HomeSUCCESS STORYKALPESH CHAUDHARY : गरीबी और विकलांगता को हराकर कैसे 11वीं पास लड़के...

KALPESH CHAUDHARY : गरीबी और विकलांगता को हराकर कैसे 11वीं पास लड़के ने खड़ी की करोड़ों की कंपनी

“ऐसी मेहनत ही क्या,जिसमे सपने मजबूर ना सच होने के लिए I”

SUCCESS STORY OF KALPESH CHAUDHARY : आज की कहानी एक ऐसे गरीब लड़के कल्पेश चौधरी (KALPESH CHAUDHARY) की है जो 5 महीने की उम्र मे ही बीमारी के कारण पोलियोग्रसित हो गया किन्तु उसके बावजूद भी उसने कभी भी अपनी सफलता की राह मे विकलांगता को नहीं आने दिया ओर आज उनका नाम कारोबार जगत मे बड़े ही गर्व से लिया जाता है.

विकलांगता को हमारे समाज मे अभिशाप माना जाता है ओर ऐसा कहा जाता है की व्यक्ति बिना पैर के नृत्य नहीं कर सकता हैं? या फिर खेल नहीं सकता? या एक पूर्ण, सफल और सुखी जिंदगी नहीं जी सकता? किन्तु इन सब बातों के विपरीत कल्पेश चौधरी कल्पेश चौधरी ने सिद्ध कर दिया कि व्यक्ति को अपने सपनों को हासिल करने के लिए एक संपूर्ण शरीर की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि उसके मन मे उसे प्राप्त करने का जज्बा होना चाहिए. इनकी सफलता उन सभी लोगों के अंदर आशा का पुनः संचार करती है जो जिंदगी में परिस्थितियों के कारण दबकर अपने सपनों का दफ़न करते हुए एक साधारण जिंदगी जीने लग जाते है.

जी दोस्तों गुजरात के सूरत में रहने वाले कल्पेश चौधरी विकलांगता के अभिशाप के साथ जीने को मजबूर है किन्तु इसके बावजूद विकलांगता को मात देते हुए कल्पेश ने हार न मानते हुए कारोबारी जगत में अपनी जो पहचान बनाई है, वह वाकई बेहद प्रेरणादायक है. किन्तु इतने ऊँचे मकाम तक पहुँचने में कल्पेश चौधरी को अपने बचपन से ही कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना पड़ा.

यह भी पढे : CHOTU SHARMA : चपरासी की नौकरी कर कोचिंग की फीस भरने से लेकर 10 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर वाली IT कंपनी खड़ी करने तक का सफर

KALPESH CHAUDHARY

जब KALPESH CHAUDHARY 5 माह की उम्र मे पड़े बीमार

कल्पेश चौधरी जब मात्र 5 महीने के थे तभी वे एक लम्बी बिमारी से ग्रसित हो गये. इस घातक बीमारी के कारण महीनों तक बिस्तर पर पर  जूझने के दौरान ही ये पोलियो का शिकार भी हो गये. बीमारी की वजह से इनका शरीर पहले से ही बहुत कमजोर हो चुका था और उसके बाद इन्हे पोलियो ने पूरी तरह से जकड़ लिया. पोलियो के कारण दुर्भाग्यवश उन्हें अपनी एक पैर हमेशा के लिए गंवानी पड़ी. पोलियो ने कल्पेश के चलने की क्षमता को जरूर छीन लिया था किन्तु इसके बावजूद वह इनके हौसलों को मात देने में असफल रहा.

दिव्यांग कल्पेश बचपन से ही मानसिक रूप से मजबूत थे ओर ये वक्त के साथ खुद के भीतर चुनौतियों से लड़ने की क्षमता विकसित करते हुए सफलता की राह में आने वाली तमाम मुश्किलों का मुकाबला करते हुए आगे बढ़ते रहे.

