“अगर आपको स्वयं पर भरोसा है तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता”
VARUN SHOOR SUCCESS STORY : हर व्यक्ति या चीज की कोई न कोई IDENTITY जरूर होती है वही अगर आपको कोई बिजनस शुरू करना हो तो आपको इसके लिए धन की आवश्यकता होगी ओर अगर कोई आपसे कहे की आप बिना नाम ओर बिना धन के कोई बिजनस खड़ा कर पाओगे ओर वह भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तो आपका पहला ओर आखिरी जवाब होगा की यह तो संभव ही नहीं है.
इस असंभव को संभव कर दिखाया है वरुण शूर (VARUN SHOOR) ने, वरुण ने अपना बिजनस लोगों से उधार के domain से शुरू किया ओर इसके लिए उन्होंने कोई जगह भी किराये पर नहीं ली ओर अपने घर पर ही बेडरूम से उन्होंने एक INTERNATIONAL COMPANY खड़ी कर दी.
VARUN SHOOR का बचपन
इस कहानी के नायक वरुण शूर की अपने बचपन से ही कंप्युटर मे बहुत गहरी दिलचस्पी थी. वरुण के हाथ मे जब कभी भी कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट गलती से आ जाता था तो वे 3 IDIOT के आमिर खान की तरह उसके पुर्जे-पुर्जे अलग कर देते थे.
उनकी इसी दिलचस्पी की देखते हुए जब वह छोटे थे तब उनके पिता ने उन्हें टाइम पास करने के लिए एक पुराना कंप्यूटर दे दिया था. वरुण जालंधर के साइबर कैफ़े में घंटों नए-नए ऐप देखने मे अपना वक्त गुजारा करते थे और उन ऐप को डाउनलोड कर लेते थे. उन्होंने अपना ज्यादातर बचपन इस टेक्नोलॉजी को सीखने में लगाया जिसका परिणाम यह हुआ की उनके स्कूल के ग्रेड्स नीचे गिरते चले गए और परिणामस्वरूप वह नवमी क्लास में फेल हो गए.
एक मुलाकात ने बदला सोचने का नजरिया
वरुण का ज्यादातर समय इधर उधर के एप या कंप्युटर मे बीत रहा था तभी संयोग से, एक दिन वरुण की मुलाकात एक ऐसे व्यक्ति से हुई जिसने एक सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट को विकसित किया और उसे 2000 डॉलर में बेचा था.
ओर जब वरुण ने वह प्रोडक्ट देखा तो उन्होंने महसूस किया की वे तो उस प्रोडक्ट को बड़ी ही आसानी से बना सकते है बस फिर क्या था उन्होंने उसके जैसा ही एक दूसरा प्रोडक्ट तैयार किया, वरुण अपने प्रोडक्ट के लिए एक डोमेन-नाम खरीदना चाहते थे. इसके लिए जब उन्होंने पहले अपने पिता से उनका क्रेडिट कार्ड माँगा लेकिन उन्होंने वरुण को इसके लिए इंकार कर दिया.
ऐसे मे बिना पूँजी के उनके पास कोई मौका ही नहीं था कि वह अपना प्रोडक्ट बेच पाए. ऐसे मे वरुण ने ई-फोरम पर फ्री domain के बारे मे सर्च करना शुरू कर दिया तभी उन्हे एक आशा की हल्की किरण सी तब दिखाई दी जब वह ई-फोरम में गए और वहाँ ऑनलाइन जाकर अजनबियों से डोमेन नाम मांगना शुरू किया.
लेकिन जल्द ही उन्हे इसके दुष्परिणाम भी झेलने पड़े ओर उनके इन तौर-तरीकों के चलते ई-फोरम से उन्हें बैन कर दिया गया. किन्तु उन्होंने अपने प्रयास नहीं छोड़े ओर वे प्रॉक्सी सर्वर के द्वारा लोगों तक पहुंचने लगे. बहुत कोशिशों के बाद आखिर एक व्यक्ति ने उन्हें डोमेन नाम देने का फैसला किया. वह नाम था kayako.com जिसने वरुण को मौका दिया अपना हुनर दुनिया को दिखाने का.
घर वालों को ऐसे दिलाया विश्वास
वरुण पर शुरू मे उनके घर वालों ने विश्वास नहीं किया किन्तु वे लगे रहे अपनी कोशिशों मे ओर उनकी कोशिशों का फल उन्हें जल्द ही मिल गया और उनके द्वारा कमाए गए 2000 डॉलर उनके दोस्त के अकाउंट में आ गए. इस पर उन्होंने अपने दोस्त से इन रुपयों से एक लैपटॉप लेने को कहा.
उन्होने घर पर बड़े ही गर्व से अपने माता-पिता को बताया कि वे अब पैसे कमाने लग गए हैं और उन्होंने लैपटॉप आर्डर किया है जो की जल्द ही घर पर आ जाएगा. इसी तरह एक हफ्ता बीत बीत गया पर लैपटॉप घर नहीं पहुँचा, दूसरा हफ्ता गुजर गया, तीसरा हफ्ता भी बीत गया. अब तो उनके माता-पिता ने समझ लिया कि इसने कोई पैसे नहीं कमाये हैं और यह हमसे धोखा कर रहा है.
परन्तु एक महीने के बाद एक दिन अचानक से वरुण के घर उनका लैपटॉप और पैसे पहुँच गए. तब जाकर उनके माता-पिता दोनों ने यह माना की वह गलत सोच रहे थे.
ऐसे हुई शुरुआत वरुण की आईटी कंपनी की
जब वरुण बारहवीं क्लास में आये तब उन्होंने अपने पिता से आगे पढ़ाई न करने की इच्छा जाहिर की. यह एक असामान्य निर्णय था पर वरुण के पिता ने अपने बेटे के जुनून को अहमियत दी और उसकी इच्छा का सम्मान किया. इस तरह से एक सत्रह साल के युवा ने बिना पूंजी के, मांगे हुए डोमेन नाम के साथ जालंधर में एक आईटी कंपनी की शुरुआत की.
एक ऐसा लड़का जो कॉलेज जाना तो दूर उसने कॉलेज का गेट तक नहीं देखा था ओर स्कूल में भी हमेशा फेल होते रहा आज वही वरुण kayako कंपनी के सर्वोच्च पद पर आसीन है. वरुण की यह कंपनी एक ऐसी कंपनी है जहाँ SAAS नामक Software Solution product बेचा जाता है. एक साल के भीतर ही वरुण की कंपनी मल्टीनेशनल कारपोरेशन में बदल गई ओर इसमे लगभग 30,000 से ज्यादा ग्राहक है.
NASA ओर MTV है इनके ग्राहक
वरुण की कंपनी के ग्राहकों की लिस्ट मे NASA और MTV भी शामिल है. जिस कंपनी को वरुण ने अपने बेडरूम से शुरू किया था. आज उसी कंपनी का नेटवर्क छह देशों में फ़ैल चुका है और इसमें 150 कर्मचारी काम कर रहे हैं.
यह कंपनी सोशल मीडिया, वेबसाइट और टेली-कॉलिंग के जरिये अपने ग्राहकों से बिज़नेस के बारे में बातचीत करती है. वरुण की कंपनी बहुत सारे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में भी अपने टूल्स के जरिये विद्यार्थियों से रूबरू होती है. यह इस कंपनी की और वरुण की बहुत बड़ी उपलब्धि है जिसने अपने जुनून को अपनी मेहनत के बल पर इस मक़ाम तक पहुंचाया.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…