“सफलता तक पहुंचने के लिए असफलता के Road से गुजरना पड़ेगा.”
RIZWAN SAJAN SUCCESS STORY : आज की सफलता की कहानी एक ऐसे इंसान रिजवान साजन (RIZWAN SAJAN) की है जिसनें बचपन से ही अपने जीवन मे गरीबी और अभावों को बहुत करीब से महसूस किया. इनके ऊपर एक के बाद एक परेशानियों का वज्रघात होता रहा ओर सिर्फ 16 वर्ष की उम्र में ही इन्होंने अपने पिता को खो दिया. पिता की मृत्यु के बाद तो इनके नाजुक कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई.
इतनी छोटी उम्र मे विपरीत परिस्थिति के बावजूद इन्होंने संघर्ष को गले लगाते हुए परिवार के गुजर-बसर के लिए मुंबई की सड़कों पर दर-दर की ठोकरें खानी शुरू कर दी. उस समय रिजवान की जेब में एक रुपया तक नहीं था किन्तु इसके बावजूद वे अपनी आँखों में सपना लिए हर चुनौतियों का डटकर मुकाबला करते हुए आज के समय मे दुनिया के जाने-माने उद्योगपति की सूची में शुमार हो गए है.
RIZWAN SAJAN का बचपन ओर संघर्ष
जाने-माने उद्योगपति और अरबों डॉलर वाले डेन्यूब समूह के संस्थापक-अध्यक्ष रिजवान साजन मुंबई के एक बेहद ही गरीब परिवार में पैदा हुए ओर इनके आँख खोलने के साथ ही जिंदगी के साथ संघर्ष शुरू हो गया. रिजवान की जिंदगी पहले से ही चुनौतियों से भरी हुई थी ओर ऊपर से जब वे 16 वर्ष के थे उस समय उनके सर से पिता का साया भी उठ गया.
गरीब परिवार से होने के कारण रिजवान का परिवार पहले से ही बुरी आर्थिक हालातों से जूझ रहा था ओर ऊपर से पिता की मृत्यु के बाद तो इनके परिवार के लिए एक वक़्त के खाने के लिए भी संघर्ष शुरू हो गया. किन्तु रिजवाँ ने खुद को जिंदा रखने के लिए और परिवार में बड़ा होने के कारण इतनी छोटी उम्र मे ही रोजगार की तलाश करनी शुरू कर दी.
इस दौरान रिजवान ने काम के साथ-साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा. रिजवान ने किसी तरह से अपनी स्नातक की पढ़ाई कम्प्लीट करने के साथ-साथ पार्ट-टाइम नौकरी भी की, ओर डिग्री के बाद उन्होंने नौकरी के लिए कुवैत में काम कर रहे अपने चाचा को एक ख़त लिखा। रिजवान के चाचा बहुत पहले ही पैसे कमाने के उद्येश्य के साथ कुवैत रवाना हो चुके थे.
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जब स्वयं का कारोबार करने का निर्णय लिया
रिजवान ने कुछ सालों तक हार्डवेयर की दुकान पर काम किया किन्तु इस दौरान रिजवान को यह अहसास को गया कि इस तरह काम करने से उन्हे जिंदगी में कुछ भी हासिल नहीं हो सकेगा. क्योंकि हार्डवेयर की जॉब में उन्हें काफी कम तनख्वाह मिलती थी और पूरा वक़्त काम करते हुए ही बीत जाता था. अंत में इन्होंने नौकरी छोड़ ख़ुद का कारोबार शुरू करने की योजना बनाई. लेकिन इनके सामने अपना कारोबार शुरू करने में सबसे बड़ी अरचन थी पैसे का अभाव.
