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IAS PRADEEP SINGH : पिता ने मकान बेच कर पेट्रोल पम्प पर नौकरी कर पढ़ाया

“गति प्रभल पैरों मे भरी, फिर क्यूं रहू दर-दर मै खड़ा।  
जब आज मेरे सामने है रास्ता इतना बड़ा,

जब तक मंजिल न पा सकूं, तब तक मुझे ना विराम है।  
चलना हमारा काम है, चलना हमारा काम है.”

IAS PRADEEP SINGH SUCCESS STORY : इन पंक्तियों को चरितार्थ करने वाले व्यक्ति के बारे मे आज हम चर्चा करने जा रहे है, वह है बिहार के गोपालगंज जिले के रहने वाले आईएएस प्रदीप सिंह (IAS Pradeep Singh), प्रदीप सिंह 2019 के सबसे युवा IAS अधिकारी है. गोपालगंज से जुडी एक खास बात यह है की वर्ष 2019 में इस जिले ने देश को तीन आईएएस अधिकारी दिए है.


गोपालगंज, बिहार राज्य के पिछड़े जिलों में से एक है, यहाँ पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है, यहाँ का मुख्य व्यवसाय कृषि है. इसी अभावग्रसित जिले से एक प्रकाश पुंज के रूप में बेहद ही छोटी सी उम्र मात्र-22 वर्ष में देश के सबसे प्रतिष्ठित एवं कठिन परीक्षा UPSC को अपने पहले प्रयास में ही न, केवल पास किया, जबकि AIR-93 भी प्राप्त की है-‘प्रदीप सिंह’ ने.

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क्या थी दादा की अंतिम इच्छा

प्रदीप सिंह जब इन अभावो को बचपन में देखते थे, तब यही सोचा करते थे की इन सभी कठिनाइयों का हल कैसे निकल सकता है, किन्तु यह बाल्यकाल के ख्याल मात्र थे, जिनका उनके पास उस समय कोई जवाब एवं हल नहीं था.


परन्तु अपने दादा के लाडले पौत्र ने अपने दादा की अंतिम इच्छा, जो की उन्होंने अपने पुत्र – प्रदीप सिंह के पिता को बोली थी, ‘अपने बच्चो को अधिक से अधिक शिक्षित करना, जिससे वे परिवार व देश का नाम रोशन कर सके.

प्रदीप सिंह बताते है की उनके दादा के साथ जब भी चर्चा होती थी, वे जब कभी भी किसी अधिकारी या उच्च अधिकारियो का जिक्र करते थे, तब उनके हाव-भाव एवं चेहरे पर एक अलग ही तेज होता था, बतौर प्रदीप सिंह ने अपने दादा की ख्वाहिश पूरी करने की पहल 8वीं कक्षा में ही कर ली थी. 

10वीं कक्षा तक की शिक्षा गोपालगंज में ही पूरी हुई, आगे की पढाई हेतु उनका पूरा परिवार गोपालगंज से इंदौर चला आया. जहा उन्होंने 11वीं कक्षा (विज्ञान संकाय) में दाखिला लिया.


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कैसे प्रदीप सिंह की पढ़ाई के लिए पिता ने पेट्रोल पम्प पर काम किया 

पिता ने भी कृषि कार्य छोड़कर इंदौर के एक पेट्रोल पंप पर सर्विसमेन (पैट्रोल भरने वाला) की नौकरी करनी शुरू की एवं इनकी माता घर का काम-काज एक ग्रहणी के तौर पर निभाती थी. प्रदीप सिंह के एक बड़ा भाई भी है, जो की प्राइवेट नौकरी करता है. 


अपनी 12वीं कक्षा (विज्ञान संकाय) से उत्तीर्ण करने के पश्चात इंदौर से ही बी.कॉम (Honours) किया. अपनी कॉलेज की पढाई के साथ ही IAS के पुराने पेपर, परीक्षा पैटर्न और सिलेबस के आधार पर तैयारी शुरू कर दी थी. इस दौरान कॉलेज की सभी गतिविधियों खासकर कविता, वाद-विवाद में अपनी भागीदारी करते थे.

