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AMAZING FACTS ABOUT FOG : कोहरा, कुहासा, धुंध किस चीज के बने होते हैं जिससे सबकुछ धुंधला दिखने लगता है?

AMAZING FACTS ABOUT FOG : आपने बचपन में यह तो जरूर पढ़ा होगा कि गैस से द्रव में बदलने के लिए पानी को गैस रहित सतह की आवश्यकता होती है. अक्सर किचन की रसोई में प्रेशर कुकर के संदर्भ में हम ऐसा उदाहरण देखते हैं.

fog in winter

AMAZING FACTS ABOUT FOG :

सर्दियों में आपने देखा होगा की अक्सर सुबह, शाम और रात में घना कोहरा छा जाता है. वैज्ञानिक तौर पर बूंदों के रूप में संघनित जलवाष्प के बादल को ही कोहरा कहा जाता है. जैसे-जैसे सर्दियां बढ़ती है वैसे ही कोहरा और ज्यादा बढ़ने लगता है.

कोहरे की वजह से हम थोड़ी दूर तक भी साफ नहीं देख पाते हैं. लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर सर्दियों में ही कोहरा क्यों छाने लगता है? ओर कोहरा आखिर बनता कैसे है? आइए जानते हैं इसके पीछे का विज्ञान (Science of Fog and Smog) क्या है.

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सर्दियों में जब आर्द्र हवा ऊपर उठकर ठंडी होती है, तो जलवाष्प संघनित होकर जल की सूक्ष्म बूंदें बनाती हैं. इस कारण से अनुकूल परिस्थितियों में अक्सर बिना हवा के ऊपर उठे ही जलवाष्प जल की सूक्ष्म बूंदों में बदल जाती है, जिसे हम कोहरा कहते हैं.

कोहरा हमारे आसपास के वातावरण में या वायुमंडल में जमीन की सतह के थोड़ा ऊपर फैला रहता है. कोहरा घना होने के कारण दृश्यता (Visibility) बहुत कम हो जाती है, ऐसी स्थिति मे हमे सबकुछ धुंधला दिखाई देता है.

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धुंध क्या है?… अगर कोहरे में धुआं मिल जाए तो धुंध (Smog) बन जाता है. कुहासा या धुंध भी एक तरह से कोहरे का ही एक रूप है. तकनीकी तौर पर देखे तो इनमें सिर्फ विजिबिलिटी यानी की दृश्‍यता का फर्क होता है.

यदि विजिबिलिटी की सीमा एक किमी या इससे कम हो तो उसे कुहासा या धुंध कहते हैं. वहीं एक किमी या ज्यादा होने की स्थिति में उसे कोहरा कहा जाएगा.

कोहरा और कुहासा में क्या फर्क है?.... संरचना के लिहाज से दोनों में फर्क नहीं है, क्योंकि दोनों ही हवा के निलंबित कणों पर पानी की सूक्ष्म बूंदों से बने होते हैं. इनमें केवल पानी की सूक्ष्म बूंदों के घनत्व के कारण अंतर होता है. कुहासा की तुलना में कोहरे में जल की ज्यादा सूक्ष्म बूंदें होती है.

कोहरा और कुहासा में क्या फर्क है?…. संरचना के लिहाज से देखे तो दोनों में फर्क नहीं है, क्योंकि दोनों ही हवा के निलंबित कणों पर पानी की सूक्ष्म बूंदों से बने होते हैं. इनमें केवल पानी की सूक्ष्म बूंदों के घनत्व का अंतर होता है. कोहरे में कुहासा की तुलना में जल की ज्यादा सूक्ष्म बूंदें होती है.

कोहरे की वैज्ञानिक परिभाषा – वैज्ञानिक अनुसार इसमें दृश्यता सीमा एक किमी से कम रह जाती है. हवाई यातायात व्यवस्था के लिए तो यह सीमा ठीक होती है, किन्तु इसके विपरीत सड़कों पर आम लोगों और वाहनों के लिए इसकी अधिकतम सीमा 200 मीटर तक होना महत्वपूर्ण है. ओर अगर 50 मीटर से कम विजिबिलिटी हो तो सड़क दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है.

विज्ञान का कहना है कि केवल आ‌र्द्रता, ताप और दाब ही कोहरे का निर्माण नहीं करते है. आपने बचपन में पढ़ा होगा कि गैस से द्रव में बदलने के लिए पानी को हमेशा गैस रहित सतह की आवश्यकता होती है. इसका उदाहरण हम किचन की रसोई में प्रेशर कुकर के संदर्भ में देखते हैं. पानी की एक बूंद के 100वें भाग से इन्हें गैस रहित सतह मिलती है.

गैस रहित सूक्ष्म हिस्सों को क्लाउड सीड कहा जाता है, इनका निर्माण धूल मिट्टी, एरोसाल और तमाम प्रदूषक तत्व साथ मे मिलकर करते हैं. यदि वायुमंडल में ये सूक्ष्म कण बड़ी संख्या में मौजूद हों तो सापेक्षिक आ‌र्द्रता 100 फीसदी से कम होने पर भी जलवाष्प का संघनन होने लगता है और इस कारण कोहरा छा जाता है. ऐसे में हमें सब-कुछ धुंधला दिखाई देने लगता है.

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