यू तो हर किसी के जीवन मे कुछ ना कुछ समस्या होती है, कुछ लोग पूरा जीवन उसी समस्या के साथ गुजार देते है, वही कुछ लोग उन समस्या का सामना बड़ी दिलेरी से करते हुए उसमे संभावना देखते है.
वही कुछ लोग समय ना होने का रोना जिंदगी भर रोते रहते है, वही कुछ लोग अपने सपनों के लिए समय निकालकर उसमे कुछ ऐसा कर गुजरते है, कि लोग दंग रह जाते है.
IAS PRADEEP SINGH MALIK SUCCESS STORY : कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है हरियाणा राज्य के सोनीपत जिले के एक छोटे से गाँव तेवड़ी के किसान परिवार मे जन्मे आईएएस प्रदीप सिंह मलिक (IAS PRADEEP SINGH MALIK) ने, इस वर्ष की यूपीएससी परीक्षा मे उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया है.
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PRADEEP SINGH MALIK का बचपन का जीवन –
प्रदीप सिंह मलिक का जन्म एक बहुत ही साधारण से किसान परिवार में हुआ. जहा उनका सम्पूर्ण परिवार ही खेती-बाड़ी करता है. उनके पिता – सुखबीर सिंह मलिक अपने गाँव के दो बार सरपंच (वर्ष 2000-2005 एवं 2010-2015) रह चुके है.
प्रदीप सिंह मलिक के परिवार मे सभी संयुक्त रूप से रहते है. उनकी माता- शीला देवी कम पढ़ी-लिखी है. लेकिन माता-पिता ने अपने तीनों बच्चों को बचपन से ही शिक्षा का महत्व समझा दिया था, ओर हमेशा उसके लिए प्रोत्साहित भी करते रहते थे.
प्रदीप सिंह मलिक के एक भाई – अजित सिंह B.Tech कर एक इन्श्योरेन्स कंपनी मे सर्वेयर के पद पर काम करते है. उनकी बहिन – मनीषा ने अपनी पढ़ाई M.Sc तक की है.
प्रदीप सिंह मलिक की 8वी तक की पढ़ाई गाँव के स्कूल मे ही हुई. उसके बाद बच्चों की पढ़ाई एवं बेहतर भविष्य के लिए पूरा परिवार सोनीपत आ गया जहा उन्होंने अपनी 12वी तक की शिक्षा “शभुदयाल मॉर्डन स्कूल”, सोनीपत से की, जहा उन्होंने स्कूल मे टॉप किया था.
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यूपीएससी का कठिन सफर –
प्रदीप सिंह ने अपनी 12 वी कक्षा के बाद सिम्पल ग्रेजुशन किया ओर नौकरी की तलाश मे जुट गए. लेकिन उनके पिता ओर मित्रों ने उन्हे पढ़ाई मे अव्वल होने की वजह से सिविल सर्विसेज़ मे जाने की प्रेरणा दी, साथ ही उनके पिता ओर दादा का सपना था की उनका प्रदीप एक दिन आईएएस ऑफिसर बनकर गाँव ओर देश का नाम रोशन करे.
उन्हे बचपन से ही सामान्य ज्ञान मे रुचि थी, इसलिए उन्हे कोई ज्यादा प्रॉब्लम नहीं आएगी ऐसा उनका सोचना था. उन्होंने अपनी कोचिंग करते हुए परीक्षा दी लेकिन अपने पहले दो प्रयासों मे वे प्री एग्जाम भी क्लीयर नहीं कर पाए. इससे निराश ओर हताश हो, एक बार उन्हे लगने लगा की ये उनके साथ क्या हो रहा है.
पिछले वर्ष 2018 मे अपने तीसरे प्रयास मे पूरी मेहनत और स्व-अध्ययन करते हुए एक बार फिर से परीक्षा दी. जिसमे उन्हे देश मे 260वी रैंक हासिल की. वर्तमान मे वे इंकम टैक्स विभाग,दिल्ली मे कार्यरत है.
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टाइम-मनेजमेन्ट से मिली सफलता –
प्रदीप सिंह आईआरएस अफसर तो बन गए लेकिन उनके दादा का सपना तो उन्हे आईएएस ऑफिसर बनते हुए देखना था. उसी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने चौथे एवं अंतिम प्रयास मे अपनी 9 से 6 तक की जॉब के साथ टाइम को मैनेज करते हुए अपनी तैयारी की.
एक बार तो उन्हे लगा की नौकरी छोड़कर तैयारी की जाए लेकिन परिवार के आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे साथ परिवार वे एकमात्र ही गवर्नमेंट जॉब मे थे. इसलिए उन्होंने जॉब के साथ ही अपने आप को तैयार किया.
वे बताते हुए कहते है कि कभी भी पढ़ाई करते समय एक दिन या कुछ घंटों की प्लानिंग ना करे, जब भी टाइम-टेबल बनाए उसे साप्ताहिक रूप से मैनेज करे इससे कभी आप डिमोरलाइज़ नहीं होते ओर ना ही किसी दिन कम या कुछ घंटे ना पढ़ पाने की टेंशन रहती है. हा जरूर जैसा बनाए उसे फॉलो जरूर करे.
इसी तरह से उन्होंने भी अपने जॉब के साथ साथ जब भी टाइम मिलता ऑफिस जाने से पहले, लंच-टाइम मे, ऑफिस का अपना काम जल्दी निपटा कर एवं घर पर आने के बाद उन्होंने अध्ययन करते हुए परीक्षा दी.
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PRADEEP SINGH को रिजल्ट की जानकारी दोस्त से मिली –
मंगलवार 4 अगस्त 2020 को जब परिणाम घोषित हुआ तब वे घर पर ही आराम कर रहे थे, उन्हे रिजल्ट की कोई जानकारी नहीं थी. उनके दोस्त ने उन्हे इसकी जानकारी देते हुए बधाई दी ओर बताया की उन्होंने देश मे टॉप किया है. एक बार तो उन्हे भी यकीन नहीं हुआ, दोस्त से दो बार कन्फर्म करने के बाद इसकी जानकारी अपने पिता को दी जो उस वक्त किसी काम से गाँव तेवड़ी गए हुए थे.
पिता द्वारा रैंक के बारे मे पूछने पर –
अपने पिता को फोन कर जानकारी देते हुए उन्होंने बोला की वे परीक्षा मे अच्छे नंबरो से पास हो गए है. उनके पिता द्वारा जब रैंक के बारे मे पूछा गया तब उन्होंने बोला की उन्हे क्या लगता ही कि कोनसी रैंक बनी होगी, तब पिता ने जवाब दिया की उन्हे लगता है कि इस बार उनका बेटा आईएएस बन गया है.
जब उन्होंने टॉप करने की जानकारी दी तो पिता को भी यकीन नहीं हुआ लेकिन उन्होंने कहा की उन्हे विश्वास जरूर था की इस बार की मेहनत से उनका ओर दादा का सपना जरूर पूरा होगा.
प्रदीप सिंह हरियाणा कैडर मे रहते हुए किसानों एवं गरीबों के लिए काम करना चाहते है.