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IAS HIMANSHU GUPTA : पिता के साथ चाय बेचने वाला यह लड़का बना आइएएस ऑफ़िसर

“शानदार जीत के लिए, बहुत मेहनत करनी पड़ती है।”

SUCCESS STORY OF IAS HIMANSHU GUPTA : हर वर्ष देश के लाखों युवा सिविल सर्विस (civil service) का एक्जाम देते हुए उसे पास कर सिविल सर्वेंट (civil servent) बनने का सपना देखते है. किन्तु उन्मे से अधिकतर को निराशा ही हाथ लगती है क्योंकि यूपीएससी (upsc) का एक्जाम दुनियाँ के सबसे कठिन एक्जाम मे से एक माना जाता है जिसे आसानी से पास नहीं किया जा सकता.

जब छोटी जगहों के बच्चे इस परीक्षा को पास करने का सपना देखते हैं तो उनके लिए इन्हे साकार करना आसान नहीं होता. एक सफल जिंदगी प्राप्त करने के लिए उन्हें अतिरिक्त प्रयास करना होता है क्योंकि सफलता प्राप्त करने के लिए उनके पास जरूरी संसाधन भी नहीं होते.

उत्तर प्रदेश, बरेली के एक छोटे से गांव सिरॉली के हिमांशु गुप्ता (IAS HIMANSHU GUPTA) भी अपने बचपन मे टीवी पर बड़े और सक्सेसफुल लोगों की जीवनशैली देखते थे तो उससे बहुत ही ज्यादा आकर्षित होते थे. वे भी चाहते था कि एक दिन वो भी टीवी सीरियल के कलाकारों की तरह से सफल हो. किन्तु सपने ओर हकीकत मे बहुत बड़ा फासला होता है, जहा हकीकत के धरातल पर गिरकर बड़े-बड़े सपने टूट कर चकनाचूर हो जाते हैं. वही पर एक चाय वाले के बेटे ने अपने इन सपनों को कभी भी टूटने नहीं दिया बल्कि उन्हें समय के साथ साकार रूप दिया.

ओर अंत मे अपने पिता के साथ टी-स्टॉल पर चाय बेचने वाला यह छोटा सा लड़का यूपीएससी की परीक्षा पास करते हुए आईएएस ऑफिसर बन गया. चलिए जानते हैं हिमांशु ने कैसे प्राप्त किया यह असंभव सा दिखने वाला लक्ष्य.

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IAS HIMANSHU GUPTA

IAS HIMANSHU GUPTA का बचपन ओर संघर्ष

हिमांशु गुप्ता का जन्म एक दिहाड़ी मजदूरी करने वाले के घर पर हुआ था ऐसे मे उनका बचपन अन्य साधारण बच्चों के जैसा नहीं था. उन्होंने अपना सारा बचपन बेहद गरीबी में दिन काटते हुए बिताया. हिमांशु के पिता पहले दिहाड़ी मजदूर का काम करते थे, किन्तु उसके बाद उन्होंने चाय का ठेला लगाना शुरू कर दिया.

हिमांशु गुप्ता भी स्कूल से आने के बाद चाय के इस काम में अपने पिता की मदद करते थे. चाय पिलाने के दौरान जब वे देखते की कुछ लोग अशिक्षित होने के कारण अपनी उंग्लियों पर भी पैसे नहीं गिन पाते थे तो हिमांशु सोचते कि व्यक्ति के जीवन मे शिक्षा कितनी जरूरी है. हिमांशु ने अपने बचपन मे ही तय कर लिया था कि वे अच्छी शिक्षा के द्वारा अपनी जिंदगी बदलेंगे.

हिमांशु गुप्ता की शिक्षा

हिमांशु गुप्ता के लिए पढ़ाई करना इतना आसान भी नहीं था. आप उनके बचपन की कठिनाइयों का अंदाजा इसी बात से लगा सकता है कि उनका स्कूल घर से 35 किलोमीटर दूर था. ऐसे मे वे हर दिन बेसिक एजुकेशन प्राप्त करने के लिए 70 किलोमीटर का सफर तय करते थे. यही नहीं इसके बाद वे अपने पिताजी को चाय के स्टॉल में मदद भी करते थे. अब ऐसे मे आप स्वयं ही अंदाजा लगा सकते हैं कि उनको अपनी पढ़ाई करने के लिए कितना वक्त मिलता होगा. किन्तु हिमांशु बचपन से ही दिमाग के तेज थे, वे किसी भी चीज को बड़ी ही जल्दी सीखते थे और उन्हें किसी विषय को याद करने में दूसरे स्टूडेंट्स की तुलना में बहुत कम समय लगता था.

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12 वीं कक्षा के बाद पहली बार मेट्रो सिटी मे रखा कदम  

हिमांशु गुप्ता ने क्लास 12 तक की शिक्षा वही से प्राप्त की. 12 वीं कक्षा के बाद आगे की पढ़ाई के लिए जब वे दिल्ली के हिंदू कॉलेज पहुंचे तो वह पहला मौका था जब उन्होंने किसी मेट्रो सिटी में कदम रखा था. उन्होंने अपने पिता के फोन में आगे की पढ़ाई के लिए अच्छे इंस्टीट्यूट की खोज की तो उस वक्त उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के बारे में पढ़ा.

इसे किस्मत कहे या संयोग की उनके अच्छे नंबरों के कारण उन्हें वहा एडमिशन मिल गया. बचपन से ही गरीबी मे पले बढ़े होने के कारण हिमांशु ने दिल्ली आने के बाद अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए पैसों की समस्या हल करने के लिए पढ़ाई के साथ ही बहुत से और काम किए. पैसों की तंगी के समाधान के लिय उन्होंने ट्यूशन पढ़ाए, पेड ब्लॉग्स लिखे और जहां-जहां से भी संभव हुआ वहा से स्कॉलरशिप्स हासिल कीं. इस प्रकार से उनकी आगे की शिक्षा पूरी हुई.

