AMAZING EYE DROP : कमजोर नजर वाले लोगों को जल्द ही चश्मा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अमेरिका में ऐसा आई ड्रॉप लॉन्च किया गया है जिसका इस्तेमाल उन लोगों पर किया जाएगा जो बिना चश्मे के कुछ भी नहीं पढ़ पाते. इसका आई ड्रॉप का नाम ‘वुइटी’ रखा गया है. जानिए यह कैसे काम करती है…
कमजोर नजर वालों को जल्दी ही चश्मा लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अमेरिका में पिछले डीनो एक आई ड्रॉप लॉन्च किया गया है जिसका इस्तेमाल ऐसे लोग कर सकेंगे जिन्हें धुंधला दिखता है और जो बिना चश्मे के कुछ भी नहीं पढ़ पाते. इस ड्रॉप का नाम ‘वुइटी’ आई ड्रॉप रखा गया है. इस दवा का ट्रायल 750 मरीजों पर किया गया है. जिसके नतीजे असरदार रहे हैं. इसका आम लोगों के इस्तेमाल लिए अमेरिकी ड्रग रेग्युलेटर एफडीए ने मंजूरी दे दी है।
इस आई ड्रॉप को आयरलैंड की फार्मा कंपनी एलरजन ने तैयार किया है. इसके ट्रायल का नेतृत्व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जॉर्ज ओ. वॉरिंग IV ने किया, इनके अनुसार बढ़ती उम्र के साथ लोग प्रेसबायोपिया से जूझते हैं. ऐसे लोगों की नजर कमजोर होने लगती है. ओर उन्हें चीजों को बेहद करीब से देखना पड़ता है. ऐसी स्थिति में मरीजों को आई ड्रॉप और चश्मा लगाने की सलाह दी जाती है. 45 से 60 साल की ऐसी उम्र वाले लोगों के लिए यह नई आई ड्रॉप असरदार है.
ऐसे काम करती है यह आई ड्रॉप
डॉ. जॉर्ज कहते हैं, नई आई ड्रॉप 15 मिनट में अपना असर दिखाना शुरू करती है. इसका असर कुछ समय तक दिखता है. आंखों में वुइटी आई ड्रॉप की एक बूंद डालने से 6 से 10 घंटे तक नजर तेज रहती है.
पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के ऑप्थेल्मोलॉजिस्ट डॉ. स्टीफन ऑरलिन के अनुसार, यह आई ड्रॉप व्यक्ति की पुतली के आकार को छोटा करती है. ऐसा होने पर मरीज को पास की चीज साफ दिखने लगती है. इससे चीजों को देखने का उसका फोकस बढ़ता है. कंपनी के मुताबिक, एक महीने के लिए इस दवा के डोज का खर्च करीब 6 हजार रुपए आएगा.
रोचेस्टर यूनिवर्सिटी की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. स्कॉट एम मैकरेने के अनुसार जो इंसान पढ़ते वक्त चश्मे का बोझ नहीं सहन करना चाहते, वुइटी आई ड्रॉप उनके लिए बेहतर विकल्प साबित होगी.
डॉ. स्टीफन कहते हैं, उन्हें उम्मीद है, यह दवा 12.8 करोड़ अमेरिकी लोगों को कुछ वक्त के लिए चश्मा पहनने से मुक्ति दिलाएगी.
गेमचेंजर साबित हो सकती है दवा
ट्रायल के परिणाम के अनुसार, ऐसे मरीजों के लिए यह नई आई ड्रॉप गेमचेंजर साबित हो सकती है और बड़ा बदलाव ला सकती है. इस आई ड्रॉप में पिलोकार्पिन नाम की दवा का इस्तेमाल किया गया है, इससे पहले भी इस दवा का इस्तेमाल आंखों की बीमारी का इलाज करने में किया जाता रहा है. जैसे- पिछले कई दशकों से इस दवा की मदद से ग्लूकोमा का इलाज भी किया जा रहा है.
वुइटी आई ड्रॉप पहली ऐसी दवा है जिसका इस्तेमाल प्रेसबायोपिया का इलाज करने में किया जा रहा है. वैज्ञानिकों के अनुसार, आमतौर पर रीडिंग ग्लासेस लगाने वाले जब पढ़ना बंद कर देते हैं तो उन्हें दूर रखी चीजें देखने के लिए चश्मा हटाना पड़ता है किंतु वुइटी के साथ यह समस्या नहीं है. यह सामान्य रोशनी में दूर की नजर को प्रभावित नहीं करती।
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