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IAS GEETANJALI SHARMA : तीसरे अटेम्प्ट में UPSC परीक्षा टॉप किया, जानिए उनकी प्रिपरेशन स्ट्रेटजी

“तेरी तैयारी में कुछ कमी है, कोई नहीं अभी मंज़िल तक आने बहुत समय है।”

Success Story Of IAS Geetanjali Sharma: हर साल यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में लाखों की संख्या में स्टूडेंट आईएएस (IAS) ऑफ़िसर का सपना देखते हुए बेठते है किंतु इनमे से अधिकांश कैंडिडेटस को निराशा ओर हताशा का सामना करना पड़ता है.

इनमे से अधिकांश स्टूडेंट तो एक या दो बार प्रयास करने के बाद अपनी हिम्मत हार जाते है ओर सोचने लग जाते है कि परीक्षा उनके लिए बनी ही नही है ओर इसी सोच के साथ वे सिविल सेवा का सपना हमेशा के लिए अपने मन से निकाल देते है.

इसके ठीक विपरीत कुछ स्टूडेंट ऐसे भी होते है जो एक के बाद एक मिल रही असफलताओं को राह की बाधा न मानते हुए तब तक प्रयास करते है जब तक की वे इस परीक्षा को पास न कर ले.

ऐसा ही एक नाम है गीतांजलि शर्मा (IAS GEETANJALI SHARMA) का जिन्होंने दो प्रयासों में मिली असफलता से न घबराते हुए तीसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा को पास कर ही दम लिया.

गीतांजलि शर्मा ने साल 2019 की यूपीएससी सीएसई परीक्षा में 32वीं रैंक लाते हुए उसे पास किया है. यह गीतांजलि शर्मा का तीसरा अटेम्पट था.

हिंदू कॉलेज, दिल्ली से अपना ग्रेजुएशन कम्प्लीट करने के बाद गीतांजलि शर्मा ने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने का मन बनाया. ओर इसी को ध्यान में रेखते हुए साल 2016 में उन्होंने अपना पहला अटेमप्ट दिया जिसमें वे प्री परीक्षा भी पास नहीं कर पाईं.

इसके बाद उन्होंने अपनी स्ट्रेटेजी में परिवर्तन करते हुए एक साल का ब्रेक लिया और इस दौरान उन्होंने यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग ज्वॉइन की. गीतांजलि का कहना है कि पहले अटेम्पट में उनकी तैयारी ठीक नहीं थी.

एक साल की कोचिंग के बाद उन्होंने अपना दूसरा अटेम्पट साल 2018 में दिया जिसमें वे साक्षात्कार तक पहुंची पर फाइनल लिस्ट में उनका नाम नहीं आया.

इस अटेम्पट के बारे में गीतांजलि कहती हैं कि दूसरे अटेम्पट के दौरान उनके लगभग हर विषय ओर परीक्षा में बस ठीक-ठाक ही अंक थे, उन्होंने इस बार प्री परीक्षा भी मात्र पांच नंबर से पास की थी और मेन्स में भी उनके कुछ खास अंक नहीं थे.

वे खुद भी अपने इस अटेम्पट के दौरान आए हुए नंबरों से संतुष्ट नहीं थी क्योंकि उनके दिमाग में हमेशा से ही आईएएस पद को पाने की ही इच्छा थी. वे किसी भी स्थिति में इससे नीचे की रैंक पर समझौता नहीं करना चाहती थी.

एक इंटरव्यू के दौरान गीतांजलि ने कहा कि हमेशा बड़े सपने (dream) देखो, जब व्यक्ति बड़े सपने देखता हैं तो कहीं न कहीं उसका सबकांशस माइंड भी उसे पाने में लग जाता है. ओर उसका नतीजा यह होता है कि आपकी इच्छा पूरी होती जरूर है साथ ही आप अपने सपने को पूरा करने के लिए दूसरों के मुक़ाबले में डबल मेहनत करते हो.

