“कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता और ना ही मेहनत करने में कोई शर्म करनी चाइये ,जब बात हो अपने सपनो की तब तो हर काम का महत्व और बढ़ जाता है.”
IAS MANOJ KUMAR RAI SUCCESS STORY : हमे समाज में कई सारे ऐसे उदाहरण देखने को मिलते है जहा लोग अपनी मेहनत के दम पर कुछ ऐसे कारनामे कर गुजरते है जिसका अंदाजा भी लगा पाना मुश्किल होता है.
कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है आज की कहानी के हमारे पात्र “आईएएस मनोज कुमार रॉय (IAS MANOJ KUMAR RAI)” ने, उन्होंने आईएएस का सफर कठिन आर्थिक परेशानियों का हिम्मतपूर्वक सामना करते हुए झाड़ू-पोछा, अंडे सब्जिया बेच कर पूरा किया.
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MANOJ KUMAR RAI का IAS से पहले का जीवन
मनोज कुमार रॉय का जन्म बिहार के कुशीनगर के एक छोटे से गांव सुपौल में 4, मार्च 1971 को हुआ था, उनके माता-पिता निर्धन थे और मजदूरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे.
उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव की ही स्कूल में हुई थी, आगे की पढाई कुशीनगर से पूर्ण करते हुए मनोज कुमार समाज में व्याप्त गरीबी, भेदभाव, और भ्रष्टाचार से प्रेरणा लेकर मन ही मन सरकारी सेवा में जाने का मन बना चुके थे. लेकिन उनके परिवार वाले और आस-पास के लोगो ने पढाई से ज्यादा कमाने को तवज्जो दी इसी वजह से अपनी 12वी पूरी कर वे बिहार से दिल्ली आ गए.
मनोज कुमार का IAS की तैयारी का सफर
मनोज कुमार वर्ष 1996 में दिल्ली तो पहुंच गए नौकरी की तलाश में किन्तु जब काफी समय तक उन्हें कोई जॉब नहीं मिली तो ऐसे में मनोज कुमार ने अपना गुजारा करने और ग्रैजुएशन की पढाई पूरी करने के लिए दिल्ली की सडको पर अंडे और सब्जी का ठेला भी लगाया.
दिन में वे सब्जी बेचते और रात में अंडे बेच कर ज़िन्दगी जी रहे थे. एक दिन उन्हें एक छात्र ‘उदय कुमार’ ने जानकारी दी की वे अपनी पढाई पूरी करे फिर उन्होंने ‘अरबिंदो कॉलेज’ में इवनिंग क्लासेज ज्वाइन कर वर्ष 2000 में अपनी ग्रैजुएशन पूरी की.
इसी के साथ ही उन्हें दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्व विधालय (JNU) में फ़ूड सप्लाई का ठेका भी मिल गया. इस कार्य से थोड़े बहुत पैसा बचा कर उन्होंने अपने आईएएस के सपने को सजोये रखा. उनके ग्रैजुएशन के बाद फिर से सलाह देते हुए उदय कुमार ने उन्हें भूगोल के प्रोफसेर रास बिहारी प्रसाद सिंह से मिलवाते हुए सिविल सर्विसेज की तैयारी करने की प्रेरणा दी.
मनोज दिल्ली से पटना चले गए और उनके पास भूगोल की तैयारी करने लगे यहाँ पर उन्होंने तीन वर्ष बिताये और वर्ष 2005 में मनोज कुमार ने अपनी पहली UPSC परीक्षा दी जिसमे वे सफल नहीं हो पाए इसके बाद वह पटना से फिर दिल्ली आ गए, इसी बीच अपने माता-पिता से भी मिलने गए और अपने आईएएस की तैयारी की जानकारी दी तब उनके पिता ने अपनी जमा पूंजी मनोज कुमार को देते हुए आशीर्वाद दिया.
IAS MANOJ KUMAR RAI UPSC में अपने अंतिम पांचवे प्रयास में हुए सफल
मनोज कुमार द्वारा लगातार अपने पहले चार प्रयासों में असफल रहने के बाद उन्हें एग्जाम का पूरा पैटर्न समझ में आ गया एवं तब तक वे अपनी अंग्रेजी भाषा की कमी को भी पूरा कर चुके थे.
मनोज कुमार ने इस बार पैटर्न को समझते हुए मेंस परीक्षा की तैयारी पर फोकस किया जिससे उनका प्री का सिलेबस भी पूर्ण हो गया. यहाँ पर इस बार मनोज कुमार ने अपनी कमजोरी को जानते हुए बाकी का समय उसको दूर करने में लगाया और इस बार उनकी यह रणनीति काम कर गयी और उन्हें वर्ष 2010 में अपने पांचवे प्रयास में पुरे देश में 870वी रैंक हासिल की.
आईएएस बनने के बाद का सफर
मनोज कुमार का आईएएस बनने के बाद एक ही लक्ष्य था की अपने जैसे ही अन्य दिशाविहीन छात्रों का जीवन सुधारना और समाज में व्याप्त गरीबी, भेदभाव को मिटाना इसमें उनका साथ उनकी पत्नी ‘अनुपमा कुमारी’ ने भी दिया जो स्वयं बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास-आउट कर एक अधिकारी के रूप में तैनात है.
दोनों मिलकर वीकेंड पर पढाई करने वाले बच्चो का भविष्य सुधर रहे है और उन्हें फ्री कोचिंग उपलब्ध करवाते है उनके इस प्रयास को सफलता भी मिली है जहा कई सारे छात्र अधिकारी बन चुके है.
सच में जिसने स्वयं इन मुश्किलों का सामना किया हो वो ही यह दर्द महसूस कर सकता है आज देश को मनोज जैसे ईमानदार और सेवा-भावी आईएएस अधिकारियों की जरुरत है जो की समाज के निम्न तबके का प्रतिनिधित्व करते है.
“नायक वह नहीं होता,जो दुसरो के किरदारों को निभाता है।
सच्चा नायक वह है, जो दुसरो के लिए जीता है।।”
मनोज कुमार की कहानी से प्रेरणा मिलती है की यदि कोई व्यक्ति सच्ची लगन के साथ अपने लक्ष्य को साधने के लिए लग जाये तो किसी भी प्रकार की बाधा आपको रोक नहीं सकती.
मनोज कुमार की इस कहानी को आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…