“नारी एक और जहा अधर्म के नाश के लिए शक्ति-रूपा दुर्गा है, वही भोजनदात्री अन्नपूर्णा भी है।”
IAS TV ANUPAMA SUCCESS STORY : आईएएस अधिकारी सिस्टम का एक ऐसा अभिन्न हिस्सा होता है जहा पर उसे समाज के अपराधियों के साथ सख्ती के साथ पेश आना होता है वही लोगो और समाज की भलाई के कार्यो में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेना होता है, कुछ आईएएस ऐसे भी होते है जो इन दोनों कामो को बखूबी निभाते हुए सामंजस्य रखते हुए अपने कर्त्वयों का निर्वहन करते है।
कुछ ऐसा ही अद्बुत तालमेल बिठाया है आज की हमारी स्टोरी की एक सशक्त महिला आईएएस अधिकारी टी वी अनुपमा (IAS TV ANUPAMA) ने जहा उन्होंने समाज के दुश्मन मिलावट करने वालो के खिलाफ एक ऐसी मुहीम को छेड़ा की उनका वजूद ही मिट गया, साथ ही समाज के उत्थान के लिए भी कार्य करते हुए ‘स्वस्थ भोजन मिशन’ और आर्गेनिक कृषि की शुरुआत कर डाली उनके आईडिया में इतना दम था की राज्य सरकार को भी इसके लिए अपनी पॉलिसी में चेंज करते हुए उनका साथ देना पड़ा.
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IAS TV ANUPAMA का जन्म ओर EDUCATION –
टी. वी. अनुपमा का जन्म केरल के मलप्पुरम जिले के छोटे से गांव मारंचेरी में हुआ था, उनके पिता एक पुलिस इंस्पेक्टर और माता इंजीनियर है। अनुपमा शुरू से ही ‘फ्रंट बेंचर’ थी और शायद अपने बचपन से ही एक बड़ी अधिकारी बनना चाहती थी इसी वजह से उनका हर कदम जैसे अपनी मंजिल की और रहा था.
टी. वी. अनुपमा ने वर्ष 2002 में अपनी दसवीं की परीक्षा ‘विजयमाथा कॉन्वेंट हाई स्कूल’, पोन्नई से पूरी करते हुए 13वीं रैंक बनाई, इसके बाद फिर से इतिहास दोहराते हुए वर्ष 2004 में अपनी 12वीं की परीक्षा ‘सेंट क्लेयर्स हायर सेकेंड्री स्कूल’, थ्रीस्सुर से करते हुए 3वीं रैंक बनाई इसके बाद वर्ष 2007 में अपनी ग्रैजुएशन इंजीनियरिंग बिट्स पिलानी से की जहा उन्हें 92% मार्क्स प्राप्त हुए.
अपनी ग्रैजुएशन कम्पलीट करने के बाद टी. वी. अनुपमा अपने सपने को पूरा करने में जुट गयी और डेली 18 घंटो की पढाई कर मात्र 11 माह की तैयारी से वर्ष 2010 में अपने पहले प्रयास में देश में चौथी रैंक हासिल करते हुए सफलता प्राप्त की, अनुपमा भली-भांति जानती थी की यह तो मात्र शुरुआत है जीवन में आने वाले असली संघर्ष की जिसे आगे चलकर अनुपमा ने बखूबी निभाया.
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खाध सुरक्षा आयुक्त (फ़ूड सेफ्टी कमिश्नर) के पद पर कार्य –
आईएएस में चयनित होने के पश्चात टी. वी. अनुपमा को होम कैडर केरल ही दिया गया जहा वर्ष 2014 में उनकी पोस्टिंग राज्य में फ़ूड सेफ्टी कमिश्नर के तौर पर हुई और यही से शुरुआत हुई जमाखोरों और मिलावटखोरों के बुरे दिनों की जिसका अंत उनके पुरे सफाये के साथ ही हुआ.
जब उनका ट्रांसफर होने वाला था उस समय सामान के शिफ्टिंग के समय एक वाक्या हुआ जहा से उनके काम करने के अंदाज़े और आगामी होने वाले विस्फोट की चिंगारी जैसे भड़क उठी थी, वाक्या कुछ ऐसा हुआ की – अनुपमा ने स्वयं सामान शिफ्ट करना शुरू कर दिया. जब ये बात सीटू यानी सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन के संयोजक मुरली को मालूम पड़ी. तब उसने ज़बरदस्ती ही अनुपमा का सामान शिफ्ट करवाना शुरू कर दिया.
