SUCCESS STORY OF DEVENDRA JAIN : अगर किसी व्यक्ति के मन में जुनून और जज्बा हो तो इंसान अपना रास्ता स्वयं बना लेता है. हमारी आज की कहानी के नायक भी ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी हैं जिन्होंने लिक से हटकर स्वयं को स्थापित करने का फैसला किया और आज वे हमारे देश के एक नामचीन उद्यमी के रूप में पहचाने जाते हैं.
उनके खून-पसीनों से सींची हुई कंपनी का नाम आज भारत के शीर्ष उद्योगों के रूप में शुमार होती है. जी हाँ, हम बात कर रहे है एंटरटेनमेंट सेक्टर से लेकर इंजीनियरिंग वर्क्स तक में हर जगह अपनी कामयाबी का डंका बजाने वाले देवेन्द्र जैन (DEVENDRA JAIN) के बारे में जो आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है.
आइनॉक्स (INOX) समूह की आधारशिला रखने वाले इस 88 वर्षीय बिजनेसमेन की जीवन यात्रा भावी युवाओं के लिए बेहद प्रेरणादायक है. करीब 13,000 करोड़ से अधिक की संपत्ति के धनी इस शख्स की गिनती आज देश के 100 सबसे अमीर लोगों में से एक के रूप में होती है.
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DEVENDRA JAIN का जीवन परिचय
देवेन्द्र जैन ने सिर्फ़ 18 वर्ष की कम उम्र से ही बिज़नेस में अपनी रूचि दिखाना शुरू कर दिया था. उनके पिता सिद्धमोल जैन का अपना पेपर व न्यूज़ प्रिंटिंग का बिज़नेस था. अपने पिता की ही राह पर चलते हुए देवेन्द्र ने कारोबार की बारीकियों को सीखा और उसी के साथ अपनी पढ़ाई भी पूरी की. दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से उन्होंने अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई कम्प्लीट की.
ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी करने के बाद उनका रुझान मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ओर होने लगा. उनके एक दोस्त जो कि उस समय ब्रिटिश ऑक्सीजन में कार्यरत थे उन्होंने उन्हें प्राकृतिक वायु से गैस को निकलने व उसके बाद उसका तरलीकरण करने की सलाह दी.
देवेन्द्र जैन को भी वायु से गैसों का निष्कर्षण व तरलीकारण कर बेचने के उस कारोबार में फायदा नज़र आया. क्योंकि उन दिनों औद्योगिक गैसों का इस्तेमाल इस्पात, विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में बहुत ही व्यापक रूप से हो रहा था. इसलिए इस क्षेत्र में कार्य करने वाले बिजनेसमेन केफायदे ही फायदे थे.
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इस प्रकार से हुई INOX की शुरुआत
देवेन्द्र को अपने आइडिया पर पूरा यक़ीन था इसलिए उन्होंने अपने भाई ललित के साथ मिलकर जर्मनी व अमेरिका की यात्रा की ताकि वे इसे और गहराई से समझ सके. वहाँ पर अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने औद्योगिक गैस बनाने वाली कंपनियों को देखा और उसके साथ ही वे ज़र्मनी से एक ऑक्सीजन संयंत्र भी खरीदकर भारत लाए.
सन 1963 में उन्होंने पुणे में ऑक्सीजन बनाने के लिये इंडस्ट्रीयल ऑक्सीजन कंपनी की शुरुआत की.
उनकी कंपनी ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के साथ दवा उद्योग और हॉस्पिटल में भी ऑक्सीजन का सप्लाई करनी शुरू कर दी. धीरे-धीरे उनका यह कारोबार फैलता चला गया और देवेन्द्र जैन एक के बाद एक छलांग लगाते हुए सफलता की सीढ़ियाँ चड़ते चले गये.
उनकी कंपनी आइनोक्स ने इसके अलावा और भी अलग-अलग क्षेत्रों में अपने पैर फ़ैलाने शुरू किये. आज आइनॉक्स के पास भारत का सबसे लोकप्रिय मल्टीप्लेक्स श्रृंखला है जिसके 120 से ज्यादा शहरों में सिनेमाघर हैं.आज उनकी इस कंपनी की बागडोर उनके परिवार के तीसरी पीढ़ी सिद्धार्थ के हाथों में है.
देश में आइनोक्स इकलौता ऐसा ग्रुप है जो रेफ्रिजेन्ट गैस के साथ-साथ इसके सिलेंडर भी स्वयं बनाता है. वर्तमान में समूह के औद्योगिक गैस, फ्लोरोकार्बन, क्रोयोज़ेनिक इंजीनियरिंग और मल्टीप्लेक्स के बिज़नेस में बड़ा नाम बन चुकी है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…