहारा लिया और आज उनके द्वारा शुरू किए गए बदलाव से वे देश के भीतर सूचना प्रोद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा की एक अलग ही अलख जगाने वाले सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं.
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BYJU RAVEENDRAN की byjus के क्लास की शुरुआत
टीचर बायजू रविन्द्रन के अरबपति बनने की कहानी शुरू होती है केरल में कन्नूर जिले के एक तटवर्ती गांव अझीकोड से. उन्हें शिक्षण का कर्म अपने माता-पिता से विरासत के रूप में मिला है. उनके माता-पिता भी स्कूल में टीचर थे. उनके जानने वाले लोगों द्वारा यह बताया जाता है कि रविंद्रन का मन बचपन में स्कूल में नहीं लगता था, ओर वे ज़्यादातर समय फुटबॉल खेलने चले जाया करते थे, लेकिन वे घर पर बैठकर जरूर पढ़ाई करते थे. इस प्रकार से वे पढ़ाई पूरी कर इंजीनियर बन गए.
रविन्द्रन ने अपने पिता की क्षत्रछाया में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद एक शिपिंग फर्म में कई वर्षों तक इंजीनियर के रूप में काम किया किंतु कुछ वर्षों के बाद अनायास ही एक घटना ने इन्हें इंजीनियर से शिक्षक बना दिया. दरअसल रविन्द्रन अपने कुछ करीबी दोस्तों को शोक से पढ़ाया करते थे और उनके द्वारा पढ़ाए गए इन सभी दोस्तों ने सफलतापूर्वक कैट की परीक्षा पास कर ली. बस फिर क्या था इसके बाद से तो इनके यहाँ पढ़ने के लिए आने वाले स्टूडेंट की भारी भीड़ लगना शुरू हो गई. इस बढ़ती हुई भीड़ को देखते हुए दोस्तों के दोस्त और उनके दोस्त, सभी ने रवींद्रन से एक कोचिंग क्लास प्रारंभ करने का अनुरोध किया. ओर इस प्रकार से शुरुआत हुई बायजू क्लासेस की.
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ऐसे हुई बायजू ऐप्प (byjus app) की शुरुआत
रवींद्रन द्वारा शुरुआत करने के कुछ ही समय में बायजू क्लासेज इतना प्रसिद्ध हो गया कि रविन्द्रन ने अपनी नौकरी छोड़ने का फ़ैसला लिया ओर एक शहर से दूसरे शहर कक्षाएं लेने के लिए रवाना होने लगे. हर तरह से बहुत ही कम समय में रविन्द्रन के हजारों स्टूडेंट चहेते हो गये लेकिन सारे शहरों में पहुँच कर वहां के छात्रों को पढ़ाना इनके लिए मुश्किल था. तभी एक दिन इनके दिमाग में एक आइडिया सूझा, ओर इन्होंने निर्णय लिया कि क्यूँ न इंटरनेट के माध्यम से वे एक जगह बैठ कर ही हजारों छात्रों से रुबरु होते हुए उन्हें पढ़ाना शुरू करे.
अपने इसी आइडिया के साथ आगे बढ़ते हुए बायजू रवींद्रन ने साल 2015 में बायजू लर्निंग एप्लिकेशन लांच की और कैट परीक्षा, सिविल सेवा परीक्षा, संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई), राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश परीक्षा (एनईईटी), ग्रेजुएट रिकॉर्ड एग्जामिनेशन (जीआरई) और ग्रेजुएट मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट (जीमैट) जैसी सारी प्रतिष्ठित प्रतियोगिता परीक्षा के लिए कंटेंट्स उपलब्ध कराने लगे. उनके द्वारा शुरू किए गए इस आइडिया ने जहाँ एक तरफ करोड़ों छात्रों को आकर्षित किया, वहीँ दूसरी तरफ इसने देश-विदेश के कई बड़े निवेशक का भी ध्यान अपनी ओर खींचते हुए करोड़ों रूपये की फंडिंग उठाई.
मार्क जुकरबर्ग ने भी किया इन्वेस्टमेंट
इस तरह से बहुत ही कम समय में प्रसिद्ध होते हुए बायजू में सितम्बर 2016 में 50 मिलियन डॉलर अर्थात् (करीब 332 करोड़ रुपये) की राशि का निवेश चान ज़ुकेरबर्ग फाउंडेशन ने किया, (चान जूकेरबर्ग) यह एक परोपकारी संगठन है जो फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चान के द्वारा समाज के उत्थान के लिए बनाई गई है.
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बायजू क्लासेज के बारे में रविन्द्रन का कहना है कि इससे देश भर के छात्रों को जटिल अवधारणाओं को समझने, दूसरों की मदद लेते हुए पढ़ने और सम्बंधित सब्जेक्ट के अध्याय को जल्दी खत्म करने में सहूलियत मिलती है.
क्रिकेट कोमेंट्री से सीखी अंग्रेज़ी
रविन्द्रन ने एक मलयालम माध्यम स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की ओर उसके बाद खुद के बूते सिर्फ़ क्रिकेट कमेन्ट्री सुनकर अंग्रेजी सीखी थी, और आज वे करोड़ों छात्रों को अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं. इस प्रकार एक छोटे से कमरे में, चंद छात्रों के साथ शुरू हुआ बायजू क्लास आज देश भर के इतने छात्रों का चहेता बन चुका है कि उन्हें इकट्ठा किया जाए तो एक बड़ा स्टेडियम भी छोटा पड़ जायेगा.
भारत जैसे देश में जहाँ आबादी के एक बहुत बड़े हिस्से तक आज भी गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा नहीं पहुँच पाई है. ऐसी परिस्थिति में सूचना प्रोद्योगिकी का सही ओर ज़बरदस्त इस्तेमाल करते हुए एक बड़े स्तर पर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाले रविन्द्रन जैसे युवा उद्यमियों की इस अनोखी सोच को सलाम करने की जरुरत है. अपडेट: जनवरी 2020 में न्यूयॉर्क स्थित टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट के द्वारा बायजू में 200 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जिससे बायजू कंपनी का वैल्यूएशन लगभग 8 बिलियन डॉलर अर्थात 60 हज़ार करोड़ हो गया.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…