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IPS KULDEEP SINGH CHAHAL : किसान परिवार के कुलदीप ने ऐसे पूरा किया ASI से IPS तक का सफर

“सफलता शायद तब ज्यादा जरूरी हो जाती है जब हारने का विकल्प ही न हो.”

Success Story Of IPS Kuldeep Singh Chahal : अक्सर सफलता के रास्ते में आने वाली एक छोटी सी मुश्किल भी हमें अपनी मंजिल पर पहुंचने से रोक सकती है ऐसी स्थिति में जिस इंसान के रास्ते कठिनाइयों से भरें हो उसे अपना सफर पूरा करने के लिए अधिक हिम्मत और धैर्य की जरूरत होती है. ऐसा ही एक सफर तय किया है एक समय चंडीगढ़ में एएसआई के पद पर तैनात रहे कुलदीप सिंह चहल (IPS KULDEEP SINGH CHAHAL) ने.

कुलदीप सिंह चहल का संघर्ष ने उनके बचपन से ही पीछा नहीं छोड़ा और उन्होंने भी कभी हिम्मत का साथ नहीं छोड़ा. शुरुआत से ही संघर्षो के सामने निरंतरता, कड़ी मेहनत और हार न मानने वाले जज़्बे के साथ उन्होंने हर कठिनाई का सामना किया.

यूपीएससी की जिस परीक्षा के लिए लोग अपना सब कुछ ताक पर रखते हुए घंटों पढ़ाई में डूबे रहते हैं, उस परीक्षा को कुलदीप ने अपनी नौकरी करते हुए उसके साथ मिलने वाली हर ज़िम्मेदारी को निभाते हुए पास किया. आइए जानते हैं उनके एएसआई से IPS बनने के इस सफर के बारे में.

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IPS KULDEEP SINGH CHAHAL

IPS KULDEEP SINGH CHAHAL का बचपन ओर शिक्षा (Education)

कुलदीप सिंह चहल का जन्म साल 1981 में हरियाणा राज्य के जिंद जिले के एक छोटे से गाँव उझाना में हुआ था. उनकी शुरुआती स्कूली शिक्षा भी यही से पूर्ण हुई. स्कूल के बाद कुलदीप ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ आर्ट्स की डिग्री हासिल की.

डिग्री हासिल करने के बाद कुलदीप सिंह चहल अपने बड़े भाई के साथ पंचकूला चले गये ओर वहाँ से उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से अपना एमए (M.A.) कम्प्लीट किया. एमए करने के दौरान वे कई सरकारी नौकरियों के एग्जाम भी दे रहे थे इसके पीछे उनका लक्ष्य यह था की किसी भी प्रकार से उनकी नौकरी लग जाए और उन्हें गांव वापस न जाना पड़े.

एक इंटरव्यू के दौरान अपने शुरुआती दिनों के बारे में याद करते हुए कुलदीप सिंह चहल कहते हैं कि गांव में उन्हें बहुत ज़्यादा काम करना पड़ता था. सुबह उठते के साथ ही उनका काम शुरू होता था और रात होने तक बस खेत, पशु सबकुछ देखते हुए उनका दिन बीतता था. कुलदीप सिंह चहल ने बचपन से ही बहुत मेहनत की है.

बचपन की बात को याद करते हुए कुलदीप खूब हंसते हैं कि उनके पिताजी उनसे कहा करते थे कि स्कूल भले ही जाओ न जाओ परंतु भैसों को पानी पिला दिया कि नहीं? स्कूल के लिये चाहे लेट हो जाओ पर भैसों की देख-रेख में किसी प्रकार की कमी नहीं आनी चाहिए.

दरअसल बचपन से ही कुलदीप सिंह चहल के घर का माहौल बहुत अधिक सख्त था और उनके पिताजी को ज्यादा पढ़ाई-लिखाई की बाटे समझ नहीं आती थी.

कुलदीप सिंह चहल के पिताजी को तो बस सिर्फ़ अपने खेतों और पशुओं की चिंता ही सताती रहती थी. ऐसे माहौल से निकलकर कुलदीप और उनके बड़े भाई ने अपने मजबूत इरादों के बल पर स्वयं अपना भविष्य बनाया है.

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बचपन से बड़े भाई का सहारा

कुलदीप सिंह चहल जब छोटे थे उस समय उनके बड़े भाई सुरेश चहल पंचकूला में लेक्चरर के पद पर कार्यरत थे. वे कुलदीप सिंह को भी पढ़ाई कराने के लिए अपने साथ लेकर गए थे. अपने भाई के साथ रहते हुए ही कुलदीप सिंह चहल की मुलाकात उस समय यूपीएससी की तैयारी कर रहे और वर्तमान में आईपीएस ऑफिसर, संजय कुमार से हुई.

कुलदीप सिंह चहल ने जब उनको इस तरह से पढ़ते हुए देखा तो उन्हें अपने जीवन की दिशा मिली और उन्होंने सोचा कि वे भी यूपीएससी की तैयारी करेंगे. कुलदीप का एमए का पहला साल उनके लिए काफी परेशानियों भरा था क्योंकि इस दौरान वे भ्रमित थे ओर ऐसी स्थिति में अपने जीवन की दशा तय नहीं कर पा रहे थे ओर इस वजह से काफी कुंठित भी थे.

