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IPS AKSHAT KAUSHAL : चार बार असफल होने के बाद माँ के कहने पर पाँचवे प्रयास मे बने आईपीएस ऑफिसर

धैर्य रखना, कभी निराश मत होना;
जिसने तुमको बनाया है वो इस ब्रम्हांड का सबसे बड़ा लेखक है!

IPS AKSHAT KAUSHAL SUCCESS STORY : हर सफल व्यक्ति को अपने जीवन मे कभी न कभी तो असफलता का सामना तो करना ही पड़ता है किन्तु वह अपनी इस असफलता को ही अपनी सफलता की सीढ़ी बनाते हुए आगे बढ़ जाता है ऐसा ही कुछ हुआ आईपीएस अक्षत कौशल (IPS AKSHAT KAUSHAL) के साथ जिन्होंने 2017 में अपने पांचवें अटेम्पट में सिविल सर्विसेस परीक्षा 55वीं रैंक के साथ उत्तीर्ण की.

देखा जाए तो एक यूपीएससी एस्पिरेंट्स के लिए चार या पांच अटेम्पट देना किसी प्रकार से बड़ी बात नहीं मानी जाती परंतु अक्षत की स्टोरी अन्य स्टोरी से थोड़ी अलग है. अक्षत ने लगातार चौथे अटेम्पट में असफलता मिलने पर यूपीएससी का सापत्न्य छोड़ देने का फैसला ले लिया था किन्तु तभी उनके तीन दोस्तों ने उन्हे कुछ ऐसा कह दिया कि उनके वे शब्द अक्षत के जीवन को बदलने वाले गोल्डन वर्ड्स साबित हुए. अगर उस दिन इत्तेफाक से अक्षत के जीवन में उन दोस्तों से मुलाकात का संयोग नहीं बनता तो हो सकता है कि शायद आज वे जिस पद पर हैं वहां पर नहीं होते.

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IPS AKSHAT KAUSHAL

IPS AKSHAT KAUSHAL की फैमिली

अक्षत का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार मे हुआ ओर इनके पिता अविनाश कौशल बैंक से सेवानिवृत्त हैं और इनकी मां संगीता कौशल वर्तमान मे रक्षा मंत्रालय में बतौर सहायक निदेशक कार्यरत हैं. अक्षत की छोटी बहन उदिता सीए हैं और इनके भाई उदित भी आईटी कंपनी में कार्यरत हैं. अक्षत के अनुसार इनके परिवार में माता-पिता ओर भाई-बहन के साथ नाना नरेंद्र कुमार शर्मा और नानी प्रेमलता शर्मा ने भी इन्हे यूपीएससी के लिए प्रोत्साहित किया.

IPS AKSHAT KAUSHAL की शिक्षा (EDUCATION)

अक्षत ने 12 वीं कक्षा की पढ़ाई सेक्टर-15 स्थित एपीजे स्कूल पूरी की. इसके बाद इन्होंने आगे की पढ़ाई सीआईटीएम से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन में इंजीनियरिंग करते हुए की ओर उसके बाद इन्होंने आईआईएमसी से अंग्रेजी जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा भी किया.

जर्नलिज़्म के बाद इन्होंने वर्ष 2010 से 2016 तक बिजनेस स्टेंडर्ड में बतौर स्पेशल कॉरेस्पोंडेंट के पद पर काम किया. इस दौरान अक्षत ने लोगों की समस्याओं से जुड़ी कई प्रमुख खबरों पर काम किया. यहा पर काम करते हुए हुए अनुभवों से अक्षत को लगा कि अगर उन्हे समाज मे बदलाव लाना है तो इसके लिए प्रशासन का हिस्सा बनना होगा.

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अक्षत की यूपीएससी की तैयारी

अक्षत कौशल ने साल 2012 से ही यूपीएससी परीक्षा के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी थी. यूपीएससी की तैयारी के लिए पहले वर्ष उन्होंने कोचिंग ली और पहला अटेम्पट दिया लेकिन इस दौरान उनका चयन प्री में भी नहीं हुआ. इसके बाद अक्षत साल दर साल अटेम्पट देते रहे लेकिन सम्पूर्ण प्रयासों के बावजूद सफलता उनसे कोसों दूर थी.

हर साल मिल रही असफलताओ के बावजूद अक्षत ने चार सालों तक कभी भी हार नहीं मानी और हर बार अपनी पिछली गलतियों मे सुधार करते हुए सीखते गए. किन्तु चौथे अटेम्पट में मिली असफलता ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया. चौथे अटेम्पट का रिजल्ट आने के बाद हताश अक्षत जब घर से बाहर निकले तो उनके परिवार ने किसी अनहोनी के डर से उन्हे रोकना चाहा किन्तु वे नहीं मानें.

घर से बाहर निकले अक्षत कौशल अपने तीन दोस्तों से मिलें और उस दस मिनट की मुलाकात में दोस्तों द्वारा कहे गए शब्दों ने पता नहीं अक्षत के मन मे क्या तूफान खड़ा कर डिया की वे पिछली सभी बाते भूलकर फिर से प्री की तैयारी में लग गए जबकि इससे पहले वे सोच चुके थे की यूपीएससी उनके लिए नहीं बनी है.

इस प्रकार दोस्तों द्वारा इन्सल्ट करने के बाद अक्षत के पांचवे अटेम्पट के लिए प्री परीक्षा में मात्र 17 दिन बचे थे और इन 17 दिनों में अक्षत ने सारी दुनियाँ ओर हताशा-निराशा को भुलाते हुए ऐसी तैयारी की कि उनका यूपीएससी मे न केवल चयन हुआ बल्कि उन्हे आशा के विपरीत अच्छे नंबर भी प्राप्त हुए.

