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NIKHIL PRAJAPATI GANDHI : कभी ट्रेन के गंदे टॉयलेट के पास बैठ करते थे यात्रा आज है 2500 करोड़ के मालिक

“Business वही करते हैं जो खुद पर भरोसा करते हैं ।”

NIKHIL PRAJAPATI GANDHI SUCCESS STORY : हमारे यहाँ पर ऐसा कहा जाता है कि कोई भी इंसान जन्म से अपनी क़िस्मत लेकर पैदा नही होता है बल्कि वह अपने कर्मों से अपनी क़िस्मत खुद लिखता है.

अक्सर कुछ लोग ग़रीबी में पैदा होने के कारण बड़ा आदमी बनने के सपने देखने से भी डरते है वही कुछ लोग अपनी सोच ओर मज़बूत इरादों के दम पर इस दलदल से बाहर निकलने के साथ अन्य लोगों के लिए भी आदर्श बन जाते है.

NIKHIL PRAJAPATI GANDHI का जन्म ओर ग़रीबी

निखिल प्रजापति गाँधी ((NIKHIL PRAJAPATI GANDHI) का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. जहां पर दो वक्त की रोटी भी जुटा पाना उनके लिए बहुत मुश्किल होता था. परिवार की मदद करने के लिए और आर्थिक रूप से कुछ कमाने के लिए निखिल ने छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए.

निखिल प्रजापति गाँधी ने 80 के दशक में महज 20 वर्ष की उम्र में वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल कर ली किन्तु उनके पास अपनी शिक्षा का सही उपयोग करने के लिए कोई रास्ता नहीं था. आर्थिक हालातों से जूझते हुए निखिल प्रजापति की उस समय किसी ने मदद नहीं की.

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NIKHIL PRAJAPATI GANDHI

ट्रेन के गंदे टॉयलेट के पास बैठ करते थे यात्रा

निखिल प्रजापति गाँधी कोलकाता से प्रसिद्ध बीटल के पत्ते खरीद उसे मुंबई में बेचा करते थे और जो कमाई होती उस पैसे से खिलौने खरीद उसे वापस कोलकाता में बेच देते. काम के सिलसिले में निखिल प्रजापति को महीने में दो बार ट्रेन की अनारक्षित बोगी में धक्के खाते हुए मुंबई से कोलकाता तक का सफ़र करना पड़ता था.

करीबन 30 घंटे की इस यात्रा के दौरान बदबूदार शौचालय के पास बैठकर अपनी यात्रा करते थे ताकि अपने साथ लेकर जा रहे बीटल (पान) के पत्ते पर आसानी के साथ पानी का छिड़काव करते रहें जिससे वे ख़राब न हो. इस पूरी प्रक्रिया में उन्हें उस समय मुश्किल से 200 रुपये की आमदनी हो पाती थी, लेकिन बावजूद अपनी सीखने की प्रवृति से उन्होंने अपने काम को जारी रखा.

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ट्रेन में सफ़र करने वाला वही वही शख्स आज 2,500 करोड़ रुपये के मालिक मालिक है ओर आज उन्हें देश-दुनिया के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने के आमंत्रित किया जाता हैं.

निखिल प्रजापति की लाइफ़स्टाइल

निखिल प्रजापति गाँधी वर्तमान समय में नेपियन सी में एक आलीशान गगनचुंबी ईमारत में रहते हैं जो कि मुंबई में सबसे महंगी जगहों में से एक मानी जाती है इनके बंगले के आस-पास ड्राईवर सहित दुनिया की सबसे महंगी गाड़ियाँ खड़ी रहती है. आप यह सब जानकर एक बात तो ज़रूर सोच रहें होंगे कि इनके जीवन में इतने बड़े पैमाने पर बदलाव कैसे आया? कैसे निखिल प्रजापति ने गरीबी से जूझते हुए 2,500 करोड़ रुपये के साम्राज्य की स्थापना कर डाली?

निखिल प्रजापति गाँधी ने तीन दशकों पहले मुंबई की ओर रुख करने का फैसला लिया, वहां पहचन के बाद उन्हें पता चला कि भारतीय नौसेना कुछ झाडू और सफाई के लिए कपड़े के टुकड़े खरीदना चाहती है. बस फिर क्या था निखिल ने बिज़नेस के इतने अच्छे मौके को अपने हाथ से न जाने देते हुए उनके लिए आपूर्तिकर्ता बनने का फैसला ले लिया.

