“तब तक अपने काम पर काम करें जब तक की आप सफल नहीं हो जाते I”
IAS KANISHAK KATARIA SUCCESS STORY : आज की कहानी के मुख्य किरदार कनिष्क कटारिया (IAS KANISHAK KATARIA) की कहानी बहुत ही अनोखी है क्योंकि देश की सबसे कठिन परीक्षा यूपीएससी (UPSC) को हर स्टूडेंट किसी तरह से पास करना चाहता है किन्तु कनिष्क ने यूपीएससी के अपने पहले प्रयास मे ही ऑल इंडिया 1 रैंक हासिल की जो की अन्य स्टूडेंट के लिए एक सपना है.
कनिष्क बचपन से ही हमेशा से पढ़ाई में बहुत अच्छे थे उनको मैथ्स की पढ़ाई करना अच्छा लगता था क्योंकि वह उनके लिए खेल जैसी थी. कनिष्क ने अपने बचपन से ही बहुत सारे एचीवमेंट्स हासिल किए परंतु इन्होंने शुरू से कभी भी यूपीएससी में जाने के बारे मे नहीं सोचा. फिर अचानक से ऐसा क्या हो गया जो उन्होंने विदेश में अपनी हाई-पेड जॉब छोड़कर भारत आने ओर यूपीएससी की परीक्षा देने का निर्णय लिया, चलिए जानते है.
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IAS KANISHAK KATARIA का बचपन
कनिष्क का जन्म आईएएस ऑफिसर संवर लाल वर्मा के घर पर हुआ था. इनके पिता के अलावा इनके ताऊजी के सी वर्मा भी सिविल सर्वेन्ट है. घर मे दो-दो सिविल सर्वेन्ट होने के कारण कनिष्क ने बचपन से ही अपने घर में एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस वाला माहौल देखा था और शायद इसीलिए इन्हे एक आईएएस अधिकारी के रुतबे या क्षमताओं से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता था.
जो चीज़ें आसानी से मिल जाती हैं अक्सर उनकी कीमत समझ नहीं आती. ऐसा अक्सर देखने को मिलता है की जो चीज किसी व्यक्ति को आसानी से मिल जाती है उसकी कीमत की समझ उसे नहीं होती है, कुछ ऐसा ही कनिष्क के साथ भी हुआ वे बड़े होकर आईएएस ऑफिसर बनने की बजाय कोई और काम करना चाहते थे.
जहा एक ओर कनिष्क आईएएस से हटकर कुछ अलग करना चाहते थे वही उनके पिताजी का मन था कि कनिष्क भी एक आईएएस ऑफिसर ही बनें परंतु कनिष्क ने इसे कभी भी गंभीरता से नहीं लिया.
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IAS KANISHAK KATARIA की EDUCATION
कनिष्क कटारिया के पिताजी की पोस्टिंग कोटा के आसपास होने के कारण इनकी शुरुआती पढ़ाई कोटा से हुई. इन्होंने अपनी 12 वीं कक्षा सेंट पॉल्स स्कूल से पास की. इसके बाद इन्होंने कोचिंग करते हुए जेईई का एक्जाम दिया और पहली ही बार में 44वीं रैंक के साथ इनका सिलेक्शन हो गया.
इन्होंने अपनी आईआईटी के लिए आईईटी बॉम्बे को चुना और वहां से कंप्यूटर साइंस में बीटेक किया. कनिष्क शुरुआत से ही मैथ्स में कमाल थे. इन्होंने अपनी 10 वीं ओर 12 वीं दोनों में मैथ्स मे 100 नंबर प्राप्त किए थे इसी के साथ ही इन्होंने ओलम्पियाड में भी ऑल इंडिया रैंक 01 प्राप्त की. कनिष्क के आईआईटी करने के तुरंत बाद ही इनका प्लेसमेंट साउथ कोरिया की एक बड़ी कंपनी में अच्छे पैकेज पर हो गया.
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विदेश मे नौकरी से नहीं मिला सैटिस्फैक्शन
अक्सर कई लोगों का सिलेक्शन तो बड़ी कंपनी मे हो जाता है किन्तु उसके बावजूद वे अपने काम से सैटिस्फाइ नहीं हो पाते है. कनिष्क के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ ओर अच्छी जॉब मिलने पर वे विदेश तो चले गए ओर वहा पर लगभग एक साल काम भी किया परंतु इस दौरान पैसे के अलावा इनको अपनी नौकरी से किसी प्रकार की संतुष्टि नहीं मिल रही थी.
काफी विचार करने के बाद वे फिर से इंडिया आ गए ओर बेंगलुरू की एक कंपनी में नौकरी करने लगे. इस दौरान जॉब के सिलसिले मे जब भी इनका दिल्ली जाना होता तो वहा पर ट्रैफिक की वजह से इन्हे घंटों कैब में ही फंसे रहना पड़ता. इस स्थिति मे कनिष्क के मन में यह ख्याल आते थे कि भारत मे आज भी विदेशों की तुलना में सुविधाओं का काफी अभाव है. अगर हमारे यहा के लोग समस्याओं पर सही तरीके से ध्यान दे तो इनका समाधान बहुत ही आसान है.
