HomeUPSCIAS SURABHI GAUTAM : हिंदी मीडियम स्कूल की साधारण सी लड़की से...

IAS SURABHI GAUTAM : हिंदी मीडियम स्कूल की साधारण सी लड़की से IAS ऑफिसर बनने तक का सफ़र

“अवसर की प्रतीक्षा में मत बैठो । आज का अवसर ही सर्वोत्तम है ।”

Success Story Of IAS Surabhi Gautam : मध्य प्रदेश में एक छोटा सा गांव जिसकी कुल आबादी हजार लोगों से ज्यादा की नहीं थी वहाँ पर सुरभि गौतम (IAS SURABHI GAUTAM) का जन्म हुआ. जन्म के समय पुराने ख्यालात की वजह से उनके परिवार को कुछ खास प्रसन्नता नहीं हुयी थी. किंतु उनके मां-बाप बहुत खुश थे परंतु परिवार के अन्य सदस्यों के लिए यह भी बाकी दिनों जैसा था.

सुरभि के परिवार में उस समय कुल मिलाकर 30 सदस्य थे जिनमें कई सारे बच्चे भी शामिल थे. सुरभि भी अपने परिवार के अन्य बच्चों की तरह वहीं के एक साधारण हिंदी मीडियम स्कूल में जाने लगीं और घर के अन्य बच्चों के साथ पलने लगीं. सुरभि का बचपन एकदम साधारण तरीके से बीत रहा था उनके घर में कोई भी घर के बच्चों पर खास ध्यान नहीं देता था.

जब IAS SURABHI GAUTAM की पहली बार हुई तारीफ

सुरभि गौतम के घर में इतने अधिक लोग थे कि किसी के पास काम के सिवाय वक्त ही नहीं था जो की वे किसी और बात पर पर ध्यान दे खासकर के बच्चों पर. जब सुरभि पांचवी क्लास में थी तो उनका बोर्ड का रिजल्ट आया जिसमें उनके मैथ्स में 100 में से 100 नंबर आये थे.

उनकी कॉपी को देखकर आश्चर्यचकित हो टीचर ने सुरभि की तारीफ करते हुए उन्हें मोटिवेट किया की तुम आगे भविष्य में भी ऐसे ही अच्छा करने की क्षमता रखती हो.

टीचर द्वारा उनकी तारीफ़ करने का पल उनकी उस समय तक की जिंदगी में पहला मौका था जब किसी ने उन्हें इस तरह से नोटिस किया था. बस उस क्षण सुरभि को यह बात समझ में आ गई की अगर उन्हें थोड़ी भी इंपॉर्टेंस प्राप्त करनी है या लोगों की नज़र में आना है तो उनके सामने पढ़ाई ही एकमात्र तरीका है.

उस दिन से सुरभि ने मन ही मन भीड़ से अलग अपनी पहचान बनाने के लिए पढ़ाई को ही एकमात्र जरिया बनाने की ठान ली.

यह भी पढ़े : IAS RISHI RAJ : किसी समय इंजीनियरिंग में हो गए थे रिजेक्ट किंतु इसके बावजूद बने UPSC टॉपर

IAS SURABHI GAUTAM

दसवीं में पत्रकार से कहा कलेक्टर बनूंगी

सुरभि की सफलता की तो उस समय छोटी सी शुरुआत मात्र हुई थी. जब उनका दसवीं का रिजल्ट आया पता चला की उन्होंने मैथ्स के साथ ही साइंस में भी 100 में से 100 अंक प्राप्त किए थे. उन्होंने अपनी ड़सवीं में अच्छी रैंक प्राप्त की थी. एक पत्रकार ने अच्छी रैंक आने पर जब उनका इंटरव्यू किया ओर उसमें उनसे पूछा कि वे बड़े होकर क्या बनेंगी.

