“विकलांगता शरीर में हो तो कोई बात नहीं, यदि मनुष्य दिमाग से अपंग हो जाए तो उसका विनाश निश्चित है”
RAM CHANDRA AGARWAL SUCCESS STORY : पश्चिमी बंगाल के राम चंद्र अग्रवाल अपने बचपन में ही पोलियो ग्रस्त होने की वजह से पैरो से विकलांग (दिव्यांग) हो गए थे, लेकिन उन्होंने इसे अभिशाप ना मानकर वरदान माना और कभी भी अपने जीवन में इस बात की लिए शिकायत नहीं की.
राम चंद्र अग्रवाल (RAM CHANDRA AGARWAL) प्रखर बुद्धिमता और एक से बढ़कर एक बिज़नेस आईडिया की बदौलत कई बार असफल रहने के बावजूद हिम्मत ना हारते हुए एक छोटी सी फोटो-कॉपी की दुकान से सफर की शुरुआत कर अपने “वी 2” कंपनी तक का सफर तय किया.
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RAM CHANDRA AGARWAL का बचपन ओर विकलांगता
राम चंद्र अग्रवाल का जन्म पश्चिम बंगाल के एक निर्धन परिवार में हुआ था. वे जब बेहद छोटे थे तभी उन्हें अपने पैरो से पोलियो के कारण विकलांग होना पड़ा.
राम चंद्र अग्रवाल के आगे के दिन बैशाखी के सहारे ही गुजरे परन्तु दूसरे लोगो की तरह उन्होंने ने कभी इसका गिला नहीं किया और अपने बुलंद हौसलों के साथ आगे बढ़ते चले गए, जहा पर एक सामान्य दो पैर वाला इंसान भी जाने के सोचते हुए भी एक बार तो घबरा जाता है.
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RAM CHANDRA AGARWAL की पढ़ाई
राम चंद्र अग्रवाल ने जैसे-तैसे कर अपनी ग्रैजुएशन पूरी की, वे पढाई में शुरू से ही कम दिलचस्पी रखते थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की वह कुछ बनना नहीं चाहते थे रामचंद्र हमेशा ही जीवन में कुछ बड़ा करने के बारे में ही सोचा करते थे.
अपनी पढाई पूरी करने के बाद सबसे पहले राम चंद्र ने वर्ष 1986 में अपना कुछ करने के लिए एक छोटी सी फोटो-कॉपी की दूकान लगाई, जिसे को कुछ समय काम करने के बाद उन्होंने बंद कर दिया.
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RAM CHANDRA AGARWAL हमेशा बड़ा करना चाहते थे
राम चंद्र अग्रवाल के दिमाग में अब खुदरा बिज़नेस करने का आईडिया आया और इसके लिए उन्होंने कोलकत्ता के कपडा मार्किट ‘लाल बाजार’ में एक कपडे की शॉप खोली लेकिन उसके दिमाग में कुछ बड़ा करने की सोच अब भी थी, और लगभग 15 सालो तक दुकान चलाने के बाद जब कुछ पैसे एकत्रित हो गए तब राम चंद्र ने खुदरा को ब्रांड बना कर विशाल स्तर पर काम करने की सोची.
इसके लिए वे कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट हो गए और वहा “विशाल रिटेल” नाम से अपनी दूकान खोली, और इस बार भी उन्होंने दिन-रात कड़ी मेहनत करते हुए इसे एक नयी बुलंदियों पर पहुंचाया, कुछ ही समय में उनकी मार्किट में पैठ जम गयी.
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VISHAL MEGAMART की शुरुआत
राम चंद्र अग्रवाल की दूकान में अब लोगो की भीड़ जमा रहने लगी. इस सफलता को देखते हुए वर्ष 2002 में अब इन्होने “विशाल मेगामार्ट” की शुरुआत करते हुए दिल्ली मार्किट में अपना खुदरा स्टोर ‘हायपरमार्केट’ को ओपन किया.
यहाँ भी राम चंद्र को कुछ ही समय में अच्छी सफलता हाथ लगी और इस वजह से उनका हौसला और बढ़ गया अब वे अपने इसी काम को विस्तार देना चाहते थे.
इसी क्रम में अपने स्टोर की चैन को आगे बढ़ाते हुए दिल्ली से बाहर ले जाते हुए देश के अन्य शहरो में भी आउटलेट्स ओपन किये, फिर उन्होंने वर्ष 2007 में भारतीय शेयर मार्किट में कंपनी को रजिस्टर्ड करवाते हुए बिज़नेस एक्सपेंशन के लिए आईपीओ को जारी किया.
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VISHAL MEGAMART को SHARE MARKET में अच्छा RESPONSE
इनका यह फंडा भी काम कर गया और इनके आईपीओ (IPO) को भी बाजार से अच्छा रिस्पांस मिला. और इससे पूंजी जुटाकर राम चंद्र अग्रवाल ने अपने बिज़नेस का अच्छे से विस्तार किया. सब कुछ ठीक चल ही रहा था की अचानक वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी ने पुरे विश्व को तगड़ा झटका दिया.
इस मंदी में उनके शेयर को भी काफी नुक्सान हुआ और लगभग 750 करोड़ के घाटे के साथ “विशाल मेगामार्ट” दिवालिया हो गया. और लेनदारों को पैसा चुकाने के लिए कंपनी को बेचने तक की नौबत आ गयी.
मंदी के बाद फिर से नई शुरुआत
इतना सब कुछ होने के बावजूद उन्होंने हिम्मत ना हारते हुए एक बार फिर से उठ खड़े होने की कोशिश की जहा राम चंद्र अग्रवाल ने वर्ष 2011 में विशाल का सौदा “श्री राम ग्रुप” के साथ करते हुए लोगो के पैसे चुकाए और बाकी के पैसो के साथ एक बार फिर से “वी 2 रिटेल” की शुरुआत की.
आज V2 रिटेल लिमिटेड बड़ी ही तेजी के साथ भारतीय बाजार में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है. राम चंद्र की कंपनी परिधान और गैर-परिधान उत्पादों की एक विशाल रेंज को पेश करती है, और देश में अब तक कुल 32 शहरों में अपना आउटलेट्स खोल चुकी है.
राम चंद्र अग्रवाल की यह स्टोरी प्रेरणा देती है, जहा नार्मल इंसान अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ आने पर झुँझला जाता है शिकायत करने लगता वही राम चंद्र जैसे कर्मवीर गिरते-उठते अपनी मेहनत और लगन के साथ आगे बढ़ते जाते है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…