“मंजिले उन्हें ही मिलती है जिनके सपनो में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता होसलो की उड़ान होती है“
ARUN KHARAT SUCCESS STORY : उक्त पंक्तियाँ आज की कहानी के हमारे हीरो अरुण खरात (Arun kharat) पर बिलकुल फिट बैठती है जिन्होंने मात्र 150 स्क्वायर फ़ीट के फ्लैट से अपने बिज़नेस की शुरुआत कर आज पुणे की प्राइम लोकेशन पर 150 करोड़ से ज्यादा का विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया
ARUN KHARAT का बचपन –
ARUN KHARAT का जन्म पुणे के एक छोटे से गांव खड़की में एक मराठी फॅमिली में हुआ था उनके पिता एक स्वास्थ अधीक्षक के पद पर कार्यरत थे उन्हें बचपन से ही कुछ अलग करने की चाह थी वे अपने पिता की रॉयल एनफील्ड पर पुरे विश्व का भ्रमण करना चाहते थे.
ARUN KHARAT के बचपन से बड़े सपने –
जब उन्होंने दसवीं कक्षा पास की तो वे अपने चाचा की जूते की दूकान पर उनका हाथ बंटाने जाया करते थे और मन ही मन बड़े होकर स्वयं के बिज़नेस के बारे में सोचा करते थे जैसे तैसे कर के उन्होंने सरकारी कॉलेज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग का तीन वर्षीय डिप्लोमा किया उसके बाद कई सारी जॉब्स की लेकिन उनका मन तो खुद के आईडिया पर बिज़नेस करने का था सो उन्हें यह सब ज्यादा रास नहीं आया सबसे पहले उन्होंने एक एसटीडी बूथ खोला जहा पर वे ऑनलाइन रेल टिकट भी बुक किया करते थे.
ARUN KHARAT द्वारा छोटे स्तर से शुरुआत –
Arun kharat ने एसटीडी बूथ से कुछ पैसो को इक्कठा कर उन्होंने अपने आईडिया को मूर्त रूप दिया और फिर “विंग्स ट्रेवल्स” की नीव रखी.
“हर बड़े कार्य की शुरुआत छोटे स्तर से ही होती है.”
आज की तारीख में उनका बिज़नेस भारत में अन्य कैब सर्विस से बिना प्रभावित हुए देश के 9 बड़े महानगरों मुम्बई, पुणे, गुडगाँव, चेन्नई, हैदराबाद, बैंगलोर, चंडीगढ़, अहमदाबाद, बड़ोदा और इसके साथ ही विदेशो में भी म्यांमार, थाईलैंड,और वियतनाम आदि स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चूका है.
इसकी शुरुआत में उन्होंने कई बैंको से लोन लेकर भी की थी जिसका की प्रतिफल उन्हें लगभग 600 से ज्यादा स्टाफ मेंबर्स और 150 करोड़ से अधिक टर्न ओवर के रूप में मिला है उनके आईडिया को पखं उस समय भी लगे जब उन्होंने ट्रैकमैल के साथ मिलकर काम किया और स्टाफ ट्रांसपोर्ट सर्विस का प्रस्ताव स्वीकार किया.
ARUN KHARAT द्वारा अनोखी स्कीम द्वारा बिजनेस का विस्तार –
जब अरुण खरात की कार रेंटल सर्विस काफी चलने लगी फिर उन्होंने मालिक चालक नाम की एक स्कीम चलाई, इसके तहत ड्राइवर 20-30 % तक अपने स्वयं के पैसे लगाता है और विंग ट्रेवल्स अपनी गारंटी पर बाकि की कीमत बैंक से फाइनेंस कराता है और तीन साल के बाद कार, ड्राइवर की खुद की हो जाती है. इसके साथ ही विंग्स ट्रेवल्स ने एक विंग्स सखी नाम की कैब शुरू की है जिसमें महिला ड्राइवर है. साथ ही विंग्स रेनबो नाम की कैब शुरू की है जिसमे समलैंगिक समुदाय के लोग ड्राइवर हैं.
WINGS TRAVELS COMPANY का विदेश मे विस्तार –
अब उनके द्वारा बनाई गयी कंपनी “विंग्स ट्रेवल्स” के अधिग्रहण के बाद देश के लगभग 47 शहरों में अपनी मौजूदगी दर्शा सकेगी इसके साथ विदेशो में रेडिओ टेक्सी के रूप में अरुण की कंपनी अपनी सेवाए दे रही है जिनमे से प्रमुख – म्यांमार, थाईलैंड,और वियतनाम है.
अंत में अरुण की कहानी उन सभी युवा एंटरप्रेन्योर के लिए एक सिख है जो अपने आईडिया पर काम करना चाहते है.