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NISHANT MITTAL : किस प्रकार से कॉलेज के छात्रों ने शून्य से शुरुआत कर खड़ी की 50 करोड़ की कंपनी

“टालने वाले नहीं, कुछ करने वाले दुनिया में आगे बढ़ते है।”

NISHANT MITTAL SUCCESS STORY : आज के जिस युग में हम रह रहे है वहां गला-काट प्रतिस्पर्धा है. इस प्रतिस्पर्धा की दुनियाँ में एक नौकरी के लिए हजारों लोगों की लाइन लगी है. वही दूसरी और आर्टिफिशल इनैलिजेन्स के कारण स्थिति और भी अधिक धुंधली होती जा रही है क्योंकि इससे हमारे यहाँ पर काम करने वाले मैन पावर की ज़रुरत और भी कम होती चली जा रही है.

आज के समय में बढ़ते हुए मशीनी युग में न केवल हाथ से काम की ज़रुरत को और कम अधिक कम किया जा रहा है, बल्कि हर बेहतर तकनीक के आने से पहले से कार्य कर रहे कर्मचारियों को काम से निकाले जाने की भूमिका भी बनती जाती है.

इन्ही परिस्थितियों के चलते “द टेस्टामेंट” (The Testament)  का जन्म हुआ. यह एक ऐसा तकनीक ट्रेनिंग सेंटर है जिसमें लोगों की स्किल को निखारा जाता है. और यह सब “द टेस्टामेंट” के सह-संस्थापक निशांत मित्तल (NISHANT MITTAL) के नेतृत्व में किया जाता है.

अधिकांश समय यह देखा जाता है कि दूसरे दर्जे के कॉलेज से पास होने वाले विद्यार्थियों के प्रति पहले से ही यह धारणा बना ली जाती है कि वे अपने जीवन में आगे चलकर बहुत अच्छा नहीं कर पाएंगे. ऐसे ग्रेजुएट के बारे में सिर्फ़ यह कहा जाता है कि इनके नसीब में सिर्फ़ नौ से पांच बजे की नौकरी नसीब होती है.

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The Testament

NISHANT MITTAL ने कॉलेज के दोस्तों के साथ बिजनेस शुरू किया

परंतु निशांत मित्तल ने ऐसा सोचने वालों को अपनी राय बदलने पर मजबूर कर दिया है. निशांत ने अपने दो कॉलेज के दोस्तों अवनीश खन्ना और कुमार संभव के साथ मिलकर एक बिज़नेस करने की सोची.

उस दौरान उनके कॉलेज ने यह वादा किया था कि वे भी उनके बिजिनेस आइडिया को शुरू करने में मदद करने के लिए उसमें कुछ फण्ड लगाएंगे. इस तरह से उनकी टीम को राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों में भी जगह मिल गई. किंतु बहुत जल्द ही उनके सपने उस समय बिखर गए जब उनके कॉलेज ने अपने वादे से से पीछे हटने का निश्चय किया.

इस प्रकार के बड़े धोखे के बाद उनके मन में एक बार तो आया की क्यों न वे नौकरी कर ले इससे उनका भविष्य तो सेफ़ रहेगा. किंतु इसी के साथ वे अपने मन से यह बात भी जानते थे कि उनका यह आयडिया रूपी बीज आगे चलकर एक परिपक़्व बिज़नेस-वृक्ष में बदलने की क्षमता रखता है. अंत में उन्होंने अपने बिज़नेस में बिना किसी बाहरी फंडिंग के अपने परिवार के सहयोग से ही इसे शुरू किया. ओर इस प्रकार से “द टेस्टामेंट” कंपनी का जन्म हुआ.

THE TESTAMENT रोज़गार उत्पन्न करता है

द टेस्टामेंट बिना किसी बाहरी व्यक्ति की मदद लिए ही धीरे-धीरे वृद्धि करने लगा. इस कंपनी की तरक़्क़ी उनके संस्थापक की कड़ी मेहनत और लगन का ही नतीजा थी. द टेस्टामेंट के पहल की सबसे बड़ी खूबी यह थी की लोगों के लिए अधिक नौकरी उत्पन्न करना और बेरोजगारी को ख़त्म करना.

