“लिखने वाले अपनी तकदीर टूटी हुई कलम से भी लिख देते I”
MURLIDHAR AND BIMAL KUMAR GYANCHANDANI SUCCESS STORY : आज हम बात करने जा रहे है कानपुर के दो भाइयों मुरलीधर ओर बिमल कुमार ज्ञानचंदानी (MURLIDHAR AND BIMAL KUMAR GYANCHANDANI) के बारे मे जिन्होंने अपनी कमाल की बिजनेस स्ट्रेटेजी के दम पर डिटर्जेंट मार्केट की तमाम दिग्गज कंपनियों को पछाड़ते हुए सफलता के शिखर पर पहुच कर ही दम लिया.
ऐसा कहा जाता है कि जहाँ चाह होती है, वहाँ राह अपने आप ही निकल जाती है. इसी कथन को चरितार्थ करते हुए इन दोनों ने अपनी शुरुआत शून्य से से करते हुए लगभग ढाई दशक के कठिन मेहनत और दृढ़ इच्छा-शक्ति के दम पर इस फील्ड के कई बड़े ब्रांडों को टक्कर देते हुए अपना एक प्रसिद्ध ब्रांड बनाया और उसे देश के करोड़ों घरों तक पहुँचाया.
वर्तमान समय मे चार हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का विशाल साम्राज्य खड़ा करने वाले इन ‘सेल्फ मेड पर्सन’ को हमारे देश मे ‘डिटर्जेन्ट किंग’ के नाम से भी पहचाना जाता है.
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MURLIDHAR AND BIMAL KUMAR GYANCHANDANI ने 1988 मे डिटर्जन्ट क्षेत्र मे जाने का निश्चय किया
हमारे देश के उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर शहर के रहने वाले मुरलीधर ने वर्ष 1988 मे अपने भाई बिमल ज्ञानचंदानी के साथ मिलकर देश के डिटर्जेन्ट क्षेत्र मे व्यापार करने का फैसला किया. हालांकि वह दौर भारत मे उद्योग धंधों की शुरुआत का दौर था किन्तु इसके बावजूद कुछ डिटर्जेन्ट कंपनियां जैसे निरमा और सर्फ भारतीय मार्केट में पहले ही अपनी पैठ जमा चुका था. लेकिन इन सबके बावजूद भी अपनी दमदार रणनीति ओर बिजनेस कौशल की बदौलत इन दोनों भाइयों ने ‘घड़ी साबुन’ की नींव रखी.
मुरलीधर ने डिटर्जन्ट मार्केट में घुसने से पहले निरमा कंपनी की सफलता के बारे मे बेहद ही बारीकी से अध्ययन किया था. उन्होंने इस दौरान यह बात नोट की कि निरमा ने वर्ष 1970 के दशक मे देश भर मे सस्ते डिटर्जेन्ट के रूप में अपना प्रचार करते हुए एक आक्रामक रणनीति बनाई थी, ओर यही रणनीति उसके बिजनेस को फैलाने मे बेहद कारगर साबित हुई थी. ओर इसी एक रणनीति के कारण निरमा का पिछले 20 वर्षों तक भारतीय डिटर्जेन्ट मार्केट मे एकछत्र राज था. मुरलीधर ने भी अपने बिजनेस के शुरुआती समय मे निरमा की इसी रणनीति को अपनाते हुए उसी को मात दे दी.
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सफलता पाने के लिए उचित रणनीति
कानपुर के दोनों भाई इस बात को भली-भांति जानते थे कि बिजनेस मे सफलता प्राप्त करने के लिए सिर्फ पैसा यही पर्याप्त नहीं होता बल्कि इसके लिए पैसों के साथ-साथ एक मजबूत रणनीति की भी आवश्यकता होती है. अगर आपकी बिजनेस की रणनीति मजबूत हो तो आप इस क्षेत्र मे स्वयं से बलवान कंपनी को भी आसानी से शिकस्त दे सकते है. भारत के डिटर्जन्ट मार्केट मे घड़ी कंपनी उस समय की बड़ी कंपनी हिन्दुस्तान लीवर और प्रोक्टर एंड गैम्बल जैसे मल्टीनेशनल समूह के सामने कुछ नहीं थी.
अपने शुरुआती समय मे इन्होंने देखा की देश मे डिटर्जेन्ट की कुल मांग का 16 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ उत्तर प्रदेश से आता था, ऐसे मे इन्होंने बड़ी ही खामोशी के साथ अपने प्रोडक्ट घड़ी के माध्यम से सबसे पहले इसी राज्य के लोगों का विश्वास जीता.
धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश में मिली सफलता के बाद घड़ी ने अपनी कंपनी का प्रसिद्ध स्लोगन “पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें” जारी करते हुए इसके माध्यम से मध्य प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी अपने पैर पसारने शुरू कर दिए.
एक के बाद एक सफलता प्राप्त की
घड़ी कंपनी ने अपनी शुरूआती सफलता के बाद फिर कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. इस कंपनी के लिए साल 2012 सबसे यहां साबित हुआ जब घड़ी ने अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंदी व्हील को शिकस्त दे दी. वर्तमान समय मे कंपनी के आरएसपीएल (RSPL) ग्रुप के बैनर के तहत घड़ी डिटर्जेन्ट के साथ-साथ नमस्ते इंडिया, डिशवाश केक, वीनस बाथ सोप, हायजीन केयर सेनेटरी नैपकिन सहित देश के कई अन्य नामी प्रोडक्ट्स का उत्पादन भी होता है. यही नहीं आज के समय देश का प्रसिद्ध फुटवियर ब्रांड रेड चीफ भी इसी ग्रुप के अंतर्गत कार्य करता है.
देश भर मे डिटर्जन्ट मार्केट मे अपना एकाधिकार स्थापित करने के बाद इनके ग्रुप ने देश के पॉवर एंड एनर्जी सेक्टर में घुसते हुए वर्ष 2011 में गुजरात राज्य मे अपना पहला विंड एनर्जी प्लांट खोला और उसके बाद कर्नाटक में भी. वर्तमान समय मे इनकी कंपनी द्वारा 26 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. देश भर मे आज घड़ी के 21 मैन्युफैक्चरिंग प्लांट और 4000 से ज्यादा वितरक कार्य कर रहे हैं.
मुरलीधर ओर बिमल कुमार ज्ञानचंदानी ये दोनों भाई वर्ष 2016 मे फोब्स के अमीर लोगों की सूची में 92वें नंबर पर काबिज थे ओर तब से लेकर आज तक हर साल इनका नाम इस सूची मे आता है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…