HomeSUCCESS STORYSRIDHAR VEMBU : सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री मे पूरी दुनिया में अपनी धाक ज़माने...

SRIDHAR VEMBU : सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री मे पूरी दुनिया में अपनी धाक ज़माने वाले भारतीय, रोज़ की इनकम 200 करोड़ रुपये

“सफलता के पीछे मत भागो, एक्सीलेंस के पीछे भागो सफलता खाक मार के आएगी”

SRIDHAR VEMBU SUCCESS STORY : राजकुमार हिरानी की मूवी “थ्री-इडियट्स” के एक फेमस डायलॉग को चरितार्थ किया है आज के हमारे सुपर हीरो श्रीधर वेम्बू (SRIDHAR VEMBU) ने जिनके पीछे पैसा भागता है ना की वे पैसो के पीछे. अपने दिमाग से उपजे विचारो को मूर्त रूप देते हुए आज श्रीधर वेम्बू ने विदेशी कंपनियों के एक्सपर्टीज़ वाली सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए सिक्का जमाया है.

जब श्रीधर वेम्बू ने अपना काय शुरू किया तो उन्हें कई सारी बड़ी-बड़ी कंपनियों ने मर्जर या टेक-ओवर के ऑफर दे दिए लेकिन वे नहीं माने और भारतीयता की एक मिशाल कायम की.

SRIDHAR VEMBU

श्रीधर वेम्बू का बचपन ओर शिक्षा

श्रीधर वेम्बू का जन्म चेन्नई के एक साधारण से परिवार में हुआ जहा उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा तमिल लैंग्वेज में पूर्ण की, पढाई में तेज होने की वजह से आईआईटी मद्रास से अपनी ग्रैजुएशन की. वे वहा पर आईआईटी इलेक्ट्रॉनिक फील्ड से करना चाहते थे लेकिन उन्हें कंप्यूटर साइंस से उसे पूरा किया.

श्रीधर वेम्बू वहा से आगे बढ़ते हुए पीएचडी भी करना चाहते थे लेकिन उसके लिए वे अपने इंस्टिट्यूट में फिट नहीं बैठे इसलिए उन्होंने आगे की पढाई भारत से बाहर करने की सोची इसी के चलते वर्ष 1989 में श्रीधर वेम्बू ने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजिनीरिंग में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी की.

इसके बाद वे अपने भाई के साथ भारत लौट आये जहा उन्होंने अपने एंटरप्रेनरशिप की शुरुआत करते हुए सॉफ्टवेयर वेंचर एडवेंट नेट को स्टार्ट किया, यहाँ पर उनकी शुरूआती मेहनत के बाद उनके 100 से अधिक कस्टमर्स बन गए लेकिन वर्ष 2000 में आये टेक्नोलॉजी में भारी बदलाव और Y2K वायरस की वजह से एक भूचाल सा आ गया तभी उन्होंने तय किया की अब  कुछ नया करने के लिए क्रांतिकारी सोच के साथ बड़े बदलाव करने होंगे.

यह भी पढ़े : AASIFE AHMED : अपने शौक को प्रोफेशन में बदल खड़ा किया 50 करोड़ का कारोबार

SRIDHAR VEMBU

ऑफिस सुईट जोहो (Zoho) की स्थापना

इसी के चलते उन्होंने अपने नए ऑफिस सुईट जोहो (Zoho) को लांच किया, जिसमे की उस समय तक सेल्सफोर्स (Salesforce) की कस्टमर रिलेशन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और गूगल डॉक्स (Google Docs) का ही बोलबाला था. लेकिन श्रीधर वेम्बू की इस सोच और कदम से इस इंडस्ट्री में मानो कहर बरपा दिया, इन दोनों बड़ी कंपनियों की बादशाहत डगमगाने लगी. अपने पहले ही वर्ष में उन्हें इससे 500 मिलियन डॉलर की रेवेन्यू प्राप्त हुई.