कक्षा 11 एवं 12 विज्ञान संकाय एवं स्नातक वाणिज्य से होने के बाद भी प्रदीप सिंह ने UPSC के लिए लीक से हटकर Humanties विषय (History, Sociology, Political Science) को चुना. वे बताते है, जब आप किसी भी कार्य में अपना इंटरेस्ट पैदा कर देते है, तो वह कार्य आपको बोरिंग नहीं लगता.


वो कहते है ना की विपरीत परिस्थितियों में ही जो स्वयं को साबित करता है, वही सर्वश्रेष्ठ होता है.

अपनी ग्रेजुएशन के पश्चात 2017 में उन्होंने अपने परिवार वालो को अपनी दिली ख्वाहिश UPSC की तयारी हेतु दिल्ली जाने का निर्णय के बारे मे बताया, उनके अनुसार, ‘आप अपने किसी भी निर्णय के लिए सर्वप्रथम अपने मन में विश्वास पैदा करो, फिर अपने परिवार को विश्वास में लो’. यही किया प्रदीप सिंह ने. उनके परिवार ने भी उनके निर्णय का सम्मान किया और UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली भेज दिया. 


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दिल्ली में तैयारी के दौरान उनके परिवार ने कभी भी अपने किसी हालात के बारे में नहीं बताया. जब भी उनसे बात होती तब वे तैयारी के बारे में ही चर्चा करते थे.

कैसे किया नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण


जब कभी भी प्रदीप सिंह के मन में नकारात्मक विचार आते थे, तब वे पुन: सकारात्मक होने के लिए तीन कार्य किया करते थे. 

  • कविता पढ़ना – कविता पढ़ना उन्हें बचपन से ही प्रिय था. 
  • मंदिर जाना – वे बचपन से ही प्रति मंगलवार मंदिर जाया करते थे. 
  • माता-पिता से बात करना – तीसरा कार्य वे माता-पिता से बात कर लिया करते थे. 

प्रदीप सिंह के UPSC के मुख्य पेपर के दौरान उनकी माता गंभीर बीमार थी, लेकिन परिवार ने प्रदीप सिंह को इस बारे में कुछ नहीं बताया.

29 मार्च 2019 को उनका इंटरव्यू था एवं उनका परिणाम 15 अप्रैल 2019 को आया. जिस दिन परिणाम आया उन्हें भी एहसास नहीं था की अपने प्रथम प्रयास एवं इतनी छोटी सी उम्र में उनका चयन हो जाएगा, लेकिन ये तो होना ही था, इसके पीछे उनके परिवार का त्याग एवं स्वयं की लगन एवं कठिन परिश्रम जो था. 


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IAS PRADEEP SINGH

सोशल मीडिया से क्यों बनाई दूरी 


बतौर प्रदीप सिंह बताते है की उन्होंने एक वर्ष तक अपना एक पल भी व्यर्थ किये, सतत प्रयत्न किया इसके लिए उन्होंने सभी मनोरंजन, मोबाइल, परिवार, मित्र सब से अलग रहते हुए अपने आप को UPSC में डुबो दिया. उनके अनुसार, ‘जब आपकी चाहत, जरुरत में बदल जाती है, तभी आप परिस्थितियों पर नियंत्रण पा सकते है.’

अंत में UPSC में प्रदीप सिंह का चयन उन तमाम विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो गाँव/देहात, हिंदी परिवेश एवं आर्थिक रूप से निम्न परिवार से आते है. 

वे अपने गृह राज्य बिहार एवं गृह नगर गोपालगंज के लिए बहुत कुछ करना चाहते है, साथ ही बिहार जो की इतिहास में शिक्षा का केंद्र हुआ करता था, उसे पुन: वही वैभव लौटाना चाहते है.

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