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IAS VINOD KUMAR SUMAN – दिहाड़ी मजदूरी और मंदिर में राते गुजार बने आईएएस अधिकारी

“गरीब पैदा होना आप के हाथ में नहीं है, किन्तु गरीबी में जीने और ओर उसी में मर जाने के जिम्मेदार केवल आप है।”

IAS VINOD KUMAR SUMAN SUCCESS STORY : अगर इंसान अपने जीवन में पूरी ज़िद और शिद्धत से कुछ कर गुजरने का ठान ले तो दुनिया की कोई भी ताक़त उसे अपने मुकाम और मंजिल हासिल करने से नहीं रोक सकती, फिर चाहे उसके रास्ते में कैसी भी भयंकर और विपरीत परिस्थितियाँ ही क्यों न आ जाए.


बिलकुल इसी तरह ही विपरीत परिस्थतियो से जूझते हुए आज की कहानी के किरदार आईएएस विनोद कुमार सुमन (IAS VINOD KUMAR SUMAN) ने अपने जीवन में संघर्ष कर खुद की सफलता की कहानी लिख डाली.

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IAS VINOD KUMAR SUMAN

IAS VINOD KUMAR SUMAN का बचपन ओर EDUCATION –


उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के एक छोटे से गांव जखाउ में बेहद गरीब किसान परिवार में जन्मे विनोद कुमार ने अपने बचपन में ही आर्थिक तंगहाली और अभावो को बड़ी नज़दीकी से जिया, अपने सात भाई-बहिनो में सबसे बड़े विनोद कुमार के घर में पिता की आय ही जीवन गुज़ारने का एकमात्र साधन था.

ऐसे में उनके सामने शुरू से ही जल्द से जल्द एक नौकरी पाकर अपने परिवार के बिगड़े हुए हालातो को सुधारने का विकल्प था किन्तु इसके लिए शिक्षा ही एकमात्र सहारा था क्योंकि शिक्षा के बिना यह सब संभव नहीं था इसलिए विनोद ने सबसे पहले अपना फोकस शिक्षा पर ही किया.

विनोद कुमार ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा गांव में पूरी की ओर इस दौरान वे पिता के काम में हेल्प करने लगे, इसी बीच उनकी 12वी कक्षा की पढ़ाई विभूति नारायण राजकीय इंटर कालेज ज्ञानपुर (भदोही) से कम्पलीट हुई, विनोद आगे पढ़ना चाहते थे एवं परिवार की आर्थिक मदद भी करना चाहते थे किन्तु परिवार के हालात ऐसे नहीं थे की अब और आगे उन्हें शिक्षित कर सके, ओर इसी वजह से विनोद ने एक कठिन फैसला लिया ओर अपने माता-पिता और परिवार को छोड़ केवल एक जोड़ी कपडे में घर से निकल पड़े और सीधे पहुंच गए गढ़वाल (श्रीनगर).


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IAS VINOD KUMAR SUMAN

गढ़वाल पहुंचने के बाद असली संघर्ष –


विनोद कुमार के भदोही से गढ़वाल तक के सफर के दौरान जो कुछ भी खाने-पीने और थोड़े बहुत पैसे थे वे सभी खर्च हो गए, ओर अब विनोद की जेब में कुछ नहीं बचा था, अतः रात गुजारने के लिए उन्होंने एक मंदिर के पुजारी से आज्ञा ली ओर वही पूरी रात एक चादर में सो गए, ओर सुबह जल्दी ही उठकर निकल पड़े काम की तलाश में.

यहाँ विनोद की किस्मत अच्छी थी ओर उस दौर में वर्ष 1989 में श्रीनगर में सरकार की और से निजी ठेकेदारों के द्वारा पुरे शहर में सुलभ शोचलय का निर्माण करवाया जा रहा था ओर इसके लिए दैनिक मजदूरों की आवश्यकता रहती थी, ओर जब विनोद कुमार को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने भी बिना कुछ सोचे मजदूरी करना शुरू कर दिया जहा उन्हें प्रतिदिन 25 रुपये मिला करते थे.


विनोद कुमार मज़दूरी से मिलने वाले पैसो से अपना खाना-पीना करने के साथ मदिर के बाहर एक चादर में ही गुज़ारा कर रहे थे, ओर इसी दौरान उन्होंने कुछ पैसे बचा कर गढ़वाल की यूनिवर्सिटी में बी ए प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया और गणित, सांख्यिकी और इतिहास विषय लिए.

इसके साथ ही गणित में अच्छे होने के कारण विनोद कुमार होम ट्यूशन भी लेने लगे और कुछ पैसो की आर्थिक सहायता घर पर भी भेजने लगे, वर्ष 1992 में विनोद कुमार ने अपनी ग्रैजुएशन पूरी की ओर अपने पिता के बुलावे पर गांव लौट आये.


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IAS VINOD KUMAR SUMAN

पदोन्नति पाकर बने आईएएस अधिकारी –

गांव लौटने के पश्चात इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से आगे अध्ययन जारी रखते हुए प्राचीन इतिहास में एमए किया। इसके बाद 1995 में उन्होंने लोक प्रशासन में डिप्लोमा किया और प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गये.


इसी दौरान विनोद की माता को कैंसर हो गया ओर विनोद कुमार के सर पर उनकी सेवा और सार-संभाल करने का ज़िम्मा भी आ गया ओर इसी वजह से उनकी परीक्षा की तैयारियां प्रभावित हुई किन्तु उन्होंने पढाई के प्रति गंभीरता दिखाते हुए PCS की परीक्षा को वर्ष 1997 में पास की ओर उन्हें महालेखाकार ऑफिस में लेखाकार की सर्विस मिल गयी.

यहाँ से पदोन्नति पाकर वर्ष 2008 कैडर में विनोद कुमार का चयन आईएएस अधिकारी के पद पर हो गया जहा वे देहरादून में एडीएम और सिटी मजिस्ट्रेट के अलावा कई जिलों में एडीएम गन्ना आयुक्त, निदेशक समाज कल्याण सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं.

वर्ष 2018 में विनोद कुमार को नैनीताल का डीएम पद भर मिला, इससे पहले इनके पास खनन व निदेशक शहरी विकास का जिम्मा था ओर पिछले करीब एक साल से विनोद कुमार अल्मोड़ा के जिलाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं.


विनोद कुमार का वर्ष 1999 में उनका विवाह हो गया था, ओर इस विवाह से उन्हें एक बेटी भी है.

विनोद कुमार सुमन की यह संघर्ष पूर्ण कहानी सच में हमें प्रेरणा देती है की सफलता के पथ पर चाहे जितनी मुश्किलें क्यों न आये किंतु आपको अपने हौसले को कभी डिगने नहीं देना चाहिए.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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