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद हिमांशु ने आगे एमएससी (MMC) की और पढ़ाई मे होशियार होने के कारण उन्होंने इस दौरान पूरे तीन बार यूजीसी नेट की परीक्षा भी पास की. इसी के साथ हिमांशु गेट की परीक्षा में भी सिंगल डिजिट रैंक लाये और साथ ही अपने कॉलेज में टॉप भी किया.

इस प्रकार एक के बाद एक सफलता से हिमांशु का कॉन्फिडेंस काफी ज्यादा बढ़ गया और इससे उन्हें लगने लगा कि वे इससे भी कुछ बड़ा एचीव करने की क्षमता रखते हैं. इस दौरान हिमांशु के पास विदेश मे जाकर पीएचडी (PHD) करने के मौके भी आये किन्तु उन्होंने इनकी बजाय अपने देश और खासतौर पर अपने मां-बाप के साथ रहना ही चुना, क्योंकि उन्होंने ही इतनी मेहनत से उन्हें इतना पढ़ाया था ओर अब यही वो मौका था जब हिमांशु ने बड़ी गंभीरता से सिविल सर्विसेस के बारे में सोचना शुरू किया.

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कोचिंग की बजाय सेल्फ स्टडी द्वारा तैयारी की यूपीएससी की

हिमांशु गुप्ता ने यूपीएससी की तैयारी के लिए किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया बल्कि उन्होंने इसके लिए सेल्फ स्टडी का सहारा लिया. हिमांशु के यूपीएससी के लिए कोचिंग न कर पाने के पीछे दो कारण थे. पहला कारण पैसा और दूसरा शुरू से ही सेल्फ स्टडी करने के कारण उन्हे केवल सेल्फ स्टडी पर ही भरोसा था. हिमांशु ने यूपीएससी की तैयारी पूरे दम ओर जी-जान से की किन्तु इसके बावजूद वे अपने पहले अटेम्पट में बुरी तरह फेल हो गए.

हिमांशु गुप्ता के लिए यह स्थिति बहुत खराब थी क्योंकि उन्हें अपने और अपने परिवार के लिए पैसों की बहुत जरूरत थी. पहली असफलता से हताश हिमांशु ने जेआरएफ लिया और एमफिल करने लगे. इनके इस फैसले से उनके पास पैसे तो आ गए पर सिविल सर्विस और रिसर्च के बीच वक्त मैनेज करना उनके लिए बड़ा मुश्किल था. आप सब तो यह जानते ही हैं यूपीएससी की परीक्षा तैयारी के लिए अधिक समय मांगती है परंतु हिमांशु के पास इसके अलावा कोई ऑप्शन नहीं था. दूसरी ओर वे पीछे हटने वालों में भी नहीं थे.

वर्ष 2019 मार्च में हिमांशु ने अपनी थीसेस सबमिट की और उसके एक महीने बाद अप्रैल 2019 में उनका सिविल सर्विसेस का रिजल्ट भी आ गया. इस बार हिमांशु यूपीएससी मे चयनित हो गए. साल 2018 की परीक्षा के रिजल्ट मे उनके 304 रैंक आई. हिमांशु का यूपीएससी मे सिलेक्शन होने पर उनका और उनके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.

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हिमांशु की यूपीएससी तैयारी की रणनीति

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी के लिए जहा ज्यादातर उम्‍मीदवार बड़े शहर में जाकर कोचिंग का सहारा लेते हैं. वहीं हिमांशु ने इसके विपरीत सेल्फ स्टडी के द्वारा तैयारी की. हिमांशु ने इस परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे पहले एनसीईआरटी की किताबें पढ़ीं और उसके बाद स्टैंडर्ड बुक से तैयारी करते हुए यूपीएससी पास की.

इसके अलावा उन्हें जब भी किसी प्रकार की जरूरत अनुभव हुई तो उन्होंने इंटरनेट का इस्तेमाल भी किया और इस प्रकार अपने नोट्स तैयार किए. इंटरनेट से भी हिमांशु को यूपीएससी परीक्षा की तैयारी में काफी मदद मिली. हिमांशु ने यूपीएससी की तैयारी के दौरान अखबार पढ़ना कभी नहीं छोड़ा, क्‍योंकि अखबार के माध्यम से ही उनको करंट अफेयर्स की पूरी जानकारी मिलती थी.  हिमांशु यह मानते हैं कि हर किसी को तैयारी के दौरान स्टूडेंट को प्रतिदिन अखबार या मैगजीन जरूर पढ़नी चाहिए.

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यूपीएससी स्टूडेंट के लिए हिमांशु की सलाह

यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्‍मीदवारों को हिमांशु गुप्ता यह सलाह देते हैं कि, वे इस परीक्षा की तैयारी के लिए एक बेहतर रणनीति के साथ आगे बढ़े. हिमांशु का कहना है कि जो लोग छोटे गांव या कस्बे में रहकर तैयारी करना चाहते हैं, वे अपनी तैयारी के लिए इंटरनेट की मदद ले और अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करें.

हिमांशु का कहना है कि हर दिन अखबार जरूर पढ़ें, इसके अलावा स्टूडेंट एनसीईआरटी की किताबें देखें, साथ ही इंटरनेट पर जाकर टॉपर्स के नोट्स देखें और उसके अनुसार अपना टाइम टेबल बनाएं. हिमांशु के अनुसार अगर स्टूडेंट इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करेगा तो वह इस एक्जाम को क्रैक कर सकता है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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