सुरभि ने उस दिन से पहले कभी भी गंभीरता से नहीं सोचा था कि वे अपना करियर किस क्षेत्र में बनाएंगी. पत्रकार द्वारा अचानक से यह सवाल पूछने पर पहले उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें नहीं पता. परंतु जब उन्हें फिर से कहा गया कि यह तो कोई जवाब नही हुआ आप कुछ तो कहिये, इस बार उन्होंने ऐसे ही अपने दिमाग में आए ख़्याल को कह दिया की वे बड़ी होकर कलेक्टर बनेगी.

सुरभि द्वारा दिए गए उस उत्तर को अगले दिन की हेडलाइन में जगह मिल गई. ओर इस रकार से अगले दिन के अखबार के साथ ही कलेक्टर बनने वाली बात सुरभि के मन में भी कहीं छप गई ओर आगे चलकर सामने आई.

यह भी पढ़े : IPS SATYA SAI KARTHIK : कैसा रहा क्रिकेट के मैदान से IPS ऑफ़िसर बनने तक का इनका सफ़र

IAS SURABHI GAUTAM

गांव से बाहर जाकर पढ़ने वाली पहली लड़की बनी

सुरभि शुरू से ही पढ़ाई में लगातार कमाल कर रही थी और इसी कारण से उनको पीसीएम में सबसे ज्यादा नंबर लाने के कारण एपीजे अब्दुल कलाम स्कॉलरशिप भी मिल गई थी.

12वीं के बाद सुरभि गौतम गांव से बाहर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए गई ओर इस तरह वह अपने गाँव की पहली लड़की बनी जो पढ़ने के लिए अपने गांव से बाहर गई थी.

स्कॉलरशिप के कारण वह शहर तो चली गई किंतु क्लास में टीचर्स से छिपती घूमने लगी क्योंकि एक गांव की लड़की के लिए शहर में सब कुछ बहुत अनोखा ओर नया था, खासकर इंग्लिश भाषा तो उनके लिए सबसे मुश्किल थी.

कॉलेज में जहां पर सब बच्चे फटाफट इंग्लिश में आंसर कर रहे थे वहीं सुरभि को सवाल का जवाब आने के बावजूद भी इंग्लिश न आने की वजह से कोई जवाब नहीं दे पाती.

वे कॉलेज की लैब में एक्सपेरिटमेंट भी नहीं कर पायीं क्योंकि उनके लिए आ सब कुछ नया था. वह दिन उनकी जिंदगी का सबसे खराब दिन था. हॉस्टल में आने के बाद सुरभि अपने रूम में खूब रोयीं और घर फोन करते हुए अपनी माँ से कहा कि वे वापस अपने गाँव आ रही हैं.

सुरभि की माँ ने उनसे जवाब में सिर्फ़ यही कहा कि अगर तुम इस तरह से हारकर वापस आ गई तो गांव की बाकी लड़कियों के लिए शहर के रास्ते हमेशा के लिए बंद हो जाएगे. माँ के इस जवाब से सुरभि को हिम्मत मिली और उन्होंने तय कर लिया की अब चाहे जो हो जाए वे इंग्लिश पर अपनी कमांड करके ही रहेंगी.

उस दिन से वे इंग्लिश सीखने के लिए दिन-रात मेहनत करने लगीं और कुछ ही दिनों में उनका रिजल्ट सबके सामने था.

यह भी पढ़े : IAS VARNIT NEGI : सिविल इंजीनियर से IAS तक का सफ़र कैसे तय किया ?

IAS SURABHI GAUTAM

सुरभि ने लगातार सफलता प्राप्त की

सुरभि के लिए यह समय उनके विस्तार का समय था. जब वे कॉलेज की पढ़ाई कर निकली तो यूपीएससी के लिये आवश्यक मिनिमम ऐज से कम थीं. इस बीच उन्होंने तैयारी करते हुए गेट, इसरो, सेल, एमपीपीएससी सभी एग्जाम एक के बाद एक कर देने लगी और इनके 6 महीने बाद उन्होंने आईईएस (IES) का एग्जाम भी दिया.