इस प्रकार जबरदस्ती सामान शिफ्ट करने के बाद वहां प्रचलित “नोक्कुकोली प्रथा” के अनुसार जो यूनियन और रजिस्टर्ड मज़दूर होते थे वे बाहर से आये मज़दूरों से काम करने का पैसा लेते थे, इसका हवाला देते हुए पैसो की डिमांड की जिस पर अनुपमा को पहले से ही चिढ थी, हद तो तब हो गयी, जब पैसे न देने पर उसने अनुपमा को धमकाते हुए उनकी दीवार पर अपना नंबर लिख दिया और पैसे देने के लिए इस नंबर पर संपर्क करने को कहा. इसके खिलाफ अनुपमा ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और उसे गिरफ्तार करवा डाला यह तो महज शुरुआत थी आने वाले दिनों की
इसके बाद तो अनुपमा ने जो मिलावट करने वालो के खिलाफ मुहीम छेड़ी और मात्र 15 दिनों के भीतर ही पूरे प्रदेश से उन्होंने खाद्य पदार्थों के 6000 मिलावटी सैंपल टेस्ट करने के लिए भेजे. फल सब्जियों की मंडी से लेकर खाने में इस्तेमाल होने वाले मसाले बनाने वाले ब्रांडों तक हर तरफ छापेमारी हुई.
आम आदमी के भोजन के साथ खिलवाड़ और खुली लूट को देखते हुए लगभग 750 लोगो के विरुद्ध केस दर्ज करवा कर उनका लाइसेंस रद्द करवा डाला इस मामले में तनिक भी पीछे ना हटते हुए बड़ी बहादुरी से नामी ब्रांड “निरापारा” को भी बैन किया.
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IAS TV ANUPAMA द्वारा आर्गेनिक खेती की शुरुआत –
इस काम के लिए सरकार से शाबाशी मिलने की बजाय सजा मिली और उनका ट्रांसफर फूड सेफ्टी कमिश्नर के पद से सोशल जस्टिस डिपार्टमेंट में डायरेक्टर का पद पर कर दिया किन्तु अनुपमा कहा रुकने वाली थी उन्हें आभास हो गया की मसालों की मिलावट को रोका जा सकता है.
किन्तु सब्जियों में कीटनाशक के उपयोग की कैसे रोका जाए इसके लिए अनुपमा ने पुरे राज्य भर में जनता को जागरूक करते हुए घर पर ही आर्गेनिक खेती कर सब्जिया उगाने का आईडिया दिया जिसका नतीजा यह हुआ की जो राज्य सब्जियों के लिए अपने पडोसी राज्यों तमिलनाडु और कर्नाटक पर निर्भर था अपने राज्य में ही 70% सब्जियों का उत्पादन करने लगा.
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मंत्री के खिलाफ बगावत –
वर्ष 2017 में 48वे कलेक्टर के रूप में जब अनुपमा ने ‘अलाप्पुझा’ कार्यभार ग्रहण किया उस समय राज्य के परिवहन मंत्री थॉमस चांडी के विरुद्ध रेवेन्यू प्रिंसिपल की रिपोर्ट के अनुसार भ्र्ष्टाचार के गंभीर आरोप थे, इसकी वजह से आखिरकार चांडी को इस रिपोर्ट के कारण इस्तीफ़ा देना पड़ा.
यही नहीं वर्ष 2018 में जब राज्य में अत्यधिक वर्षा की वजह से बाढ़ के हालात बने तब भी अनुपमा ने रेस्क्यू टीम के साथ मिलकर मौके पर जाकर लोगो को राहत पहुंचाई साथ ही बार एसोसिएशन द्वारा अपने कमरे नहीं देने पर भी स्वयं जाकर ताला तोड़ रसद सामग्री और लोगो के रहने की व्यवस्था की.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में भी अनुपमा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था जहा पर चुनाव पूर्ण होने के पश्चात वे खुद मतदान पेटिया ट्रक में लोड करवा रही थी. वाकई में अनुपमा जैसे आईएएस अधिकारियों की भारत के लोगो को शख्त जरुरत है हम आशा करते है भावी सभी युवा आईएएस अनुपमा की इस स्टोरी से प्रेरित होकर समाज के लिए अच्छा कार्य करेंगे.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…