“वो कहते है ना की पक्की सफलता के लिए अपने कम्फर्ट जोन से निकलना पड़ता है”
SURAJMAL JALAN SUCCESS STORY : कुछ ऐसा ही कर दिखाया है आज की कहानी के किरदार सूरजमल जालान (SURAJMAL JALAN) ने जिन्होंने अपने परिवार के ऐशो-आराम को त्याग कर एक स्ट्रगलर की भांति शुरूआती दिन फुटपाथ पर बिताये और अपने संघर्ष से लिख डाली अपनी किस्मत जिसकी कहानी सुनकर ही हम में जोश भर जाता है लेकिन असली परीक्षा और लड़ाई तो सूरजमल ने दी है.
सूरजमल आज देश के अमीर लोगो की सूची में अपना स्थान रखते है लेकिन एक वह समय भी था जब वे घर से खाली जेब ही निकल गए थे मन में अपना एक मुकाम हासिल करने की चाह में आज उनका आईडिया देश का सबसे बड़ा अपने सेक्टर का ब्रांड बन चूका है जिसका की सालाना टर्न ओवर 350 करोड़ से अधिक है.
आज सूरजमल 78 वर्ष के और उनकी पेन निर्माता कंपनी “लिंक” को शुरू हुए 44 वर्ष पूर्ण हो चुके है वर्ष 1976 में उन्होंने अपने एक मित्र द्वारा सुझाये गए नाम “लिंक” यानी जुड़ाव से अपनी कंपनी की शुरुआत की थी आज की तारीख में उनका यह ब्रांड देश के सभी नागरिको की जेब का एक आवश्यक हिस्सा बन चूका है.
छोटी सी दुकान से की शुरुआत
मात्र 10*10 की एक छोटी सी दूकान जो कोलकत्ता के मालपुरा क्षेत्र में थी से स्टार्ट हुआ प्लास्टिक पेन प्रोडक्ट का आईडिया आज “लिंक” पेन्स के रूप में लगभग 50 देशो में निर्यात किया जाता है और देश का जाना-माना स्टेशनरी ब्रांड है. अभी वर्तमान में उनके पुत्र दीपक जालान कंपनी के प्रबंध निदेशक है जिन्होंने भी यहाँ पर एक सेल्स एग्जीक्यूटिव के रूप में शुरुआत की थी.
सूरजमल जालान का बचपन
सूरजमल का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के एक छोटे से गांव लक्ष्मण गढ़ी में हुआ था, वे अपने परिवार में सबके लाड़के और कुल छह भाई-बहिनो में पांचवे नंबर पर थे उनके पिता एक सेवानिवृत कर्मचारी थे उनके घर का पूरा खर्चा दो बड़े भाई चलाया करते थे.
सूरजमल अपनी स्कूली शिक्षा पूर्ण कर 18 पास के कस्बे में कॉलेज की पढाई के लिए गए वह पर मात्र 19 वर्ष की आयु में ही उन्होंने कुछ अपना काम करने की मन में ठान ली थी, लेकिन इसको पूरा करने के लिए घर वालो ने एक शर्त रखी की यदि वे गांव से बाहर जाकर अपना कुछ करना चाहते है तो वे इसकी इज़ाज़त और मदद तभी करेंगे जब जाने से पूर्व वे शादी कर ले.
जब ख़ाली जेब घर से निकले
लेकिन सूरजमल इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थे और खाली हाथ ही अपने गांव से निकल पड़े अपने सपनो को पूरा करने हेतु गांव से वे सीधा कलकत्ता अपने दोस्त की ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करने लगे और फुटपाथ पर रहते हुए रोड साइड जिंदगी व्यतीत करने लगे पैसो की तंगी के चलते कभी उन्हें परिवार का स्नेह और याद जरूर आती थी लेकिन अपने सपनो की कीमत के आगे उन सब बातो की वैल्यू कम थी इसलिए बिना डगमगाए अपने वास्तविक लक्ष्य की और धीरे धीरे बढ़ते गए.
इस बीच उन्होंने कई सारे काम किये जहा उनकी मासिक आय ज्यादा से ज्यादा 500/- ही थी इसी में से कुछ पैसे बचाकर जब उनके माता-पिता की तबियत खराब रहने लगी तब वे अपने गांव लौटते समय कुछ कलम (पेन) खरीद कर साथ ले आये और उनकी सेल्फ मार्केटिंग करने लगे.
यहाँ उन्हें मालुम पड़ा की लोगो में अच्छे क्वालिटी के पेन की जरुरत है वे फिर से कलकत्ता का रुख किया और वहा के सबसे बड़े स्टेशनरी मार्किट बागरी बाजार में अपना एक रिटेल काउंटर शुरू किया जो धीरे धीरे हॉल-सेल में तब्दील हो गया लेकिन वे इस से भी आगे बढ़कर अपने नाम का ब्रांड बनाते हुए पेन की फैक्ट्री ओपन करना चाहते थे.
ससुराल वालों की मदद से रखी पेन फ़ेक्ट्री की नींव
सूरजमल ने इसके लिए अपने ससुराल वालो की मदद से उन्होंने पेन फैक्ट्री की नीव रखी और मित्र के द्वारा बताये गए नाम “लिंक” ब्रांड से शुरुआत की उस समय उन्होंने केवल मात्र 10,000 से इसको स्टार्ट किया था जो आज की तारीख में लगभग 50 देशो में निर्यात के साथ लगभग 350 करोड़ का कारोबार बन चूका है.
1992 में लिंक मित्सुबिशी जापान के साथ मिलकर यूनी-बॉल पेन्स के एक्सक्लूसिव वितरक बन गए. और उसी साल इन्होंने 12 लाख कलम साउथ कोरिया को एक्सपोर्ट किया. 2005 में कंपनी ने लिंक ग्लेसिअर की शुरुआत की.
आज इनकी कंपनी के पुरे देश में कई सारे काउंटर खुले हुए है जहा पर अब वे बिज़नेस का विस्तार करते हुए अन्य स्टेशनरी प्रोडक्ट्स की रेंज लेकर आ रहे है.
वर्ष 2008 में उन्होंने अपने ब्रांड के एंडोर्स्मेंटके लिए बॉलीवुड के किंग शाहरुख़ खान को कंपनी का ब्रांड एम्बेस्डर बनाया था अभी उनकी अगली पीढ़ी कारोबार को आगे ले जाने का काम कर रही है.