रिजवान के लिए वर्ष 1991 से 1993 के बीच की अवधि उनके जीवन के लिए निर्णायक वर्ष रहे ओर इस दौरान इन्होंने अपने द्वारा बचत की गई कुछ राशि और उद्योग क्षेत्र में तब तक मिले हुए तजुर्बे का इस्तेमाल करते हुए एक निर्माण सामग्री से संबंधित बिजनेस शुरू किया और इनका यह काम चल निकला ओर काफी कम समय में ही रिजवान उस बिजनेस से काफी अच्छे पैसे कमाने में सफल रहे.
अपने शुरुआती संघर्ष के दिनों को याद करते हुए रिजवान कहते हैं कि “जब मैंने दियरा में एक छोटी सी दुकान के साथ अपनी शुरुआत की तो उस वक़्त मेरी पत्नी ने मुझे बहुत सहयोग दिया ओर मेरी पहली कर्मचारी मेरी पत्नी समीरा साजन ही थी. उस वक्त मैं मैंने बिजनेस को शुरू करते वक्त कभी यह नहीं सोचा था कि एक दिन मेरा यह कारोबार अरबों डॉलर में खेलेगा.”
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बिजनेस के नाम को लेकर करना पड़ा संघर्ष
उस समय में वैसे तो किसी कंपनी को खड़ी करने के लिए व्यापारी को प्रक्रियाओं और औपचारिकताओं के लिए ज्यादा कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़ता था लेकिन रिजवान को अपने बिजनेस का नाम ‘डेन्यूब (Danube Group)’ के नाम से रजिस्टर करवाने मे बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा था.
नए लोगों के लिए हमेशा से ही किसी व्यापार की शुरुआत करना बेहद ही कठिनाईयों से भरा होता है. इस बारे मे रिजवान कहते हैं कि शुरुआती दिनों के दौरान उनके लिए व्यापार इतना भी आसान नहीं था. इनके द्वारा पहले से ही अपनी पैठ जमा चुके कारोबारियों को टक्कर देते हुए अपने बिजनेस को फैलाना कोई आसान काम नहीं था, हालांकि यह थोड़ा मुश्किल जरुर था, लेकिन असंभव बिल्कुल भी नहीं था.
रिजवान के द्वरा स्थापित डेन्यूब समूह तमाम तरह की चुनौतियों का सामना करने के बाद वर्तमान समय मे 7000 करोड़ रूपये से ज्यादा का टर्न-ओवर कर रही है. वर्तमान समय मे डेन्यूब संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, बहरीन, सऊदी अरब, कतर, अफ्रीका और भारत सहित नौ देशों में 50 से अधिक गजहों पर भी काम कर रहा है. कुछ समय पहले ही इन्होनें चीन में भी अपना साम्राज्य फैलाना शुरू किया है.
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रिजवान की सफलता का श्रेय
रिजवान से जब उनकी सफलता के बारे मे पूछा गया तो उन्होंने अपनी सफलता का राज़ कड़ी मेहनत, सकारात्मकता, संकट के वक्त ख़ुद को शांत रखने के साथ किसी भी प्रकार का बेवकूफी पूर्ण काम नहीं करना बताया. इसीके साथ रिजवान अपनी सफलता के लिए ख़ुद की व्यापार रणनीति और अलग ढंग से सोचने की क्षमता को भी अपना पूरा श्रेय देते हैं.
रिजवान शुरुआत से ही अपने कर्मचारियों के साथ बेहद आदर ओर दोस्ताना संबंध को लेकर भी जाने जाते हैं. वे हमेशा से ही यह मानते है कि किसी भी व्यापार में काम कर रहे सभी लोगों के बीच बड़े-छोटे के अंतर को समाप्त करने ओर अच्छे संबंध स्थापित करने से आपको ज्यादा तेजी से तरक्की मिलती है.
किसी समय मे मुंबई की सड़कों पर दो वक्त के खाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने वाला लड़का आज अपनी मेहनत के द्वारा इतने बड़े साम्राज्य की स्थापना करते हुए हजारों लोगों को उनकी आजीविका मुहैया करा रहा है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…