“थोड़ा डुबूंगा, मगर मैं फिर तैर आऊंगा, ऐ ज़िंदगी, तू देख, मैं फिर जीत जाऊंगा…”
Success Story Of IAS Riddhima Srivastava : यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षा में से एक माना जाता है ओर ऐसा इसलिए क्योंकि इस परीक्षा को पास करने वाले कैंडिडेट के कंधे पर ऐसी ज़िम्मेदारियाँ होती है जो की पूरे ज़िले को प्रभावित कर सकती है.
रिद्धिमा श्रीवास्तव (RIDDHIMA SRIVASTAVA) ने यूपीएससी के अपने दूसरे अटेम्पट में इस परीक्षा को न सिर्फ़ पास किया बल्कि इसमें 74वीं रैंक के साथ आईएएस (IAS) का पद प्राप्त करने में भी कामयाब रहीं. रिद्धिमा इसके पहले वाले अपने अटेम्पट में प्री परीक्षा में भी चयनित नहीं हो पाई थीं. लेकिन दूसरे अटेम्पट में उन्होंने अपनी पिछली गलतियों से सबक़ लेते हुए उन्हें फिर से न दोहराते हुए यूपीएससी (UPSC) की टॉपर्स की सूची में जगह बना ली.
यूपीएससी (UPSC) के अपने पहले अटेम्पट में रिद्धिमा श्रीवास्तव सिर्फ़ दो या ढ़ाई अंक से प्री पास करने से चूक गई थी. इस बारे में उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने नंबर से सेलेक्ट होने से चुके क्योंकि इससे आपका साल तो खराब होता ही है और सेकेंड अटेम्पट के लिए आपको फिर से एक साल इंतजार करना होता है.
रिद्धिमा श्रीवास्तव ने बताया कि पहले अटेम्पट के दौरान उनसे दो बड़ी गलतियां हुईं थीं. एक तो यह कि उन्होंने परीक्षा के दौरान अपनी ओएमआर शीट अंत में मार्क करना शुरू की और समय कम रह गया दूसरे शब्दों में कहे तो उनके सामने टाइम-मैनेजमेंट में समस्या आइ और दूसरी यह कि वे परीक्षा वाले दिन काफी ज़्यादा ही टेंशन में आ गईं थीं.
रिद्धिमा श्रीवास्तव का कहना है की अगर वे यूपीएससी की वह परीक्षा अपने घर में दे रही होती तो शायद सेलेक्ट हो जाती क्योंकि वहां उनकी टेंशन ने उन्हें परीक्षा के दौरान ओवरलैप कर लिया था. इसलिए रिद्धिमा कहती भी हैं कि यूपीएससी परीक्षा का पेपर देते समय लगातार घड़ी देखते रहें और घर में तैयारी करने के दौरान बिलकुल परीक्षा वाले माहौल में अभ्यास टेस्ट दें. आइये जानते हैं यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के बारे में रिद्धिमा का क्या कहना है…
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यूपीएससी प्री की तैयारी के लिए रिवीजन पर करे फ़ोकस
रिद्धिमा श्रीवास्तव यूपीएससी प्री की तैयारी के बारे में यही कहती हैं कि तैयारी के दौरान अपने सोर्स लिमिटेड रखें और वही सोर्स रखें जो ज्यादातर दूसरे कैंडिडेट्स इस्तेमाल करते हैं बस आप उन्हें समय से खत्म करे ओर बार-बार रिवाइज ज़रूर करें.
रिद्धिमा श्रीवास्तव बताती हैं कि उन्होंने तैयारी के दौरान अपने टाइम-स्लॉट को इस प्रकार से बांटा हुआ था कि प्री परीक्षा के पहले कम से कम तीन बार उनका पूरा रिवीजन हो जाए. इसके लिए दिन को भी अलग-अलग भागो में बाँट लिया था कि कितने दिन में पहला रिवीजन खत्म करना है, कितने में दूसरा और तीसरा.
रिद्धिमा श्रीवास्तव बाकी स्ट्रेटजीस के अलावा यह भी मानती हैं कि रिवीजन की भी स्ट्रेटजी होनी चाहिए. जैसे कोई हर दिन पढ़ा हुआ फिर से रिवाइज करता है तो कोई दो-तीन दिन में या हफ्ते में एक बार. वे हर दूसरे दिन अपने द्वारा पढ़ा हुआ फिर से रिवाइज करती थीं. उनका कहना हैं कि जिस प्रकार से आपको जो सूट करे वैसे करें परंतु रिवीजन करना बहुत जरूरी है.
प्री और मेन्स के बीच के समय का करे सही इस्तेमाल
रिद्धिमा श्रीवास्तव यह बात मानती हैं कि प्री के बाद और मेन्स परीक्षा आने के पहले का समय किसी भी कैंडिडेट के लिए बहुत ही ज़्यादा कठिन होता है क्योंकि हर कैंडिडेट को सबसे ज्यादा मेहनत इसी समय के दौरान करनी होती है. इस दौरान उन्हें रिवीजन के साथ ही आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस और अधिक से अधिक मॉक टेस्ट भी सॉल्व करने होते है. कुल मिलाकर यह समय किसी भी स्टूडेंट के लिए बहुत कुछ तैयारी करने का होता है.