नौसेना द्वारा तय समय सीमा के भीतर निखिल मुंबई पोर्ट ट्रस्ट (बीपीटी) और भारतीय नौसेना को सफाई के लिए 1,00,000 कपड़े के टुकड़े और 80,000 देशी झाड़ू की सप्लाई करने में कामयाब रहे. यह सफलता निखिल की ज़िंदगी की पहली बड़ी सफलता थी. इस सफलता ने इनके हौसले को और ज़्यादा बुलंद किया और इसके बाद इन्होंने बीपीटी के ही और लोगों से संपर्क स्थापित किया ओर उनके लिए एक थोक दवा आपूर्तिकर्ता बन गये.

उस दौर में अनुबंध व्यापार करने वाले व्यक्ति को काफी फायदे हुआ करते थे और इस बात को उस समय निखिल बहुत अच्छे से समझ चुके थे. साल 1990 में जब निखिल को अपने पिता के जन्म-स्थान पर जाने का मौका मिला तो वहाँ पहुँचने कर कुछ पुरानी यादें ताजा होने की वजह से निखिल काफी भावुक हो गये थे और फिर उन्होंने पास ही स्थित पिपाभाव नामक एक स्थान में पड़ी खाली जगहों में एक पोर्ट बनाने के बारे में विचार किया. इसके कार्य को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने वहां के वर्तमान मुख्य-मंत्री चिमनभाई पटेल से मुकालात करते हुए उस बंदरगाह को विकसित करने के लिए उनकी मंजूरी भी ले ली.

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NIKHIL PRAJAPATI GANDHI

धीरूभाई अंबानी से हुई मुलाक़ात

बंदरगाह की सफलता उनके लिए एक और मील का पत्थर था और उसका जश्न मनाने के संकेत के तौर पर उन्होंने शिरडी में पूजा-अर्चना करने की सोची. शिरडी में निखिल प्रजापति की मुलाकात एक राजनेता से हुई जो उनकी उस सफलता से बेहद प्रभावित हुए ओर उन्होंने ही निखिल की मुलाकात दिग्गज उद्योगपति धीरू भाई अंबानी से कराई.

अपनिर गरीबी और प्रतिभा की बुनियाद के दम पर सफलता हासिल करने वाले निखिल ने ने धीरूभाई को भी काफ़ी ज़्यादा प्रभावित किया और इस मुलाक़ात के बाद धीरूभाई अंबानी ने निखिल को विकास उन्मुख व्यापार को पहचानने और उसे समय पर क्रियान्वित करने के गुण सिखाये.

धीरूभाई से बिज़नेस के बुनियादी गुण सीखने के बाद निखिल ने देश के बुनियादी ढांचे में निवेश करते हुए नब्बे के दशक में भारत के पहले निजी बंदरगाह का निर्माण किया. उसके बाद उन्होंने भारतीय रेलवे के साथ पार्ट्नरशिप करते हुए 250 किमी रेल ट्रैक बिछाने की एक संयुक्त परियोजना पर भी काम किया.

इसके अलावा निखिल ने बंदरगाह को जोड़ने के लिए 20 किमी की एक चार लेन सड़क का निर्माण भी किया. इन तीनो परियोजनाओं में निखिल का कुल निवेश लगभग 500 मिलियन डॉलर का हुआ, इतनी बड़ी राशि के निवेश के लिए स्पष्ट रूप से एक बड़ी सोच की जरुरत होती है. साल 2015 में रिलायंस ने 2,085 रुपये की नकद राशि में उनकी कंपनी का अधिग्रहण किया.

निखिल प्रजापति गाँधी ने कई सालों तक अपने अथक परिश्रम की बदौलत सफलता का अनोखा साम्राज्य खड़ा किया. इनके इस संघर्ष से सफलता तक का यह सफ़र वाकई में भविष्य में आने वाली नई पीढ़ियों के लिए एक मजबूत प्रेरणास्रोत साबित होगा.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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