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MAHIMA MEHRA : अनोखे स्टार्टअप (हाथी छाप) की कामयाबी की कहानी, हाथी के गोबर से हो रही है करोड़ों की कमाई

MAHIMA MEHRA SUCCESS STORY : मनुष्य के उपयोग के लिए प्रकृति ने कई प्रकार के पदार्थों की व्यवस्था की है किन्तु कुछ ऐसी चीजे भी है जिन्हे मनुष्य पूर्ण रूप से बेकार माँ लेते है किन्तु कभी-कभी इन्ही बेकार ओर नकारा चीजों को कुछ व्यक्तियो के द्वारा इस प्रकार से तराशा जाता है जिसकी की कोई भी व्यक्ति कल्पना तक नहीं कर सकता.

आज की हमारी कहानी के मुख्य पात्र महिमा मेहरा (MAHIMA MEHRA) ओर विजेंद्र शेखावत (VIJENDRA SHEKHAWAT) इन दोनों ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है जिसके बारे मे आम नागरिक सोच भी नहीं सकता है. इन्होंने अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करते हुए सही दिशा मे मेहनत करते हुए हमारे द्वारा खारिज की गई बेकार वस्तु को एक बेशकीमती वस्तु मे परिवर्तित करते हुए इतनी शौहरत ओर दौलत कमाई जो हमारी सोच से बाहर है.  

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MAHIMA MEHRA

MAHIMA MEHRA ने 15000 के लोन से शुरू किया हाथी की लीद का कारोबार

वर्ष 2003 मे महिमा मेहरा ओर विजेंद्र शेखावत भी अन्य पर्यटकों की ही तरह से राजस्थान के आमेर का किला देखने के लिए गए जब वे किले को देखने के बाद किले के निचले हिस्से मे आए तो वहा पर इन्हे हाथी की लीद दिखाई दी. इन्होंने देखा की वहा पर घूमने आए सभी लोग इसकी बदबू से परेशान हो अपना नायक दबाकर वहा से आगे निकाल जाते थे. लेकिन इन दोनों की नजर लीद पर पड़ी तो इन्होंने देखा की हाथी की लीद मे पर्याप्त ओर अच्छी मात्रा मे रेशा उपलब्ध था.

जब इन दोनों ने हाथी की लीद मे रेशों को देखा तो इनके दिमाग मे खयाल आया की क्यों नहीं इससे पेपर बनाया जाए. बस फिर क्या था एक नई सोच के साथ इन दोनों ने इस दिशा मे रिसर्च शुरू की ओर इसके बारे मे इंटरनेट पर जानकारी जुटाना शुरू कर दिया. इंटरनेट के माध्यम से इन्हे पता चला की श्रीलंका, थाईलैंड ओर मलेशिया मे पहले से ही हाथी की लीद से पेपर बनाए जा रहे है.

महिमा मेहरा ओर विजेंद्र ने काफी रिसर्च के बाद हाथी की लीद से पेपर बनाने के कान्सेप्ट पर काम करना शुरू कर दिया. इन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत 15000 रुपये का लोन लेकर की ओर हाथी की लीद को कच्चे माल के रूप मे उपयोग करते हुए अपने काम की शुरुआत की, इनके इस बिजनेस का टर्नओवर आज के समय मे करोड़ों रुपये मे है.  

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MAHIMA MEHRA

2007 मे हाथी-छाप (HATHI CHAAP) ब्रांड की हुई शुरुआत

महिमा ओर विजेंद्र इन दोनों ने 2007 में भारत मे अपने हाथी-छाप (HATHI CHAAP) ब्रांड को लांच किया. इन्होंने अपने ब्रांड के तहत हाथी की लीद से नोटबुक, फ्रेम्स, फोटो एल्बम, बैग्स, गिफ्ट टैग, स्टेशनरी और टी कोस्टर जैसी वस्तुए लॉन्च की. इन्होंने अपने इन प्रोडक्ट की बाजार में कीमत 10 रुपये से लेकर 500 रूपये तक रखी.

अपने शुरुआती दिनों मे इनके बिज़नेस ने धीरे-धीरे पहले भारत में अपने पाँव पसारना शुरू कर दिया. बाद मे महिमा के प्रयासों से इस पेपर का जर्मनी मे भी निर्यात शुरू हो गया. धीरे-धीरे वक्त के साथ इनके प्रोडक्ट का बिज़नेस यूनाइटेड किंगडम तक पहुँच गया. इनके द्वारा स्थापित इस बिज़नेस में सबसे बड़ी प्रक्रिया ही हाथी की लीद को साफ करना है.

हाथी की लीद से पेपर तैयार करने के लिए सबसे पहले इस लीद को एक बड़े वाटर टैंक में धोया जाता है और लीद को धोने के बाद जो पानी बचता है वह इनके द्वारा खाद के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है. ओर प्रोसेस के बाद बची हुई लीद को सुखाकर इसका उपयोग पेपर बनाने में किया जाता है.

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HATHI CHAP (हाथी छाप)

जब विजेंद्र ने आइडीया के बारे मे घर पर बात की

अपने आइडीया की शुरुआत के बारे मे विजेंदर शेखावत कहते हैं कि जब मैंने यह आइडिया अपने घर पर मेरी माँ को बताया तो मेरी बाते सुनकर माँ का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया. उन्होंने मुझसे यहा तक कह दिया कि मेरे इस काम की वजह से कोई भी लड़की मुझसे शादी ही नहीं करेगी.

वही महिमा मेहरा अपने बचपन से ही इको-फ्रेंडली जीवन जीना चाहती थीं. उनकी इसी सोच के चलते उन्होंने हाथी की लीद जैसी अनुपयोगी चीज को एक उपयोगी साधन बना कर हमारे सामने पेश करते हुए अपना इको-फ्रेंडली बिज़नेस शुरू किया. आज के समय मे हाथी छाप ब्रांड गांव वालों की एक छोटी सी टीम की मदद के द्वारा हाथी की लीद को बड़ी ही आसानी से प्रोसेस करती हैं और इस प्रकार से उसके बाद इसका पेपर बनाया जाता है.

HATHI CHAP (हाथी छाप)

हाथी की लीद मे रेशे होने का कारण

हाथी वैसे तो एक बहुत ही बाद ओर शक्तिशाली जानवर है किन्तु इसका पाचन तंत्र बहुत ख़राब होता है ओर यही कारण है की उसकी लीद में काफ़ी रेशे बचे रह जाते हैं. ओर इसी वजह से इनके लीद से बनने वाले पेपर की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है.

हाथी छाप प्रोडक्ट में एक प्रकार का नयापन है जिसे की हमारे द्वारा नकारा नहीं जा सकता तथा इससे हमारे समाज को एक प्राकृतिक विकल्प भी मिला है और इस पेपर की सबसे बड़ी खासियत यह है की इसकी मार्केटिंग भी अपने आप हो रही है. उनकी यह पहल एकोफ़्रेंडली होने के साथ-साथ हमे रसायन मुक्त ओर उम्दा प्रोडक्ट भी मुहैय्या कराती है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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