“खामोशी से की गई मेहनत एक दिन जरूर शोर मचाती है।”
Success Story Of IAS Sanjita Mohapatra: यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में सफलता की यात्रा वैसे तो अधिक लंबी ओर उबाऊ होती है किंतु ओडिशा राज्य के राउरकेला, की रहने वाली संजीता माहापात्रा (IAS SANJITA MOHAPATRA) की यूपीएससी जर्नी कुछ अधिक ही लंबी और थका देने वाली रही है.
उनकी यूपीएससी के इस सफर में भले ही उनसे जुड़ा हुआ हर व्यक्ति हार मान गया हो परंतु इन सबके बावजूद भी संजीता ने कभी भी परिस्थितियों के सामने हार नहीं मानी. संगीता से परिवार ओर दोस्तों में से अधिकांश लोगों को यह लगने लगा था कि उनका यह सफर कुछ ज्यादा ही लंबा खिंच रहा है.
परंतु वे सब इस सफ़र के बारे में अधिक नही जानते थे किंतु संजीता इस बारे में अच्छे से जानती थी कि वे क्या चाहती हैं और जो कुछ वे चाहती हैं वह उन्हें इतनी आसानी से कभी भी नहीं मिल सकता. दरअसल संजीता मोहपात्रा ने सफलता के बाद दिए अपने इंटरव्यू के दौरान कई महत्वपूर्ण बातें बताईं. आइए जानते हैं उनकी सफलता की इस जर्नी के बारे में…
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IAS SANJITA MOHAPATRA की शिक्षा (Education)
संजीता का जन्म उड़ीसा के राउरकेला में हुआ था और यही से उनकी शुरुआती शिक्षा भी पूरी हुई. स्कूल की शिक्षा के बाद उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक की डिग्री हासिल की. वे अपने शुरुआती दिनो से ही पढ़ाई में अच्छी थी और उनके हर क्लास में बढ़िया अंक आते थे.
बीटेक की डिग्री लेने के बाद संजीता की जॉब लग गई और उनका सिलेक्शन एक अच्छी सरकारी में हो गया जहां पर उनके पास प्रतिष्ठा भी थी और उसके साथ पैसा भी था. कुछ साल तक उन्होंने यह नौकरी की लेकिन इस दौरान सदव उनके मन में उनके बचपन का अपना आईएएस बनने का उछाल मारता रहा था.
दरअसल संजीता ने बचपन से ही हमेशा से आईएएस बनने का सपना देखा था. उन्होंने इसके लिए कई बार प्रयास भी किया परंतु उन्होंने इसके लिए गंभीर होकर सिर्फ़ दो बार ही प्रयास किए और दूसरे प्रयास में उनका सिलेक्शन यूपीएससी में हो गया.
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कॉलेज ख़त्म करने के बाद दो बार प्रयास किया
संजीता एक इंटरव्यू में बताती हैं कि उनके शुरू के तीन प्रयास उन्होंने कॉलेज खत्म होने के तुरंत बाद ही दिये थे उनके द्वारा दिए हुए वे प्रयास बिलकुल बेकार ही चले गए क्योंकि उस समय वे इस परीक्षा को लेकर इतनी ज़्यादा गम्भीर नही थी ओर इस कारण से उनकी तैयारी भी ठीक नहीं थी.
वे उस समय यह समझ ही नहीं पाई थीं कि आखिर यह परीक्षा है क्या और इस परीक्षा को पास करने के लिए उन्हें किस स्तर के प्रयास करने पड़ेंगे. संजीता का पहले तीनों ही अटेम्पट्स में प्री भी क्लियर नहीं हुआ था.
उसके बाद उनकी नौकरी लग गई ओर वे नौकरी करने लग गईं और इस दौरान वे परीक्षा के पैटर्न को समझकर उसकी तैयारी करने में लगी रहीं पर इस दौरान उन्होंने अपने बाक़ी अटेम्पट्स नहीं दिए.
संजिता को उनके शहर में यूपीएससी की तैयारी के लिए ठीक से गाइडेंस नहीं मिल पा रहा था इसलिए उन्होंने इस परीक्षा से संबंधित छोटी से छोटी हर प्रकार की मदद इंटरनेट के माध्यम से ही ली.
एक समय के बाद उन्हें लगा कि नौकरी करते हुए उसके साथ यूपीएससी की तैयारी करना संभव नहीं है और इस कारण से उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया.
नौकरी छोड़ने के निर्णय के बीच संजिता की शादी भी हो गई. आखिरकार बहुत ही मुश्किल से भारी मन के साथ उन्होंने अपनी पहले वाली अच्छी सरकारी नौकरी छोड़ दी. उस नौकरी को छोड़ने के बाद से ही संजीता पूरी मेहनत के साथ यूपीएससी की तैयारी करने में जुट गईं.
