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IAS ABHISHEK SHARMA : दो बार मेन्स तक पहुचे ओर तीसरी बार में बनें यूपीएससी टॉपर

“जब रास्तों पर चलते चलते मंजिल का ख्याल ना आये तो आप सही रास्ते पर है I”

IAS ABHISHEK SHARMA SUCCESS STORY : जम्मू-कश्मीर राज्य के किश्तवार इलाके के एक पिछड़े हुए छोटे से गांव के रहने वाले अभिषेक शर्मा (IAS ABHISHEK SHARMA) उन युवाओ के लिए प्रेरणा स्त्रोत है जो सरकारी स्कूल मे पढे होते है ओर इस कारण से अपने आप को बड़ी स्कूल मे पढे हुए बच्चों से कम समझते है.

अभिषेक की भी पढ़ाई ऐसी ही स्कूल से हुई है जहां दीवारों की ईंटें दिखाई देती थीं, इनके स्कूल की छत टीन की थी और ज़मीन पर टाट-पट्टी बिछाकर बच्चों को पढ़ाया जाता था.

अभिषेक की मां वहां के एसडीएम ऑफिस में क्लर्क के पद पर कार्य करती थीं. अभिषेक कई बार उनसे मिलने उनके ऑफिस जाते थे तो उस वक्त वे ऑफिसर्स के काम करने के तरीके को देखकर अत्यधिक प्रभावित होते थे. उनकी मां भी चाहती थीं कि उनका बेटा बड़ा होकर प्रशासनिक सेवा में कार्य करे.

अपने बचपन के समय ही अभिषेक के मन में सिविल सर्विसेस में जाने का विचार घर कर गया था. अभिषेक के गांव में पढ़ाई लिखाई की अधिक सुविधाएं नहीं थी किन्तु इन सब बाधाओ के बावजूद अभिषेक ने इस बारे मे पक्का इरादा कर लिया था की उन्हे तो सिविल सेवक बनकर देश की सेवा करनी है.  

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IAS ABHISHEK SHARMA

IAS ABHISHEK SHARMA की EDUCATION

अभिषेक की शुरुआती शिक्षा जम्मू से ही हिंदी मीडियम में हुई. वे अपने बचपन से ही पढ़ाई मे बहुत अच्छे थे. इन्होंने अपनी 10 वीं परीक्षा मे 90.2 और 12 वीं की परीक्षा में 93.3 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. 12 वीं की पढ़ाई के बाद इन्होंने एआईईईई, जेकेसीईटी, गेट और जेकेएसएसबी व अन्य परीक्षाएं भी पास की.

अभिषेक एक समय में एक ही काम करने की धारणा पर यकीन करते है. ओर अपनी इसी फिलॉसफी पर चलते हुए उन्होंने वर्ष 2014 में जीसीईटी, जम्मू से 76 प्रतिशत नंबर के साथ अपना ग्रेजुएशन कम्प्लीट किया. अपनी ग्रेजुएशन कम्प्लीट करने के बाद उन्होंने यूपीएससी (UPSC) की तैयारी करना शुरू कर दिया.

अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए वे दिल्ली भी गए और वहां पर एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया. किन्तु दिल्ली मे उनका मन नहीं लगा और वे कोचिंग बीच मे ही छोड़कर वापस अपने गांव आ गए.

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IAS ABHISHEK SHARMA

यूपीएससी कोचिंग छोड़कर गाँव मे की तैयारी

अभिषेक ग्रेजुएशन खत्म करने के बाद यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली या गए यहा पर इन्होंने एक कोचिंग इंस्टीट्यूट में तीन महीने तक तैयारी की ओर इस दौरान इन्होंने परीक्षा की तैयारी से लेकर, स्टडी मैटीरियल और यूपीएससी परीक्षा की स्ट्रेटजी बनाने तक की सभी आधारभूत जरूरतों के बारे मे पता किया.

कोचिंग क्लास मे एक साथ 400 से 450 बच्चे पढ़ते हैं, ओर इस कारण से टीचर हर स्टूडेंट पर ध्यान नहीं दे पाते थे ऐसे मे अभिषेक को यह लगने लगा की वे यहा पर भीड़ का हिस्सा बनकर अपना समय नष्ट कर रहे है. ऐसे मे उन्होंने अपना सर स्टडी मैटीरियल इकट्ठा किया और अपने गांव वापस आ गए.

अभिषेक द्वारा इस तरह कोचिंग बीच मे छोड़कर आने पर इनके परिवार के सभी सदस्य परेशान हो गए कि वे इस तरह से तैयारी बीच मे छोड़कर गाँव क्यों या गए इस पर अभिषेक ने अपने घर वालों को बताया की वहा पर उनका समय खराब हो रहा था ओर तैयारी सही से नहीं हो पा रही थी ऐसे मे अब वे यहीं गाँव मे रहकर पढ़ेंगे.

गाँव मे पढ़ाई के दौरान भी अभिषेक को मुसीबतों का सामना करना पड़ा जब लगातार हो रही बर्फबारी के कारण उनके गांव में चालीस दिन लाइट ही नहीं आई ओर सभी रास्ते बंद होने से उनके घर पर इस दौरान अखबार भी नहीं आया. ऐसे समय मे अभिषेक को यह लगने लगा कि कहीं गांव वापस आकर उन्होंने बड़ी गलती तो नहीं कर दी. इसी तरह से दिन बीत रहे थे ओर अभिषेक ने किसी तरह से काम चलाया. इस साल दिए गए अपने प्रयास मे अभिषेक का प्री और मेन्स में सेलेक्शन हुआ किन्तु वे इंटरव्यू क्लेयर नहीं कर पाए ओर आखिरी सिलेक्शन मे रह गए.