रिद्धिमा श्रीवास्तव ने भी इसी समय के दौरान सबसे ज्यादा मेहनत की. उन्होंने इस समय के दौरान खूब आंसर लिखे और परीक्षा से जुड़े हर एरिया को मज़बूती के साथ छुआ. उन्होंने इस दौरान किसी भी एरिया को नेगलेक्ट नहीं किया. फिर चाहे निबंध हो या एथिक्स रिद्धिमा ने इन सभी के पेपर सॉल्व किए और उत्तर लिखकर देखें. रिद्धिमा का मानना हैं कि सेक्शनल पेपर कैंडिडेट को ज्यादा लाभ नहीं देते इसलिए जब भी पेपर हल करें तो पूरे पेपर हल करें.
रिद्धिमा श्रीवास्तव ने टॉपर्स के ब्लॉग और उनके उत्तरों से भी बहुत मदद ली. वे कहती हैं कि यूपीएससी टॉपर्स के आंसर्स कुछ दिनों में अपलोड कर दिए जाते हैं, आप चाहे तो उनसे यह सिख सकते है की उत्तर कैसे लिखना है.
रिद्धिमा श्रीवास्तव पिछले साल के प्रश्न-पत्र देखने पर भी जोर देती हैं. वे कहती हैं कि यूपीएससी परीक्षा के प्रारूप के समझने का इससे बेहतर कोई और तरीका हो ही नहीं सकता. आप यह देखें कि पिछले सालों में कैसे प्रश्न आए हैं.
जहां तक कॉपी चेकिंग की बात है तो वे अपने आंसर खुद से देखती थी क्योंकि रिद्धिमा को लगता था कि आपको खुद से बेहतर कोई ओर जज नहीं कर सकता. रिद्धिमा हर दिन न्यूज पेपर से नोट्स बनाने में यक़ीन नहीं करती. किंतु वे कई मंथ्ली कंपाइलेशन जरूर पढ़ती थी.
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IAS RIDDHIMA SRIVASTAVA का यूपीएससी का अनुभव
रिद्धिमा श्रीवास्तव दूसरे कैंडिडेट्स को सलाह देते हुए कहती हैं कि सबसे पहले तो अपने लिए नियम बनाएं और उसी के अनुरूप चलें ताकि आपके पास टाइम के लिए किसी प्रकार की दिक़्क़त न हो. वे स्वयं तो बहुत जल्दी उठ जाती थी परंतु दूसरों को वे यही सलाह देती हैं कि हर कैंडिडेट को 6 या 7 बजे तक ज़रूर उठ जाना चाहिए क्योंकि इसी समय पर परीक्षा होती है ओर इससे आपका दिमाग प्रोडक्टिव बना रहता है.
रिद्धिमा श्रीवास्तव पाधाइ के अलावा समय-समय पर ब्रेक्स लेने पर भी काफी फोकस करती हैं. वे कहती हैं आपको जिस प्रकार से पसं हो वैसे ब्रेक लें पर तैयारी के साथ-साथ खुद को रिफ्रेश ज़रूर करते रहें. जैसे उन्हें अपने परिवार और दोस्तों से बात करना पसंद था ओर वे तैयारी के साथ-साथ इसके लिए भी समय निकालती थी.
तीसरी ओर सबसे जरूरी बात के बारे में वे बताती हैं कि उन्होंने अपनी तैयारी के दो सालों के दौरान सोशल मीडिया से दूरी बनाकर रखी थी. ओर अपने मोबाइल से व्हॉट्सअप को अनइंस्टॉल कर दिया था. उन्होंने इस दौरान अपना फेसबुक और इंस्टाग्राम कभी नहीं खोला.
रिद्धिमा श्रीवास्तव कहती हैं सोशल मीडिया के एप्स को डिजाइन ही इस प्रकार से किया गया है कि ये आपका मैक्सिमम समय खाते हैं जो आपकी तैयारी के हिसाब से समय की बर्बादी है. साथ ही इन पर आने वाले मैसेजेस पहले से बायस्ड होते हैं. ये जिसका पक्ष रखते हैं, बस उसी के हित में बात करते हैं, इससे आपके किसी बात के बारे में सोचने ओर समझने की क्षमता पर असर पड़ता है और आप इस कारण से सही निर्णय नहीं ले पाते.
रिद्धिमा को सोशल मीडिया के किसी भी प्रकार के फायदे नहीं दिखते और वे किसी भी स्टूडेंट्स के लिए सोशल मीडिया को सही नहीं मानती. बाकी इसके साथ ही रिद्धिमा यह बात भी कभी कहना नहीं भूलती कि सबकी अपनी-अपनी ओर अलग स्ट्रेटजी या तैयारी करने का तरीका अलग होता है इसलिए आप अपने हिसाब से अपने लिए योजना बनाएं. क्योंकि आपको ओर सिर्फ़ आपको ही अपने बारे में सबसे ज़्यादा जानकारी है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…