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UPSC EXAM के नेचर को समझें

अक्षत कौशल का कहना है कि परीक्षा देने के पहले स्टूडेंट परीक्षा के नेचर को समझें कि यूपीएससी की परीक्षा आपसे चाहती क्या है. यूपीएससी की प्री में क्या देखा जाता है, ओर मेन्स में क्या देखा जाता है इसी के साथ आप यह देखे की इंटरव्यू में वे आपको किस प्रकार से टेस्ट करना चाहते हैं.

अगर आपने यह समझ लिया कि यूपीएससी आपसे क्या चाहता है ओर इसके अनुसार ही तैयारी तैयारी की तो आपके सिलेक्शन के चांस बढ़ जाते है. ज्यादातर स्टूडेंट अंधेरे में तीर चलाते है इससे कोई फायदा नहीं होगा. यूपीएससी की तैयारी करते समय अपने शरीर का ध्यान रखे अक्षत ने अपने पहले साल में यही गलती की ओर कोचिंग से लेकर लाइब्रेरी तक बिना खाना खाए (ताकि नींद न आए) पूरे-पूरे दिन बैठकर पढ़ाई की पर इसके बावजूद नतीजा उनके पक्ष में नहीं रहा.

CONFIDENT रहे किन्तु OVERCONFIDENT न हो

अक्षत कौशल के अनुसार स्टूडेंट किसी भी विषय को लेकर ओवर कांफिडेंट न हों यह आपके असफलता का प्रमुख कारण बन सकता है. जैसे कि वे हिंदी को लेकर बहुत ज्यादा श्योर थे कि इसमें क्या है इसे तो वे आसानी से पास कर लेगे, ओर उनके इसी ओवर कॉन्फिडेंस का नतीजा यह हुआ कि वे हिंदी के कंपल्सरी पेपर तक मे पास नहीं हो पाए और इस कारण से उन्हें अपने बाकी विषयों के अंक तक नहीं पता चले.

अक्षत का मानना है कि आपको कोई विषय आता है, यह अच्छी बात है पर आप इसको लेकर अपने मन मे किसी प्रकार का भ्रम न पाले. यूपीएससी की परीक्षा मे आपकी क्षमताओं को जिस स्तर पर जांचा जाता है वहां तक कोई स्टूडेंट सोच भी नहीं सकता.

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अपने साथियों की सलाह माने

अक्षत कौशल का कहना है की जो लोग आपको अच्छे से जानते हैं उन्हें कई बार आपकी कमियों ओर ताकत के बारे मे आपसे भी ज्यादा पता होता है इसलिए उनकी सलाह को इग्नोर न करे. पहले अटेम्पट की असफलता के बाद दूसरे अटेम्पट में भी चयन न होने पर अक्षत ने फिर से नौकरी जॉइन कर ली.

जब अक्षत ने यह फैसला लिया तो समय उनके एक दोस्त, जो कि अक्षत के साथ ही यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, ने अक्षत से कहा कि हम सफलता के बिल्कुल करीब आ गए हैं ऐसे मे हमे किसी प्रकार का रिस्क लेने की जरूरत नहीं है किन्तु अक्षत ने उसकी बात नहीं सुनी ओर अगले साल उनके दोस्त का चयन हो गया और नौकरी करने के चक्कर में अक्षत परीक्षा की ठीक से तैयारी नहीं कर पाए और सफलता के बेहद करीब होने के बावजूद वह उन्हें नहीं मिली.

अपनी ताकत को लेकर भ्रम मे न रहे

अक्षत का मानना है कि कई बार तैयारी के दौरान हमें लगता कि यह एरिया तो हमारी स्ट्रेन्थ है पर यह हमारा भ्रम होता है क्योंकि हमारे लगने मे और यूपीएससी को लगने में बहुत ज्यादा फर्क होता है.

अक्षत को भी परीक्षा के समय कुछ अखबारों के लिए लेख लिखने के कारण यह मुगालता हो गया था कि निबंध लिखने में क्या बड़ी बात है क्योंकि मेरी राइटिंग स्किल्स तो बहुत अच्छी हैं.

इस वर्ष अपने इसी भ्रम के कारण अक्षत ने निबंध में सबसे कम मार्क्स 91 प्राप्त किए. क्योंकि जिसको वह अपनी स्ट्रेन्थ मानकर उसके ऊपर ध्यान नहीं दे रहे थे असल मे वो यूपीएससी के मापदंडों के अनुसार बहुत ही निम्न स्तर की थी.

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कुछ चीजे भविष्य पर छोड़ दे

अक्षत यूपीएससी स्टूडेंट को आखिरी सलाह देते हैं कि आपके द्वारा अपना सौ प्रतिशत देने के बाद भी अगर रिजल्ट न आए तो ऐसे मे आपको कुछ चीजें समय पर छोड़ देनी चाहिए. कुछ घटनाओं का समय भगवान द्वारा पहले से तय होता है, इसलिए वे जब होनी होती हैं, तभी होती हैं.

अक्षत ने भी अपने चौथे प्रयास में परिवार के दबाव में आकार सर्विस प्रिफरेंस में अपनी पसंद आईपीएस की जगह आईएएस भर दिया था जबकि जबसे उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की तब से हमेशा ही उनकी पहली पसंद आईपीएस सेवा थी. नतीजा यह हुआ कि इस बार अक्षत का साक्षात्कार तक पहुंचकर भी चयन नहीं हुआ.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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