“चेहरे तो समय के साथ सब बदल लेते है,लेकिन हालतों को बदलने वाला ही, हालातों की बात करता है I”
Success Story Of IAS Shikha Surendran: केरल राज्य देश में साक्षरता के मामले में देश भर में पहले स्थान पर है. आज की स्टोरी की नायिका शिखा सूरेंद्रन (IAS SHIKHA SURENDRAN) भी केरल की ही रहने वाली है.
जब शिखा अपनी यूपीएससी की प्रिपरेशन के बारे में बात करती हैं तो वह उससे संबंधित चीजों को इतना सरल बना देती हैं कि आपको उन्हें सुनकर ऐसा लगेगा कि कोई भी व्यक्ति इस परीक्षा को पास कर सकता है.
हालांकि इस बात से उनके द्वारा की गई मेहनत कम नहीं हो जाती परंतु दूसरे कैंडिडेट्स की बजाय शिखा की बातें कम से कम आगामी कैंडिडेटस के मन में यह हिम्मत जगाती हैं कि अगर आपका प्रयास सच्ची और सही दिशा में हो तो कोई भी इस परीक्षा में सफल हो सकता है.
शिखा यूपीएससी (UPSC) के बारे में कहती हैं, उनके पिताजी का सपना था कि उनकी बेटी इस क्षेत्र में जाएं परंतु इसके बावजूद उन्होंने कभी भी शिखा को इसके लिए फोर्स नहीं किया. हालांकि जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे पिताजी का सपना कब शिखा का भी सपना बन गया उन्हें खुद भी पता नहीं चला.
बचपन में शिखा सूरेंद्रन यह नहीं जानती थी कि डीएम या कलेक्टर कौन होता है पर बड़े होकर जब उन्हें इस क्षेत्र से जुड़ी हुई डाइवर्सिटी और प्रेस्टीज के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने मन में यह तय किया कि वे इस क्षेत्र में ही अपना कैरियर बनाएंगी.
चूंकि यूपीएससी की परीक्षा का नेचर बहुत ही अनप्रिडिक्टेबल है, इसलिए पहले उन्होंने बीटेक कम्प्लीट करके अपने आप को एक सेफ स्थान पर ले जाकर खड़ा किया ओर उसके बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की.
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IAS SHIKHA SURENDRAN ने कोचिंग से की यूपीएससी की शुरुआत
शिखा सूरेंद्रन ने अपनी तैयारी की शुरुआत दिल्ली से की उन्होंने दिल्ली में कुछ दिन दिल्ली रहकर कोचिंग ली. किंतु इसके बाद वे सेल्फ स्टडी पर निर्भर हो गईं.
शिखा सूरेंद्रन कोचिंग के बारे में कहती हैं कि यहां से स्टूडेंट को तीन बातों का पता चलता है कि उसे क्या पढ़ना है, उसे क्या नहीं पढ़ना है और उसे कैसे पढ़ना है.
कुल मिलाकर कोचिंग से आप गाइडेंस तो ज़रूर ले सकते हैं लेकिन तैयारी के लिए पढ़ाई आपको खुद ही करनी होती है जिसके लिए कि सेल्फ स्टडी बेस्ट है.
वे इस बारे में कहती हैं, यूपीएससी की तैयारी के लिए मैंने सबसे पहले कुछ महीने कोचिंग करके इस परीक्षा का नेचर समझा ओर फिर सेल्फ स्टडी की, सेल्फ़ स्टडी के लिए वे अपने घर केरल आ गईं थी.
आगे की पूरी तैयारी उन्होंने यहीं रहते हुए की. शिखा सूरेंद्रन इस बारे में कहती हैं, उन्हें चार महीने यूपीएससी का सिलेबस क्या है, उसे इसके लिए कैसे पढ़ाई करनी है, उसे कैसे पढ़ाई नहीं करनी है आदि के बारे में ठीक से समझने में लग गए थे.
हालांकि पहले प्रयास में उनका प्री में भी सिलेक्शन नहीं हुआ था. किंतु दूसरे प्रयास में न केवल उनका चयन हुआ बल्कि उनका नाम टॉपर्स की सूची में नाम भी शुमार हुआ.
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लिमिटेड रिसोर्स के द्वारा की तैयारी
शिखा सूरेंद्रन अपनी यूपीएससी की तैयारी के बारे में कहती हैं कि तैयारी के लिए स्ट्रेटजी बनाते समय आप किसी अन्य टोपर की कॉपी नहीं कर सकते परंतु उनकी स्ट्रेटेजी को देखकर आप एक सही दिशा ज़रूर पा सकते हैं.
हर किसी का आईक्यू लेवल अलग-अलग होता है जिसके अनुसार ही उन्हें अलग-अलग तैयारी करनी चाहिए. किसी स्टूडेंट को को कोई विषय पांच मिनट में समझ आ जाता है तो किसी को उसी को समझने में तीस मिनट लगते हैं. इस हिसाब से ही आप अपना टाइम-टेबल बनाएं.
शिखा सूरेंद्रन कहती हैं उन्होंने कभी भी एक दिन में चार-पांच घंटे से ज्यादा पढ़ाई नहीं की. हालांकि पहले अटेम्पट में उनकी सबसे बड़ी गलती रही पढ़े हुए का दोबारा रिवीजन न करना.
इससे उन्हें नुक़सान हुआ ओर वे पढ़ा हुआ भूल गईं. शिखा सूरेंद्रन दूसरे कैंडिडेट्स को भी यही सलाह देती हैं कि अपनी किताबें यानी रिसोर्स लिमिटेड रखें परंतु उन्हें बार-बार रिवाइज ज़रूर करें.
इस परीक्षा को पास करने के लिए लिखने की भी खूब प्रैक्टिस करें. रोज कम से कम दो आंसर ज़रूर लिखें, इससे आपका अभ्यास होगा. पूरी तैयारी करने के बाद अंत में मॉक टेस्ट दें ताकि आपको अपनी कमियां भी पता चल सकें और इससे आप पेपर हल करने की स्पीड भी बढ़ सके.
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ऑनलाइन टेस्ट सीरीज में कराया था इनरोल –
शिखा सूरेंद्रन तैयारी के बारे में कहती हैं, एक बार जब उनका कोर्स खत्म हो गया तो उन्होंने खुद को परखने के लिए ऑनलाइन टेस्ट सीरीज में इनरोल कराया था.
इसके बाद उन्होंने खूब टेस्ट दिए ताकि अपनी कमियों को वो समय रहते दूर कर सकें. वे कहती हैं कई बार उत्तर आने के बाद भी हम उसे इसलिए नही लिख पाते क्योंकि हमारी लिखने की प्रैक्टिस नहीं होती.
ऐसी स्थिति में हम या तो थक जाते हैं या पेपर छोड़ते हैं. इसके लिए जरूरी है कि आप रोज लिखने की प्रैक्टिस करें. बात साक्षात्कार की करें तो शिखा सूरेंद्रन ने इसके लिए भी मॉक इंटरव्यू दिए ताकी उनके अंदर से इंटरव्यू का डर पूरी तरह से निकल जाए और सेल्फ़-कांफिडेंस आ जाए.
अंत में शिखा सूरेंद्रन अपने माता-पिता और शिक्षकों की ब्लेसिंग्स को अपनी सफलता के पीछे का कारण मानती हैं. वे यह कहती हैं कि सही दिशा में ईमानदारी से प्रयास करने से कोई भी स्टूडेंट इस परीक्षा में सफल हो सकता है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…