“हर असफलता के पीछे एक बड़ी सफलता छुपी होती है, जरुरत है तो केवल इतनी की अपनी हर असफलता से कुछ सीख लेने की“
DAMJI BHAI ANCHORWALA SUCCESS STORY : व्यक्ति के जीवन में हर काम में कुछ ना कुछ अड़चन जरूर आती है, कोई उसे रुकावट या बाधा मान कर पीछे हट जाता है और कुछ उसे सफलता के रास्ते का एक मात्र पड़ाव मान कर उससे एक नयी सीख लेकर आगे बढ़ चलते है. जब महान वैज्ञानिक ‘थॉमसन’ ने बल्ब का आविष्कार किया था तब उनके पहले 999 बल्ब असफल हुए थे, यदि वे अगला प्रयास नहीं करते तो शायद आज हमारे जीवन में प्रकाश नहीं होता. ‘सफलता हमेशा एक और प्रयास मांगती है।’
ANCHOR SWITCH के मालिक
यह उदाहरण बिलकुल सटीक बैठता है आज की कहानी के गुमनाम नायक ‘दामजी भाई’ (DAMJI LALJI SHAH) के जीवन पर, शायद दामजी ने भी अपने जीवन में असफलता से घबरा कर अपने कदम पीछे हटा लिए होते तो आज उनका बनाया इलेक्ट्रिक स्विच ब्रांड “एंकर” हर घर की शान नहीं बन पाता.
जी हां हमारे घरो में इलेक्ट्रिक बटन के रूप में उपलब्ध होने वाला स्विच दामजी भाई की सोच का ही नतीजा है, जिसने उन्हें 2500 करोड़ की कंपनी का मालिक बनाया. इतना सब कुछ होते हुए भी दामजी भाई बिलकुल ही सरल और शांत स्वभाव के धनी व्यक्तित्व वाले इंसान है.
DAMJI BHAI ANCHORWALA का जन्म ओर बचपन
दामजी भाई का जन्म साल 1939 में हिंदी फिल्मो के महान संगीतकार कल्याण जी – आनंद जी के गांव ‘कुंदरोड़ी’, गुजरात में हुआ था, उनके पिता – लालजी भाई अपने गांव में ही पैसो के लेन-देन का काम करते थे. दामजी भाई जब छोटे थे तब से वे बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहते थे, जब दामजी 6 साल के थे तभी उनके पिता अपने गांव से मुंबई आ गए और मुंबई के भाखला इलाके में ‘खातौ मिल’ के पास एक छोटी सी दुकान शुरू की.
उनकी दूकान के पीछे ही एक कमरा था जहा दोनों बाप बेटे रात में सोते थे, फिर एक साल बाद लालजी भाई ने पुनः अपने गांव लौटने का फैसला किया किन्तु बच्चो की शिक्षा के लिए कुछ समय बाद ही सपरिवार मुंबई लौट आये
DAMJI BHAI ANCHORWALA की EDUCATION
मुंबई के कच्छ समाज की ‘ओसवाल स्कूल’ में दामजी भाई का एडमिशन करवा दिया, जहा दामजी ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की इसी बीच उनके पिता ने मुंबई के ‘वर्ली’ एरिया में पार्टनरशिप में ‘कटलरी शॉप’ की शुरुआत की जहा दामजी और उनके बड़े भाई जाधव जी अपने स्कूल खत्म होने के बाद हर दिन शाम को ग्राहकी के समय शॉप पर जाया करते थे और अपने पिता की हेल्प किया करते थे, ऐसा करना दोनों भाइयो को बड़ा अच्छा लगता था साथ ही इस काम में मज़ा भी खूब आता था.
दामजी ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी कर आगे डॉक्टर बनने के लिए साइंस विषय को चुनते हुए मुंबई के ‘खालसा कॉलेज’ में दाखिला ले लिया, किन्तु होनी को शायद कुछ और ही मंजूर था, इसी बीच दामजी एक बार गंभीर बीमार पड़ गए जहा उन्हें लगभग दो माह तक हैदराबाद के अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा.
बीमारी के चलते दामजी का मन अब पढाई से हटकर बिज़नेस की और लगने लगा और अपनी पढाई को बीच में ही अधूरा छोड़ कर अपने बड़े भाई जाधव जी के साथ मिलकर नए काम की तलाश में जुट गए.