आपको यह जानकर यकीन ही नही होगा कि सुरभि ने पहले ही प्रयास में ये सभी परीक्षाएं पास कर ली थी. यही नहीं आईईएस में उनकी एआईआर रैंक 01 आयी और उन्होंने सबसे अधिक नंबर प्राप्त किए थे, उनके द्वारा प्राप्त नंबर उससे पहले यूपीएससी के इतिहास में कभी किसी लड़की के नहीं आये.

सुरभि ने यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा पास करने के बाद ट्रेनिंग ज्वॉइन की. इतना सब पाने के बावजूद भी सुरभि को जो खुशी, जो संतोष महसूस होना चाहिए था, वो नहीं मिल रहा था. उनके मन में सदैव एक बैचेनी सी रहती थी.

जब उन्होंने अपनी मां को इस बारे में बताया तो उनकी माँ ने उन्हें उनके बचपन वाली कलेक्टर वाली बात की याद दिलायी. तब सुरभि को लगा कि उनके जीवन में सिर्फ़ इसी की कमी है जो उन्हें अब तक अखर रही है.

यह भी पढ़े : IAS DEEKSHA JAIN : स्वयं पर विश्वास कर अपनी मेहनत से बनी आईएएस ऑफिसर

IAS SURABHI GAUTAM

यूपीएससी की तैयारी ओर सुरभि का संघर्ष

इतनी अधिक मेहनत, ओर संघर्ष के बावजूद भी सुरभि की वास्तविक मंजिल अभी उनसे दूर थी. उन्हें IES की नौकरी के लिए ट्रेनिंग करते वक्त बड़ी मुश्किल से तीन या चार घंटे का समय आईएएस की तैयारी के लिए मिल पाता था. ऐसे में वे अतिरिक्त समय निकालने को लेकर पहले से बहुत अधिक परेशान रहने लगीं.

इस परेशानी का हल निकालने के लिए उन्होंने एक बार फिर अपनी मां को फोन किया (मेंटर). उनकी मां ने सुरभि को सांत्वना देने बजाय उनसे एक सवाल करते हुए कहा, तुम्हारी उम्र में मेरे तीन बच्चे थे, तीसरा तो उस समय मात्र दस महीने का था, ओर 30 लोगों का परिवार भी था, मेरी नौकरी भी घर से दस कि.मी. पर थी और उसके ऊपर से एलर्जी की भयंकर समस्या.

अब तुम ही यह सोचो कि क्या तुम्हारा संघर्ष उससे भी ज्यादा बड़ा है. तुम जो कुछ भी कर रही हो वह सिर्फ़ अपने सपने को पाने के लिए कर रही हो.

सुरभि ने उस दिन अपनी माँ से बात करने के बाद से अपनी शिकायत करना बंद कर दिया. उन्होंने यूपीएससी के लिए अपने फोन और टेबलेट पर जितना हो सका उतना अधिक स्टडी मैटेरियल इकट्ठा किया और रास्ते से लेकर नौकरी करने के दौरान जब भी समय मिलता था वे पढ़ने लग जाती थी.

उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए घंटों से मिनट चुराये थे. उनकी इस मेहनत का नतीजा यह हुआ कि साल 2016 में उन्होंने 50वीं रैंक के साथ अपने बचपन का सपना पूरा करते हुए यूपीएससी की परीक्षा को पास कर लिया. यूपीएससी में सिलेक्शन होने के बाद सुरभि को माँ की शांति मिली.

सुरभि यह कहती है कि उन्होंने अपने जीवन में इस बात का ध्यान रखा कि हार्डवर्क का अन्य कोई विकल्प नहीं होता और सफलता प्राप्त करने का कोई शॉर्टकट नहीं होता. सबसे पहले सपने देखो और उसके बाद उन्हें पाने के लिए जमकर मेहनत करो फिर देखना कि कोई भी व्यक्ति तुम्हें तुम्हारी मंजिल तक पहुंचने से नहीं रोक सकता.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

Explore more articles