गीतांजलि कहती हैं कि वे हमेश किसी परीक्षा को पास करने के लिए 105 अंक चाहिए होते थे तो वे हमेशा 120 का लक्ष्य रखती थी ताकि उनके द्वारा किए जाने वले प्रयास भी उसी हिसाब से बढ़ जाएं, इससे असफलता का खतरा काफी कम हो जाता है. इसके अलावा उन्होंने अपने 2018 के अटेम्पट में की गई गलतियों से सीख लेते हुए उसे दोबारा नही दोहराया.

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IAS GEETANJALI SHARMA

सिर्फ़ यूपीएससी ही जीवन नहीं हैIAS GEETANJALI SHARMA

एक इंटरव्यू में बात करते हुए गीतांजलि कहती हैं कि उन्होंने कई बार ऐसे टॉपर्स के इंटरव्यू को पढ़ा और सुना है कि जिन्होंने जिस दरम्यान यूपीएससी की तैयारी की उसमें उनके जीवन में केवल यही परीक्षा थी और इसके अलावा कुछ नहीं. उनकी न कोई हॉबी थी, न मस्ती, न दोस्त और न ही फ्री टाइम.

गीतांजली इस बारे में कहती हैं कि उनकी सोच उन सबसे बहुत अलग है, उन्हें लगता है कि परीक्षा सबसे जरूरी है इस बात में कोई शक नहीं पर इसका मतलब यह कतई नहीं कि केवल परीक्षा ही आपका जीवन बन जाए. इसके अलावा भी कुछ और सोचिए और कार्य करिए.

जहां कुछ कैंडिडेट इस बारे में कहते हैं कि अगर किसी बड़े लक्ष्य को पाने के लिए दो या तीन साल बाहर की दुनिया से कट भी गए तो क्या हुआ या इस दौरान अपनी हॉबीज को टाइम नहीं दिया तो ठीक है क्योंकि इससे आप डिस्ट्रेक्ट होते हो और आखिरकार यह सफलता इतनी बड़ी है कि अगर यह ज़िंदगी में एक बार मिल जाए तो बाकी सब पीछे रह जाता है. गीतांजलि का मानना हैं कि तैयारी के दौरान भी ब्रेक लेना, अपनी मनपसंद चीजों को समय देना भी जरूरी होता है.

वे हर दस दिन में एक मूवी देखती थी, हर पंद्रह दिन में एक बार अपने दोस्तों से मिलती थी या कुछ न कुछ ऐसा ज़रूर करती थी जिससे वे किसी भी प्रकार से अपनी सैनिटी को मेंटेन कर सकें. वे मानती हैं कि यूपीएससी के इस गोल को पाने के लिए खुद को खो देना किसी भी स्थिति में समझदारी नहीं.

हालांकि वे यह भी कहती हैं कि इस बारे में सबकी अपनी अलग-अलग राय होती है और हर किसी को अपने हिसाब से ही फैसला लेना चाहिए.

सीमित संसाधनों को यूपीएससी की तैयारी के लिए नहीं मानती काफी

आपने यूपीएससी पास करने वाले ज़्यादातर केंडिडेटस से सुना होगा कि सफलता के लिए सीमित संसाधन और उनका बार-बार रिवीजन करना जरूरी है. वहीं इसके ठीक विपरीत गीतांजलि कहती हैं कि उन्हें मेन्स की परीक्षा के लिए ऐसा कतई नहीं लगता कि आप एक किताब से पढ़कर इसे पास कर सकते हैं.

किसी भी टॉपिक से सम्बंधित बेस्ट नॉलेज को एक्वायर करने के लिए आपको कई सारे सोर्सेस देखने पड़ते हैं. हालांकि रिवीजन के महत्व को गीतांजलि भी कम करके नहीं आंकती है और यह सलाह जरूर देती हैं कि जब भी किसी विषय पर विभिन्न सोर्सेस से मैटर इकट्ठा करें तो उसके बाद उसे कंसोलिडेट जरूर कर लें.

यानी कि शॉर्ट फॉर्म में किसी एक जगह पर इकट्ठा ज़रूर कर लें ताकि आपको रिवीजन के समय कभी भी दिक्कत न आए. इसके साथ ही वे आंसर राइटिंग को भी लिमिटेड महत्व देती हैं. इस बारे में उनका कहना है कि अगर आंसर ठीक से स्ट्रक्चर ही नहीं होगा तो उस स्थिति में स्टूडेंट लिखेंगे क्या इसलिए आंसर राइटिंग ज़रूर करें लेकिन तैयारी ठीक से हो जाने के बाद.