पड़ोसी के साथ मिलकर शुरू की KB INDUSTRIES
फिर उन्होंने वर्ष 1960 में अपने पड़ोस में रहने वाले बंगाली बाबू के साथ मिलकर मुंबई के मलाड एरिया में ‘बॉम्बे टॉकीज’ के पास 900 स्क्वायर फ़ीट की शॉप किराए पर लेकर ‘केबी इंडस्ट्रीज’ की शुरुआत की जहा वे इन्सटाल्ड डाइज़, मोल्ड और टूल मेकिंग मशीनरी का काम किया करते थे.
‘केबी इंडस्ट्रीज’ का पूरा नाम के – कच्छी और बी – बंगाली से था. लेकिन वह बिज़नेस ज्यादा दिनों तक नहीं चला इस बिज़नेस में दामजी के बड़े पिता वसनजी भाई भी शामिल थे, उन्हे एक साल के अंदर ही इस बिज़नेस को लॉक करना पड़ा.
इस प्रकार रखी गई ANCHOR SWITCH की नींव
इसी दौरान दामजी की शादी अपने गांव में ही हो गई थी, दामजी ने एक बार फिर से नए बिज़नेस की तलाश स्टार्ट की किन्तु इस बार वे अकेले ही अपने बिज़नेस को करना चाहते थे, उसी समय उन्हें पता चला की भारत में जो इलेक्ट्रिक स्विच लगाए जाते है उन्हें इटली से एक्सपोर्ट किया जाता है यहाँ से उन्हें अपने नए बिज़नेस का आईडिया मिला और इस प्रकार से ‘एंकर इलेक्ट्रिक’ का उदय वर्ष 1963 मुंबई में हुआ.
दामजी भाई ने जब स्विच बनाने का निर्णय लिया उस समय भारत में पुराने काले कलर वाले बटन का यूज़ होता था और दामजी ने फैंसी पियानो स्विच बनाए थे इन्हे सेल करने के लिए दामजी को बड़ी मेहनत करनी पड़ी. फिर एक दिन मुंबई के ‘लोहार चॉल’ में स्थित ‘दीपक इलेक्ट्रिक’ शॉप जिसके मालिक रसिक भाई थे से मुलाक़ात हुई.
यह सबसे बड़ा मार्किट था साथ ही रसिकभाई फैंसी स्विच के बड़े विक्रेता भी थे अतः उन्हें अपने प्रोडक्ट और बातो से इम्प्रेस कर के दामजी ने रसिकभाई के लिए ‘जगमग’ (Zagmag) नाम से स्विच बनाना स्टार्ट किया, किन्तु कुछ समय बाद ही दामजी को लगा की कुछ अपना ब्रांड होना चाहिए.
नए BRAND VICTOR की शुरुआत से ANCHOR का सफर
इसके बाद फिर UNHONHONE अपने नए ब्रांड ‘विक्टर’ (Victor) की शुरुआत की लेकिन उसे वे रजिस्टर्ड नहीं करवा पाए फिर नए नाम की तलाश शुरू हुई जो ‘एंकर’ नाम पर जाकर खत्म हुई, इसके बाद दामजी भाई ने अपने एंकर ब्रांड के तले ‘सागा स्वीट्चेस’ का प्रोडक्शन शुरू करते हुए उसकी मार्केटिंग भी की.
कुछ ही समय में उनका बिज़नेस चल पड़ा और टर्न ओवर 1100 करोड़ तक पहुंच गया.
आज उनका यह बिज़नेस प्रतिदिन रिकॉर्ड 4 लाख से ज्यादा स्विच का प्रोडक्शन करता है, वर्ष 2007 में जापान की कंपनी ‘पेनासोनिक’ ने ‘एंकर’ का अधिग्रहण कर लिया उस समय इसकी वैलुशन 2500 करोड़ से अधिक थी, यह सौदा दामजी भाई के पुत्र ‘अतुल’ द्वारा किया गया.
HEALTH AND BUTY CARE मे आजमाया हाथ
इसके बाद दामजी भाई ने एफएमसीजी क्षेत्र में ‘एंकर हेल्थ एंड ब्यूटी केयर’ नाम से अपना हाथ आजमाया यहाँ भी उन्हें अच्छी सफलता मिली, इसमें वे डेली रूटीन की वस्तुए बनाते है जिसका की टर्न ओवर 450 करोड़ के पार का है. इसमें दामजी भाई की मदद उनका छोटा बेटा संजय करता है.
दामजी भाई अपने नाम के पीछे एंकरवाला लगाते है, जबकि उनका असली सरनेम –‘मामनिआ’ (Mamania) है. दामजी भाई के जीवन की कहानी बड़ी ही रोमांचक और अद्भुद है जहा हमें हर कदम पर कुछ नया कर गुजरने की प्रेरणा मिलती है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…