कल्पेश चौधरी अपने बचपन मे ही यह बात अच्छी तरह से समझ चुके थे कि उनके लिए जिंदगी की राह में आगे बढ़ने के लिए एक मात्र सहारा पढ़ाई ही बनेगा. उनके ऐसा सोचने का कारण यह था की कल्पेश चौधरी के पिता एक छोटा का बिज़नेस चलाते थे और उनकी आय का एकमात्र साधन भी यही था. कल्पेश जैसे-जैसे बड़े हुए तो उन्होंने परिस्थितियों को समझते हुए अपने पिता के कारोबार में हाथ बँटाना शुरू कर दिया और इसी के साथ अपनी पढ़ाई को भी जारी रखा.

यह भी पढे : JASWANTIBEN JAMNADAS POPAT : गाँव की महिलाओं के साथ मिलकर उधार के 80 रुपये से शुरू कर खड़ा किया 1600 करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य

KALPESH CHAUDHARY

पिता की मृत्यु ओर घर का भार

वक्त इसी तरह से गुजर रहा था की एक दिन अचानक से कल्पेश चौधरी के पिता का भी देहांत हो गया. पिता की मृत्यु के बाद तो इनके घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. कल्पेश चौधरी घर मे सबसे बड़े बेटे थे ओर इसी कारण इनके ऊपर घर की सारी जिम्मेदारी आ गयी. ऐसी स्थिति मे इनके सामने दो रास्ते थे एक तो अपनी पढ़ाई जारी रखे ओर दूसरा अपने पिता के कारोबार को संभाले.

काफी सोच विचार के बाद अंत में इन्होंने पढ़ाई छोड़ पिता के कारोबार को ही आगे बढ़ाने का निश्चय किया. कल्पेश ने कारोबार संभालने का निर्णय तो ले लिया किन्तु उनके सामने सिर्फ और सिर्फ चुनौतियाँ थी. एक तरफ तो वे विकलांग होने के कारण चलने में असमर्थ थे तो वहीं दूसरी ओर उनके कंधे पर बंद होने के कगार पर चल रहे बिज़नेस में फिर से तेजी लाने का चेलेंज तो ओर इसके साथ ही बहन की शादी, भाई की पढ़ाई, ओर परिवार को चलाने का बोझ भी था.

यह भी पढे ; SUPRIYA SABU : 5000 रुपये से 50 करोड़ से ज्यादा का बिज़नेस एम्पायर बनाने वाली एक आम लड़की की कहानी

KALPESH CHAUDHARY

छोटे स्तर से ऊंचाई तक का सफर

कल्पेश चौधरी ने अपने पिता के कारोबार को नई ऊंचाइयों तक पहुचाने के लिए कुछ नया करने की सोची. इसी कड़ी में इन्होंने सबसे पहले मौजूदा बाज़ार में एक बड़ी संभावना की तलाश करते हुए बिज़नेस चलाने के लिए आधुनिक तौर-तरीके सीखे. इसके बाद इन्होंने छोटे स्तर से डायमंड सप्लाई का कारोबार शुरू करते हुए उसे ऊँचाई तक पहुँचाया. वर्तमान समय मे कल्पेश के डायमंड ट्रेडिंग बिजनेस के एक साल का टर्न ओवर करोड़ों रुपयों तक पहुंच चुका है. यह बात भी अपने आप में एक बड़ी और अनोखी सफलता है.

कल्पेश आज अपने हौंसले ओर मेहनत के दम पर सभी सुख-सुविधाओं से पूर्ण खुशहाल जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं. इनकी शादी हो चुकी है और इस शादी से इन्हे दो बच्चे भी हैं. कल्पेश ने अपनी जिंदगी की राह में एक दिव्यांग व्यक्ति के द्वारा सामना करने वाली सभी चुनौतियों को बेहद ही करीबी से देखा और उन्हे सहायता प्रदान करने के लिए इन्होंने दिव्यागों के कल्याण के लिए एक सामाजिक संगठन की शुरुआत करने का फैसला लिया. कल्पेश चौधरी की सफलता हर उस व्यक्ति के लिए पढ़ने योग्य है जो अपनी जिंदगी में सफलता की चाह रखता है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

Explore more articles