इस बारे मे काफी सोच-विचार करने के बाद इन्हे लगा कि सिर्फ यहां खाली बैठकर सिस्टम को कोसने से कुछ नहीं होगा बल्कि अगर हमे सच में सिस्टम को बदलना ही हैं तो हमें भी सिस्टम का हिस्सा बनते हुए अपने स्तर पर इसके लिए प्रयास करने होंगे. इस तरह बहुत विचार करने के बाद आखिर एक दिन कनिष्क ने अपने परिवार से चर्चा की और परिवार से राय लेने के बाद यूपीएससी की परीक्षा देने का मन बना लिया.
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कनिष्क विदेश जाने से पहले भी दे चुके थे यूपीएससी का एक अटेम्पट
कनिष्क ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा की वे विदेश मे नौकरी के लिए जाने से पहले भी एक बार यूपीएससी का अटेम्पट दे चुके है, असल मे हुआ यह की कनिष्क के पिता ने उनसे पूछे बिना ही उनका यूपीएससी का फॉर्म भर दिया ओर परीक्षा से एक दिन पहले ही पता चला की उन्हे कल परीक्षा देने जाना है.
कनिष्क के पिता द्वारा ऐसा करने के पीछे का कारण यह था कि वे चाहते थे की कनिष्क एक बार यूपीएससी के लिए ट्राय तो करें. उनके पिताजी को उस समय यह लगा की इस परीक्षा के लिए अभी भी पहले वाला ही पुराना पैटर्न है. पापा के कहने पर उनका मन रखने के लिए कनिष्क परीक्षा देने के लिए तो चले गए किन्तु जीएस में बहुत कमजोर होने के कारण वे एग्जाम हॉल मे सिर्फ सोकर वापस आ गए.
ऐसे मे साफ था की कनिष्क द्वरा दी गई यह परीक्षा पास होनी ही नहीं थी. समय के साथ यह बात आई-गई हो गयी और बाद मे कनिष्क विदेश चले गए. यही कारण है कि वे अपने इस अटेम्पट को गिनते ही नहीं है. जब विदेश से वापस आकर इन्होंने गंभीरता से इस परीक्षा के बारे में सोचा ओर डेढ़-दो साल तक अपना पूरा समय लगाकर यूपीएससी की जमकर तैयारी की. और अपने पहले ही अटेम्पट में कनिष्क न केवल सेलेक्ट हो गए बल्कि ऑल इंडिया पहली रैंक भी हासिल की.
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IAS KANISHAK KATARIA की UPSC STRATEGY
कनिष्क UPSPC परीक्षा की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स को यह सलाह देते हैं कि आपको तैयारी के दौरान कई लोगों से सलाह मिलेगी, ऐसे मे आप सुनो सबकी, किन्तु स्ट्रेटजी अपनी वीकनेस और स्ट्रांग बिंदुओं को ध्यान मे रखते हुए बनाओ, किसी टॉपर को या उसके इंटरव्यू को देखकर उस कॉपी मत करो.
यूपीएससी के लिए सबकी जरूरतें अलग होती हैं, ऐसे मे एक ही स्ट्रेटजी से हर स्टूडेंट सफलता नहीं पा सकते. जैसे कि कनिष्क की जीएस बहुत ज्यादा कमजोर थी. अपनी इसी कमजोरी को ध्यान मे रखते हुए इन्होंने परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत पहले से पेपर पढ़ना और करेंट अफेयर्स की तैयारी करना शुरू कर दिया था.
कनिष्क को मैथ्स मे किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई किन्तु इसके विपरीत इन्हे बाकी विषय जिनसे कि वे 11 वीं क्लास से जान बचाकर भाग रहे थे, उन्हें फिर से उन्हे चुनना पड़ा. आप इससे यह सिख सकते है कि जीवन में जब कुछ बड़ा एचीव करना होता है तो आपको अपनी पसंद-नापसंद को पीछे छोड़ते हुए लक्ष्य पर निगाह रखनी होगी.
कनिष्क ने यूपीएससी की तैयारी के दौरान दिन-रात मेहनत की. इन्होंने शुरुआती दिनों में कम से कम आठ घंटे और परीक्षा के पहले 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई की. इस दौरान इन्होंने अपनी गलतियों पर फोकस करते हुए, विशेषज्ञ द्वारा इस बारे मे गाइडेंस लिया. यूपीएससी परीक्षा के दौरान केनिष्क ने अपना सम्पूर्ण ध्यान सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया ओर वह कर दिखाया जिसके बारे मे इनके माता-पिता यहा तक कि उन्होंने खुद भी अपने सपने में नहीं सोचा था.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…