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IAS ROHINI BHAJIBHAKARE – 227 वर्षो बाद महिला कलेक्टर नियुक्त होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी

समाज के सर्वोच्च विकास के लिए महिलाओ का शिक्षित एवं सशक्त होना बेहद जरुरी है.

IAS ROHINI BHAJIBHAKARE SUCCESS STORY : देश की आज़ादी के बाद से ही आने वाली सभी सरकारों ने जनता के लिए कई सारी योजनाए बनायी, जिसका उद्देश्य जनता को लाभान्वित करते हुए उनका विकास और उत्थान करना होता है.


किन्तु सरकारी महकमों में बैठे बड़े आला अधिकारियों और उनके अधीनस्थों द्वारा सम्पूर्ण योजना को प्राप्त करने के लिए जनता को किस प्रकार एक कठिन दौर से गुजरना पड़ता है, इसका दर्द त्रस्त जनता ही समझ सकती है या जिस परिवार पर इस तरह की पीड़ा हुई है वही जान सकता है.

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IAS ROHINI BHAJIBHAKARE

बचपन मे पिता को दफ्तर के चक्कर लगाते देख लिया ऑफिसर बनने का निर्णय

कुछ ऐसा ही आज की कहानी के पात्र के साथ हुआ जब वे छोटी थी, उनके बुजुर्ग पिता को सरकारी अधिकारियों की नौकरशाही और लालफीताशाही के कारण लगातार दफ्तर के चक्कर और लाचार होते हुए बड़ी ही नज़दीकी से देखा और उनका दर्द महसूस करते हुए बाल सुलभ मन में जिज्ञासा स्वरुप पिता से पूछा की ये अधिकारी लोग ऐसा क्यों करते है?


पिता ने भी जवाब देते हुए कहा की सरकार तो जनता के लिए हमेशा से ही अच्छी और लाभकारी योजनाए बनती रहती है, किन्तु अशिक्षा और अफसरों की लापरवाही और लम्बी सरकारी प्रक्रिया के कारण जनता उसका समुचित लाभ नहीं मिल पाता है.

उस समय मात्र 9 वर्ष की रोहिणी भाजी भाकरे (IAS ROHINI BHAJIBHAKARE) ने अपने मन में ठान लिया की वे बड़ी होकर एक बड़ी अधिकारी बनेगी जिसका उद्देश्य सरकारी योजना के लिए किसी भी आमजन, विशेषकर बुजुर्ग को बार-बार इस तरह चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा, बड़ी ही सुलभता से सभी योजनाओ का लाभ मिलेगा और ठीक 23 वर्ष बाद ही उन्होंने अपना सपना साकार कर दिखाया.


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IAS ROHINI BHAJIBHAKARE

IAS ROHINI BHAJIBHAKARE का जन्म ओर EDUCATION

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक छोटे से गांव उपलाई में एक किसान परिवार में वर्ष 1986 जन्मी रोहिणी भाजी भाकरे ने अपने किसान पिता- रामदास को सरकार द्वारा किसानो के लिए आयोजित योजना के लिए सरकारी दफ्तर के चक्कर से परेशान देखते हुए यह फैसला लिया था.


रोहिणी की स्कूली शिक्षा 10 तक गांव में “श्री नंदिकेश्वर विधालय” से हुई, इसके बाद इन्होंने अपनी 12 की परीक्षा सोलापुर से दी, जहा वे अपनी क्लास की टोपर बनी इसके बाद सरकारी कॉलेज से ही अपनी ग्रैजुएशन इंजीनियरिंग (कंप्यूटर साइंस) में अथॉरिटीज कॉलेज, पुणे से पूर्ण की.

अपनी पढाई पूरी करने के बाद रोहिणी जुट गयी अपने बचपन के सपने और पिता जैसे सभी आमजन के लिए सुविधाजनक सरकारी योजनाओ के लाभ दिलवाने के उद्देश्य से यूपीएससी की तैयारी में, इन्होंने बिना किसी कोचिंग के वर्ष 2008 की परीक्षा को पास किया.


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IAS ROHINI BHAJIBHAKARE

IAS बनने के बाद जनता के सेवक की की छवि बनाई

आईएएस बनने के बाद रोहिणी ने बचपन में अपने पिता के दर्द को समझते हुए खुद की एक अच्छे, व्यवहारिक और जनता के सेवक के रूप में अपनी छवि बनाई, एक बार का किस्सा याद करते हुए रोहिणी बताती है की एक स्कूल के निरिक्षण के दौरान वहा पर उस स्कूल के टीचर नदारद थे और बच्चे खेल रहे थे अतः उन्होंने स्वयं क्लास ली थी और दौरे के पश्चात स्कूल में समुचित व्यवस्था के लिए निर्देश भी दिए थे.

इसी प्रकार मदुरई में भी अतिरिक्त कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट रूरल डेवलपमेन्ट एजेंसी के पद पर रहते हुए उन्होंने वहा की भाषा को सीखा साथ ही इतना अच्छा काम कर दिखाया की आज भी वहा की जनता रोहिणी को याद करते हुए नहीं थकते है.

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सेलम जीने की COLLECTOR बन रचा इतिहास

यही नहीं रोहिणी ने एक इतिहास अपने नाम करते हुए सेलम जिले की 227 वर्ष एवं 170 पुरुष कलेक्टर के पश्चात पहली महिला जिला कलेक्टर पद पर आसीन होने का रिकॉर्ड बनाया, जिले में 1790 के बाद से पहली बार किसी महिला ने जिले की कमान संभाली थी.

वर्तमान समय में रोहिणी सेलम के लोगों को और विद्यालयों में जाकर स्वछता के लिए जागरूक करने का अपना दायित्व निभा रही हैं. क्योंकि स्वछता और स्वास्थ्य संबंधी दो ऐसी समस्याएँ हैं जिनसे निपटना आवश्यक है.

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आम आदमी तक सरकारी योजना का लाभ पहुचाना है लक्ष्य


रोहिणी भाजी भाकरे के जीवन का उद्देश्य केवल मात्र इतना ही है की जब भी कोई सरकारी योजना आम आदमी के लिए आती है तो उस योजना का सम्पूर्ण लाभ आम जनता तक बड़ी ही आसानी से पहुंचे, ओर इसमें किसी भी प्रकार की अफसरों की लापरवाही और नौकरशाही को रोहिणी बर्दास्त नहीं करती है.

रोहिणी की शादी ‘वीरेंद्र बिदारी’ के साथ हुई जो स्वयं भी एक आईपीएस अधिकारी है और जिला मदुरई में ही पोस्टेड है, दोनों के एक लड़का भी है. सच में देश को रोहिणी बिदारी भाजी भाकरे जैसे अधिकारियों की जरुरत है जो जनता के बीच रहकर उनके दर्द को अपना दर्द महसूस कर सके और उसी अनुरूप अपने काम को करे, इसके साथ ही समाज में महिलाओ के उत्थान के लिए भी रोहिणी काम कर रही है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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