Agneepath protest Bharat Bandh Today : केंद्र द्वारा घोषित अग्निपथ स्कीम को लेकर देशभर में पिछले कुछ दिनो से प्रदर्शन को रहे हैं और इसके विरोध प्रदर्शन को लेकर भारत बंद का भी आह्वान भी किया गया है. तो आज जानते हैं कि आखिर ये बंद होता क्या है….
भारतीय सेना में सैनिकों की भर्ती के लिए केंद्र की और से शुरू की गई अग्निपथ योजना (Agneepath Scheme) का पूरे देश में विरोध हो रहा है. इस कारण से प्रदर्शन को लेकर आज पूरे देश में भारत बंद का आह्वान किया गया है. भारत बंद (Bharat Bandh) के आह्वान के कारण बिहार से आज भी दिनभर कोई ट्रेन नहीं चलेगी.
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अलग-अलग पार्टियों के द्वारा भारत बंद के आह्वान करने से रेल प्रशासन चौकन्ना हो गया है. वहीं, दिल्ली से चलने वाले कई ट्रेनों को भी इस कारण से कैंसिल कर दिया गया है. कई स्थानों पर अग्निपथ स्कीम के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की वजह से जन-जीवन भी प्रभावित हो रहा है. झारखंड में तो स्कूलों को भी बंद रखा गया है.
इससे पहले भी कई बार भारत बंद का आह्वान किया जाता रहा है और कई बार इस बैंड का व्यापक असर भी देखने को मिलता है. इसी बीच, सवाल यह है कि आखिर ये बंद क्या है और इसके बारे में हमारा कानून क्या कहता है. क्या भारत बंद सही में अभिव्यक्ति की आजादी है और इसके बारे में कानून में क्या कहा गया है. आज जानते हैं भारत बैंड से जुड़ी बातों के बारे में…
क्यों करवाया गया ‘भारत बंद’?
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अगर आज के दिन हो रहे भारत बंद की बात करें तो यह बंद अग्निपथ स्कीम को लेकर किया जा रहा है. देश का एक बहुत बड़ा वर्ग केंद्र द्वारा जारी इस स्कीम के खिलाफ है और सेना में जाने के लिए तैयारी कर रहे कुछ युवा भी इस स्कीम का विरोध कर रहे हैं.
इसी कारण से कुछ दिन से देशभर में इसका बहुत ज़बर्दस्त विरोध हो रहा है और आज अलग अलग संगठनों ने भी भारत बंद का ऐलान किया है. इस कारण से कई शहरों में सुरक्षा बढ़ाई गई है इस दौरान देश में कई जगह प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं.
क्या होता है बंद और यह हड़ताल से किस प्रकार से है अलग?
दरअसल, बंद भी एक तरह से विरोध का तरीका है. बंद में आम लोगों से अपील की जाती है कि वो प्रदर्शन कर रहे उस वर्ग का साथ दें. इस प्रकार के बंद आदि से अक्सर सरकार पर दबाव बनाए जाने की कोशिश की जाती है. यह वैसे तो एक तरह से हड़ताल की तरह ही है, लेकिन इसके बावजूद यह हड़ताल से अलग भी है. बैंड को भी हड़ताल का एक रूप माना जाता है, लेकिन हड़ताल में सिर्फ़ वही वर्ग अपना काम रोकता है, जो इससे प्रभावित होता है ओर इसमें शामिल होता है.
हड़ताल में आम लोगों को इसमें शामिल नहीं किया जाता है और उनके साथ किसी प्रकार की जबरदस्ती नहीं की जाती है. उदाहरण के रूप में मान लीजिए अगर बैंकों के कर्मचारियों ने हड़ताल की है तो वो उस दिन काम नहीं करेंगे. हड़ताल के दौरान बैंक कर्मचारी दूसरे लोगों को इसमें शामिल होने के लिए बाधित नहीं करते है और इस कारण से आम जनजीवन इससे प्रभावित नहीं होता.
वहीं बंद में अलग व्यवस्था होती है. बंद में ना सिर्फ संगठन से जुड़े लोग किसी बात का विरोध करते हैं या शामिल होते हैं, बल्कि इस विरोध का आम जनता पर भी असर पड़ता है. बंद में आम लोगों को भी शामिल किया जाता है. जैसे आंदोलन करने वालों द्वारा लोगों से दुकानें बंद रखने के लिए कहा जाता है, लोगों को अपने काम पर नहीं जाने दिया जाता है और इस कारण सी जन-जीवन को प्रभावित किया जाता है.
क्या कहता है देश का क़ानून?
अब कानून के अनुसार जानते हैं कि आखिर हड़ताल और बंद को लेकर देश का कानून क्या कहता है. भारतीय संविधान के आर्टिकल 19 (1) (C) में हड़ताल को मौलिक अधिकार नहीं माना गया है, जो की देश के नागरिकों को अपनी बात रखने का खास अधिकार देता है. हालांकि, इसके तहत लोगों को अपनी बात रखने के लिए विरोध करने का अधिकार है.
वहीं, हड़ताल और बंद आदि के कानूनी या गैर कानूनी नहीं होने का फैसला इससे जनता के अधिकारों पर पड़ने वाले असर को ध्यान में रखते हुए लिया जाता है. वैसे आर्टिकल 19 के अनुसार स्पष्ट रुप से किसी निवासी या नागरिकों को हड़ताल, बंद या चक्काजाम आयोजित करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है. लेकिन, किसी भी प्रकार का विरोध गलत नहीं माना गया है.
बंद को लेकर क्या है देश का कानून?
आपको यह बता दें कि देश में शांतिपूर्ण तरीके से धरने, प्रदर्शन आदि किए जा सकते हैं. लेकिन, बंद की स्थिति इससे बिल्कुल अलग है. हालांकी देश के कानून में बंद को लेकर साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है. हालांकि, बंद को लेकर कोर्ट ने अपने पुराने फैसलों के बारे में कहा कि इससे दूसरे के अधिकारों को हनन होता है. अगर इससे दूसरे लोगों को परेशानी होती है तो इसका मतलब है कि यह गलत है. बंद के दौरान अगर सड़क रेल आदि को रोका जाता है तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक है.