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चोथा प्रयास भी हुआ असफल
संजीता के लिए यूपीएससी की तैयारी का समय काफी कठिन था क्योंकि चौथे प्रयास में पूरी तैयारी के बावजूद भी उनका सेलेक्शन यूपीएससी में नहीं हुआ इस बार उन्होंने काफी प्लांन्ड तरीक़े से अपने पूरे दिल के साथ यूपीएससी की तैयारी की थी. हालांकि इस असफलता के बावजूद उन्होंने पहली बार मेन्स लिखा था.
संजीता ने इस असफलता के बावजूद भी अपनी और से हार नहीं मानी थी और इसमें उनके ससुराल वालों ने भी उनका पूरा साथ दिया और एक बार फिर से वे सिविल सेवा के लिए तैयारी करने लगीं. साल 2019 में उनका पांचवां अटेम्पट था जिसमें वे अंततः सफल हुईं.
संजीता अपनी इस सफट के बारे में कहती हैं कि इस बार उन्हें पूरी उम्मीद थी की में सफल हो जाऊंगी परंतु मेरी रैंक दस आएगी यह मैंने कभी अपने सपने में भी नहीं सोचा था. उनके लिए यह रैंक किसी सरप्राइज से कम नहीं था. संजीता ने अपनी प्रारंभिक ओर अधिकांश बेसिक तैयारी एनसीईआरटी (NCERT) कि किताबों से की है.
यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने न्यूज पेपर पढ़ना और एनसीईआरटी की किताबों को पढ़ना बहुत पहले ही शुरू कर दिया था.
उन्होंने यह सब उस समय पढ़ना शुरू कर दिया था जब बाकी तैयारियों का कही नामों-निशान भी नहीं था. इससे उन्हें बाद में तैयारी के दौरान बेसिक्स के साथ बहुत अधिक नहीं जूझना पड़ा.
इंजीनियरिंग बैकग्राउंड की होने के बावजूद संजीता माहापात्रा ने अपना ऑप्शनल सोशियोलॉजी चुना क्योंकि यह सब्जेक्ट उन्हें शुरू से ही पसंद था. इसकी थ्योरी की तैयारी के लिए उन्होंने कुछ दिन कोचिंग भी ली लेकिन बाकी सेल्फ स्टडी से ही तैयारी करते हुए काम चलाया.
2018 और 2019 दोनों ही अटेम्पट के दौरान उन्होंने कुछ दिन दिल्ली में रहकर टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करते हुए अपनी तैयारियों को और अधिक अच्छा करने की कोशिश की.
तैयारी के दौरान करीब तीन महीने एक बिना खिड़की के कमरे में अकेले रहते हुए खाने में बस कुछ भी हल्का खा लेना उनके रूटीन का हिस्सा बन था. वे बताती हैं कि मैं खुद को सिर्फ़ यही बात समझाती थी कि बस तीन महीने की ही तो बात है. संजीता ने यूपीएससी की तैयारी के लिए मॉक टेस्ट दिए, टेस्ट सीरीज ज्वॉइन की और अंत में मॉक इंटरव्यू भी दिये. वे इन सभी को बहुत अधिक महत्व देती हैं.
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संजीता की फ्यूचर एस्पिरेंट्स के लिए सलाह
फ्यूचर एस्पिरेंट्स को संजीता यही सलाह देती हैं कि यूपीएससी की यह जर्नी बहुत लंबी होती है और यहां अंत तक आते-आते आपके अपने सिवाय कोई और साथ नहीं बचता. इसलिए आप इस जर्नी के दौरान स्वयं को स्वयं ही मोटिवेट करते रहें, क्योंकि कोई दूसरा आपके लिए यह काम कभी भी नहीं कर पाएगा.
जब आप यह परीक्षा देने का फैसला लेते हैं तभी आपको इस बारे में सब-कुछ पता होता है कि यह देश की सबसे कठिन परीक्षा है तो जाहिर है कि इसमें सफलता भी आसानी से या बिना कठिनाइयों के नहीं मिलेगी.
इसलिए जब कभी भी आपकी राह में मुश्किलें आएं या सफलता मिलने में देर लगे तो हिम्मत न हारें और इसे अपने सफर का हिस्सा मानकर चलें. संजीता जब भी नोट्स बनाती थीं और यह हमेशा ध्यान रखती थीं कि वे क्रिस्प हों ताकि आसानी से उनका रिवीजन किया जा सके.
इसके अलावा आंसर राइटिंग की प्रैक्टिस अधिक से अधिक करे, ऐस्से और एथिक्स के पेपर को हमेशा बराबर महत्व दे, मॉक पेपर दे, मॉक इंटरव्यू अधिक से अधिक दे. संजिता ने भी अपने ऊपर भरपूर भरोसा रखते हुए यही सब-कुछ कर इस परीक्षा में सफलता हासिल की है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…