कुलदीप सिंह किसी भी हालात में अपने गांव वापस नही जाना चाहते थे. उस स्थिति में उन्हें एक राह मिली जिस पर चलकर वे अपनी मंजिल को पा सकते थे.

पढ़ाई करने के दौरान ही साथ में कुलदीप ने चंडीगढ़ पुलिस की परीक्षा दी और इस परीक्षा में फिजिकल टेस्ट काफी कठिन होने के बावजूद वे बड़ी ही आसानी से उसमें सेलेक्ट हो गये क्योंकि वे बचपन से ही एक स्पोर्ट्स पर्सन थे. परीक्षा में पास होने के साथ ही साल 2005 में वे चंडीगढ़ पुलिस में एएसआई के पद पर चयनित हो गए.

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एएसआई की नौकरी के साथ की यूपीएससी की तैयारी

कुलदीप सिंह चहल ने एएसआई की अपनी नौकरी के साथ ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वे किसी भी स्थिति में अपनी नौकरी को छोड़ने का रिस्क नहीं लेना चाहते थे. कुलदीप सिंह पहले से ही यूपीएससी परीक्षा के कठिनाई स्तर से वे वाकिफ थे इसलिये उन्होंने नौकरी करने के साथ ही इसके लिए तैयारी करना शुरू किया.

कुलदीप सिंह नौकरी करते समय हमेशा अपने पास एक पिट्ठू बैग रखते थे, इस बैग में वे अपने साथ सदैव किताबें रखते थे. नौकरी के दौरान थाने में या कहीं भी जब भी कुलदीप सिंह को ख़ाली समय मिलता था तो वे तुरंत ही अपनी किताबें निकालकर पढ़ने लग जाते थे.

ऐसा वे इसलिए करते थे क्योंकि वे किसी भी स्थिति में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते थे. हालांकि इस प्रकार से तैयारी करने में उन्हें बहुत मेहनत ओर कठिनाई का सामना करना पड़ता था किंतु इसके बावजूद उन्होंने कभी भी कठिन परिश्रम करने से अपना मुंह नहीं मोड़ा.

तीन साल की कड़ी मेहनत, इच्छा शक्ति और सही दिशा में किए गए निरंतर प्रयासों से अंत में कुलदीप सिंह ने यूपीएससी के अपने तीसरे अटेम्पट में 82वीं रैंक हासिल करने के साथ ही यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल की.

कुलदीप सिंह चहल अपने पिता साधुराम की कही एक बात याद को याद करते हुए खूब हंसते हैं, उनके पिताजी को अपने जीवन में समझ ही नहीं आता था कि ये आख़िर यह आईएएस क्या चीज़ है ओर इसी नासमझी के चलते उनके पिताजी ने उनसे कहा था, की क्या ऐसा नहीं हो सकता कि तुम थानेदार भी बने रहो और उसी के साथ दूसरी नौकरी भी कर लो.

दरअसल उनके पिताजी के अनुसार पुलिस की सरकारी नौकरी ही उनके लिए बहुत बड़ी एचीवमेंट थी, ओर उस नौकरी को वे न छोड़े तो ही उनके लिए बेहतर होगा. ऐसे माहौल से निकलकर जब एक व्यक्ति अगर कोई बड़ी सफलता हासिल कर सकता है तो फिर उन कैंडिडेट्स को तो किसी भी स्थिति में अपनी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए जो एक पढ़े-लिखे बैकग्राउंड से आते हैं और जिन्हें परीक्षा की तैयारी के लिये अपने परिवार से हर प्रकार का सपोर्ट मिलता है.

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सपने आपको कभी चैन से सोने नहीं देते

कुलदीप सिंह चहल अपने जीवन में एपीजे अब्दुल कलाम की कही इस लाइन को सदैव याद रखते है, कि सपने वो नहीं होते जो अक्सर हम सोते समय देखते हैं, बल्कि सपने तो वो होते हैं जो आपको चैन से सोने नहीं देते.

कुलदीप सिंह अपने जीवन में इसी टैग लाइन को अपने जीवन का सबसे अहम मंत्र मानते हुए निरंतर सफल व्यक्ति बनने में लगे रहे और इस राह में वे तब तक नहीं रुके जब तक की उन्हें अपनी मंजिल नहीं मिल गई.

कुलदीप अपने बारे में बताते हैं कि उनके घरों में बहुत अधिक काम होता था, इतना ज़्यादा काम कि आप उसके बारे में सोच भी नहीं सकते. एक मजदूर हर दिन जितना काम करते हैं, उतना सब उन्होंने भी अपने बचपन में किया है.

उनके पास शुरू से ही पढ़ाई के अलावा कोई अन्य विकल्प था ही नही. ऐसी स्थिति में कुलदीप सिंह ने कठिन परिश्रम को चुनते हुए दिन-रात एक करके अपनी किस्मत के अक्षर को स्वयं बदला है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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