लोगों के अंदर स्किल न होने के कारण अपनी नौकरी से हाथ धो बैठना जैसे एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया बन गई थी, ओर उसकी रोकथाम संभव नहीं हो पा रही थी. द टेस्टामेंट प्रोग्राम की जरुरत थी कि वह अधिक लचीली हो और उनके कर्मचारियों को पुरुस्कृत करने के साथ-साथ अपनी नौकरी को बचाये रखने का हुनर भी सिखाये.

द टेस्टामेंट प्रोग्राम लोगों को अपनी टेक्निक्स में पहले से अधिक स्मार्ट होने की ट्रेनिंग देता था और इसी के साथ वह उनकी स्किल को भी लगातार निखारने की ट्रेनिंग देता है. इस सॉफ्टवेयर के द्वारा समय-समय पर क्विज करवाया जाता है जिससे ट्रैनीज ने ट्रेनिंग के दौरान क्या सीखा है इसकी परीक्षा भी हो जाती है.

इस तरह से वे हमेशा अपडेटेड रहने लगे और किसी भी टेक्निकल कंपनी के लिए, यहाँ तक कि फ्रीलांसिंग के लिए भी तैयार रहने लगे. उनका यह आयडिया हिट हो गया ओर उन्होंने यह महसूस किया कि इसके द्वारा बेरोजगारी में कमी आई है.

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The Testament

भारत में बढ़ रही बेरोज़गारी की दर

हमारे देश में जिस गति से बेरोजगारी की दर बढ़ रही है उससे देश की अर्थव्यवस्था लगातार नीचे चली जा रही है. वर्तमान समय में भारत की जीडीपी दर अमेरिका के जीडीपी के दसवें भाग के बराबर है, और चीन से लगभग आठवें भाग के बराबर. अमेरिका की तुलना में हमारे देश में बेरोज़गारी की दर दस गुना अधिक है.

इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए द टेस्टामेंट अपने ट्रैनीज को विश्व स्तरीय ट्रेनिंग प्रदान कर रहा है और उनकी क्षमता को पहले की तुलना में कई गुना अधिक निखार रहा है ताकि वे इंटरव्यू का सामना करते समय नर्वस न हो और स्तरीय प्रदर्शन कर सकें.

शून्य लागत से शुरू हुई इस स्टार्ट-अप का भविष्य का लक्ष्य है कि वह आने वाले समय में अपने रेवेन्यू के साथ-साथ अपने ट्रैनीज की संख्या में भी बढ़ोतरी करे. वर्तमान में द टेस्टामेंट 40 शहरों में लगभग 1000 लोगों को ट्रेनिंग दे रहा है. अगले पांच सालों में इसे बढ़ाकर दस लाख तक करने की कोशिश है. इस वर्ष 2019 में उनका टर्न-ओवर 6.7 मिलियन डॉलर का था.

बड़ी-बड़ी कंपनियो में दे रहे है अपनी सेवाए

“यह संस्था फोर्ड, जनरल मोटर्स, मारुती, सुजुकी, यूबीएम, मेस्से और उबर, क्विकर, त्रिपदा, अर्बन क्लैप, स्वजल और जीएमएएस जैसी बड़ी कंपनियों को भी अपनी सेवाएं दे रहा है.

“यह एक सबसे बड़ा मिथ है कि जो बिज़नेस फ़ंडेड नही होता है वह वृद्धि नहीं करता है. एक बिज़नेस अपने अच्छे मॉडल के द्वारा बिना फंड के भी वृद्धि करता है और खुद से फण्ड भी उत्पन्न कर लेता है. —

निशांत

अपनी उपलब्धि के बारे में बात करते हुए निशांत मित्तल कहते हैं कि केवल अच्छे कॉलेज से पढ़े हुए लोग ही इस दुनियाँ में सब कुछ हासिल नहीं करते. बल्कि यदि आपके पास एक अच्छा बिज़नेस मॉडल है तो सही गाइडेंस के साथ आप एक बड़ा बिज़नेस खड़ा कर सकते हैं.

अच्छे बिजनेस में यह बात मायने नही रखती की आप अपने निवेशकों के साथ कितने अधिक दोस्ताना हैं बल्कि यह बात महत्त्व रखती है की आपके पास कौनसी स्किल है. अगर आपके पास में कोई स्किल है तो रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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