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IAS GEETANJALI SHARMA

गीतांजलि बहुत सारी टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करने को भी यूपीएससी कैंडिडेटस के लिए सही नहीं मानतीं. वे कहती हैं इससे आपका बहुत समय केवल इसी बात में में चला जाता है. उन्होंने तैयारी के दौरान केवल एक टेस्ट सीरीज ज्वॉइन की थी वह भी सिर्फ़ जीएस की, जिससे उन्हें निबंध लिखने में भी मदद मिली.

गीतांजलि के अनुसार परीक्षा के दौरान फैक्ट्स और फिगर्स को कलेक्ट करके रखने और आंसर्स में उन्हें डालना उनके हिसाब से अच्छा है लेकिन बहुत अधिक नोट्स बनाने में गीतांजली का विलकुल भी विश्वास नहीं.

वे इस बारे में आगे कहती हैं अगर स्टूडेंट हर विषय के नोट्स बनाएंगे तो उस स्थित में वे केवल नोट्स ही बनाते रह जाएंगे, साथ ही साथ कुछ किताबें ऐसी होती हैं जिनमें लिखी हुई हर एक लाइन महत्वपूर्ण होती हैं, इन किताबों में से कुछ भी कम करके लिखना संभव ही नहीं होता है.

वे अपनी तैयारी के दौरान किताब में ही अत्यंत जरूरी लाइनों को अंडरलाइन कर लेती थी. गीतांजलि ने एक साल के लिए कोचिंग जरूर ली पर वे मानती हैं कि बिना सेल्फ स्टडी किए सिर्फ कोचिंग में की गई पढ़ाई के दम पर आप पास नहीं हो सकते.

टाइम-टेबल में पढ़ाई के साथ फ्री टाइम भी है जरुरी

गीतांजलि सबसे पहले तो यूपीएससी कैंडिडेटस को यह सलाह देती हैं कि वे सबसे पहले अपने लिए टारगेट सेट करें कि उन्हें कोर्स की तैयारी के दौरान कितने दिन में क्या खत्म करना है, जिसमें महीने से लेकर हफ्ते और दिन का शेड्यूल ज़रूर होना चाहिए.

वे खुद भी यूपीएससी की तैयारी के दौरान एक्सेल पर अपना टाइमटेबल हर हाल में बनाती थी. हालांकि वे अपने टाइम-टेबल के सेडयूल में एक बात ज़रूर रखती थी जो दूसरों से अलग है ओर वह ये कि वे दिन के शेड्यूल में खुद को कैसे फ्रेश रखेंगी यह भी ज़रूर जोड़ती थी. यानी पूरे दिन में पढ़ाई के टाइट सेड्यन के बीच में भी वे प्रोडक्टिव ब्रेक्स लेती थी.

गीतांजलि कहती हैं मैं आफ्टरनून नैप हर हाल में लेती ही थी, में अपने डॉग्स को घुमाने जाती ही थी और तैयारी के दौरान डांस क्लास भी करती थी. वे आगे बताती हैं, मैं दिन में आठ से दस घंटे से ज्यादा नहीं पढ़ सकती इसलिए ही मैं ये सब भी करती थी.

एग्जाम्स के समय तैयारी के घंटे बढ़ जाते थे पर दिन रात किताब में घुसे रहना गीतांजली को शुरू से ही पसंद नहीं था. दरअसल यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी काफ़ी लंबी चलती है ऐसे में अपने लिए उतने ही कड़े नियम बनाएं जिन्हें आप लंबे समय तक फ़ॉलो कर सकें.

समय को बर्बाद न करें पर परंतु इसके साथ-साथ अपने लिए इस प्रिपरेशन को कभी भी टॉरचरिंग भी न होने दें. अगर आपको सही गाइडेंस, हार्डवर्क और परसिविरेंस होगा तो एक दिन सफलता जरूर मिलेगी.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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