जोहो सुईट (Zoho’s suite) से मात्र हर महीने 10 डॉलर के खर्च में ही कंपनियां अपने कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट को अच्छे से मैनेज कर सकती है, जोहो अब तक एक लाख से ज्यादा सफल बिज़नेस में को अपनी सेवाए दे रही वही इसके कुल उपयोगकर्ता 18 मिलियन से भी ज्यादा है.

और कंपनी के द्वारा छोटी कंपनियों को कस्टमर रिलेशनशिप मैनेजमेंट की सेवा मुफ्त में प्रदान की जा रही है.

यह भी पढ़े : K. P. NANJUNDI : लोगो के पैरो में गिरने से लेकर शिखर की उच्चाई तक की दास्ताँ

SRIDHAR VEMBU

जब श्रीधर वेम्बू को मिली धमकी

उनकी इस सफलता को लोग पचा नहीं पा रहे थे इसी फील्ड की महारथी कंपनी से उन्हें धमकी भरे फ़ोन कॉल्स और मेल आने लगे. कई कंपनी के तो प्रतिनिधि भी उनसे मिल कर उनमे शामिल होने और कंपनी को मर्ज और टेक-ओवर करने की खुले आम धमकी देने लगे लेकिन श्रीधर की हिम्मत और ढृढ़ता के आगे सफल नहीं हो पाए.

इसी क्रम में उनको सेल्सफोर्स ((Salesforce)) के फाउंडर मार्क बेनिऑफ ने धमकाया और जोहो को खरीदने की कोशिश की साथ ही कहा की गूगल एक दानव है और इसके साथ आप मुकाबला भी नहीं कर सकते है. तब श्रीधर का जवाब बड़ा ही रोचक था श्रीधर ने मार्क से बोला –

“मुझे गूगल से डरने की जरुरत है, मुझे तो जिन्दा रहने के लिए सिर्फ सेल्सफोर्स से अच्छा करने की जरूरत है”

श्रीधर वेम्बू कहते है की यदि आप ने कोई विचार या सपना देखा है तो उसको चलने के लिए स्वयं ही मेहनत कर के सब व्यवस्था करो ना की फंडिंग के जरिये उसको चलाने की सोचो ऐसे में वो आप का सपना ना होकर पैसा कमाने का एक जरिया मात्र बन जाता है साथ ही आप अपने सपनो की चाबी भी किसी दूसरे के हाथ में सौप देते है.

यह भी पढ़े : KAUSHAL DUGGAR : विदेश में लाखो का पैकेज छोड़, देश में शुरू किया अपना स्टार्टअप

SRIDHAR VEMBU

श्रीधर वेम्बू की सफलता का मंत्र

आगे बताते हुए वे बोलते है की – अपनी सर्विस में इतना दम पैदा कर दो की कस्टमर को विवश होना पड़ जाए आप के पास आने के लिए. शायद यही कारण है की वेम्बू पैसो के पीछे नहीं जाते जबकि पैसा उनके पीछे भागता है.

इतना ही नहीं श्रीधर ने अपने बिज़नेस को सफल बनाने और रन करने के लिए अपनी टीम में भी टॉप ग्रेजुएट को प्राथमिकता देने की बजाय हिडन टैलेंट को शामिल किया और बतया की देश में अच्छी प्रतिभा की कमी नहीं है लेकिन उन्हें सही प्लेटफार्म नहीं मिल पाता है. इसी वजह से उन्होंने अपनी कंपनी में उन रिजेक्टेड युवाओ को जॉब दी जिनमे प्रतिभा तो खूब थी लेकिन अच्छी कॉलेज या रेप्युटेटेड फॅमिली से ना होने के कारण से रिजेक्शन झेलना पड़ा.

अंत में जाते जाते श्रीधर वेम्बू की यह कहानी हमें आत्म-निर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल के फलसफे को बड़ी ही अच्छी तरीके से बयान करती है साथ ही सर्विस और प्रोडक्ट में दम हो तो आप को किसी से भी घबराने और डरने की जरुरत नहीं होती है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

Explore more articles