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ENGLISH की कमजोरी बनी असफलता का कारण

सरकारी स्कूल मे इंग्लिश मीडियम मे पढ़ाई नहीं होने के कारण अभिषेक हमेशा से ही इंग्लिश मे कमजोर थे ओर इसी कारण इंग्लिश को लेकर इनके मन मे हीन भावना घर कर गई थी. जहां एक ओर यूपीएससी की तैयारी कर रहे बाकी कैंडिडेट्स इंग्लिश मे फर्राटे से अपनी बात कहते थे वहीं अभिषेक के मन मे सदैव यही डर बना रहता था कि कहीं वे कुछ गलत न बोल दे.

अभिषेक ने इंटरव्यू के लिए इंग्लिश का चयन कर लिया था चयन का माध्यम चुनते हुए उनके मन मे एक बार आया कि वे हिंदी में इंटरव्यू दे किन्तु एग्जाम के दौरान जबरदस्त प्रेशर के बीच वे तय ही नहीं कर पाए और इसी कारण से उनका इंटरव्यू अच्छा नहीं गया.

अभिषेक ने एक बार इंटरव्यू मे बताया कि शुरू के अटेम्पट में उन्हे ऐसा लगता था कि केवल वे ओर उनका परिवार नहीं बल्कि पूरा गांव ही यूपीएससी की परीक्षा दे रहा है, क्योंकि उनके ऊपर गाँव के सभी लोगों की अपेक्षाओं का भार था.

ऐसे में अभिषेक मन ही मन बहुत घबराए हुए से रहते थे कि अगर किसी कारण से उनका सिलेक्शन नहीं हुआ तो गाँव मे उनकी कितनी बेइज्जती होगी. वे अपने पहले प्रयास में असफल होने के पीछे भी इसी डर को मुख्य कारण मानते हैं जो की उस समय उन पर भयंकर तरीके से हावी था.

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दूसरा इंटरव्यू हिन्दी मे दिया

अभिषेक ने अपनी पहली असफलता के बावजूद हिम्मत नहीं हारी और पहले प्रयास के दौरान की गई गलतियों से सिख लेते हुए वे आगे बढ़े. अपने पहले प्रयास के दौरान अभिषेक दिमागी रूप से बहुत ज्यादा प्रेशर मे थे किन्तु इस बार शुरुआत मे उन्होंने किसी प्रकार से इस प्रेशर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया परंतु इंटरव्यू राउंड तक आते-आते वे एक बार फिर से प्रेशर मे या गए.

अपने दूसरे प्रयास मे उन्होंने तय किया कि वे इस बार अपना इंटरव्यू हिन्दी मे देंगे. इस बार भी उन्होंने अपना इंटरव्यू तो किसी तरह से दे दिया किन्तु अपने डर और घबराहट के कारण इस बार भी सेलेक्ट नहीं हो पाए.

अपने दूसरे प्रयास मे असफल होने पर अभिषेक को यह सीख मिली की किसी भी परीक्षा से ज्यादा इमोशनली अटैच होकर ओर ज्यादा उम्मीदें लगाकर आप कुछ हासिल नहीं कर सकते. उन्होंने अपनी पिछली गलतियों से से सिख लेते हुए उन्हे आगे फिर कभी नहीं दोहराया.

तीसरे प्रयास मे हुआ सिलेक्शन

यूपीएससी की परीक्षा के लिए दो बार प्रयास करने के बाद आभिषेक ने इंग्लिश की तैयारी शुरू की इसके लिए उन्होंने हर दिन इंग्लिश न्यूज़ पेपर को आधा घंटा पढ़ना शुरू किया. इससे उन्हें बहुत फायदा हुआ ओर धीरे-धीरे उनकी इंग्लिश पर पकड़ बनने लगी. अपने तीसरे प्रयास मे सिलेक्शन के आखिरी राउंड के दौरान उन्होंने बिना किसी डर के इंटरव्यू दिया और न केवल यूपीएससी मे सेलेक्ट हुए बल्कि 69वीं रैंक के साथ टॉप भी किया.

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UPSC ASPIRANTS को सलाह

अभिषेक यूपीएससी की परीक्षा दे रहे दूसरे कैंडिडेट्स को यही सलाह देते हैं कि इस परीक्षा में मिलने वाली सफलता ओर असफलता को अपने ईगो से न जोड़ें. यूपीएससी की परीक्षा बहहुत अनप्रिडेक्टेबल है कि इसके परिणाम के बारे मे कुछ कहा नहीं जा सकता, यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी के दौरान आप अपना बैकअप प्लान भी तैयार रखें.

तैयारी के लिए स्टडी मैटीरियल बहुत सीमित रखे और उसे बार-बार रिवाइज़ करें साथ ही साथ आन्सर राइटिंग की ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस करें. इंटरव्यू के लिए मॉक टेस्ट देते समय सावधानी रखे ज्यादा मॉक टेस्ट देने से आप कंफ्यूज हो जाएंगे. इस परीक्षा की तैयारी के दौरान कभी भी अपना धैर्य न छोड़ें और पूरी ईमानदारी से प्रयास करें, अगर आपने इन सभी बातों का पालन करते हुए तैयारी की तो एक दिन आपको सफलता जरूर मिलेगी.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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