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IRFAN RAZACK : एक छोटे से कपड़े की दुकान से 560 करोड़ का विशाल साम्राज्य स्थापित करने वाले एक साधारण व्यक्ति की कहानी

“जो आज में काम करता है, वही आगे राज करता है।”

SUCCESS STORY OF IRFAN RAZACK : हमारे देश के प्रधानमंत्री द्वारा नोट बंदी की घोषणा के बाद देश के बिज़नेस को गहरा झटका लगा था. जब नोटबंदी की घोषणा की गई तो बाज़ार के जानकार लोग यह अनुमान लगा रहे थे कि एक ऐसा बिज़नेस है जिस पर नोट बंदी का सबसे प्रभाव पड़ेगा ओर उससे रियल स्टेट बिज़नेस में खलबली मच जाएगी ओर वह पूरी तरह से तबाह हो जाएगा.

रियल स्टेट में उस समय इसका प्रभाव भी देखने को मिला ओर ज़मीन की कीमतों में एकदम से ही 20-30% तक की कमी हो गई थी. नोट बंदी के असर से किसी भी अन्य उद्योग की बुनियाद तो हिल सकती थी परंतु प्रेस्टीज एस्टेट्स प्रोजेक्ट के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर इरफ़ान रज़ाक (IRFAN RAZACK) के बिज़नेस पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ा.

63 वर्षीय इंटरप्रेन्यर ने नोटबंदी के मामले को एक अलग ही तरीके से हेंडल करने का निर्णय लिया. इनका अनुमान दूसरे जानकारों के अनुमान से बिल्कुल अलग था. इनके सिद्धांत के अनुसार रियल-एस्टेट का बिज़नेस एकमात्र ऐसा बिजनेस है जो कभी नीचे नहीं जाता और ज़मीन कभी भी नष्ट नहीं होती है.

हालांकी कुछ दिनों के लिए इस मार्केट में उथल-पुथल के साथ शिकायतों का दौर हो सकता है पर इस दौर के बाद जल्दी ही देश को इस बात का अहसास हो जाएगा कि रियल स्टेट हमेशा अपनी लागत से ऊपर का बिजनेस होता है और दूसरे क्षेत्रों में जहां पर मुनाफे का प्रतिशत एक अंक तक सीमित होता है.

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IRFAN RAZACK ने की क़ीमत बढ़ने की भविष्यवाणी

एक समय के पश्चात अधिकांश कंपनियां रेरा (रियल स्टेट रेगुलेशन ऐक्ट) के प्रावधानों का पालन करने में अक्षम साबित होंगी. और उस समय जब सप्लाई में कमी होगी तो ज़मीन की कीमत फिर से स्वयं ही ऊपर आएगी. उस समय रियल स्टेट से संबंधित लोग किसी दूसरे रज़ाक की इस टिपण्णी को तो एक बार ख़ारिज कर सकते थे परंतु यह टिप्पणी चूँकि इस क्षेत्र के ही किसी नामी-गिरामी व्यक्ति ने की थी, ऐसे में उसे एक सिरे से नजर अंदाज करना भी आसान नहीं था. क्योंकि उस समय तक वे अपने पिता के एक छोटे से कपड़े की दुकान को पीछे छोड़ते हुए रियल एस्टेट के बिजनेस के धुरंधर बन गए थे.

इस बिज़नेस आइडिया की शुरुआत पुराने बैंगलोर से ही हुई जहाँ पर इस समय प्रेस्टीज ग्रुप का हेड क्वार्टर्स स्थित है. इस हेड्क्वॉर्टर को वर्तमान समय में ‘फाल्कन हॉउस’ के नाम से जाना जाता है. फाल्कन बाज़ कहते है जो की एक ऐसा उग्र पक्षी है जिसकी दृष्टि पैनी होती है. यह एक लम्बी दूरी से भी अपने शिकार का पता लगा लेता है, ओर उसके बाद बड़े ही उत्साह के साथ उस शिकार पीछा करता है और सही कोण में यह अपनी दिशा बदलकर आख़िर में अपने शिकार को दबोच कर ही दम लेता है. ऐसी ही बाज़नुमा विशेषता प्रेस्टीज ग्रुप्स भी पिछले कुछ वर्षों से अपने कार्यक्षेत्र में दिखा रहा है.

इरफ़ान रज़ाक़ के पिता रज़ाक सत्तार ने 1950 में वर्तमान समय में प्रेस्टीज़ हेडक्वार्टर्स से बहुत कम दूरी पर ‘प्रेस्टीज शॉप फॉर मेन’ खोली थी. इस शॉप में उस समय थानों में कपड़े बेचे जाते थे इसी के साथ सिलाई की सुविधा भी दी जाती थी. उनकी यह दुकान अभी भी चल रही है. इसे वर्तमान समय में इरफ़ान के छोटे भाई नोमान चलाते हैं.

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IRFAN RAZACK के बिजनेस की शुरुआत

पहले यह दुकान बहुत छोटी हुआ करती थी पर अब इसका विस्तार कर इसे बड़ा कर दिया गया है. सत्तार के तीन बेटे हैं इरफ़ान, रिज़वान और नोमान. तीनों बेटे अपने पिता के काम में हाथ बटाते हैं. वे हमेशा से अपने ग्राहकों के साथ अच्छे संबंध रखते हैं ओर इसी कारण से उनका बिज़नेस लगातार सफलता की नई ऊँचाइयाँ छु रहा है.

इरफ़ान रज़ाक़ ने एक दलाल के रूप में अपने इस काम की शुरुआत की जिसमें वे खरीददार और बेचने वाले दोनो के बीच डील कराने में मदद करते थे. 1980 में जब उनका ग्रेजुएशन पूरा हुआ तब उन्होंने इसे विस्तार देते हुए बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में भी अपना हाथ आजमाया. उनका शुरू से ही यह सिद्धांत था कि वे अच्छी गुणवत्ता और अच्छी लोकेशन के साथ-साथ सही समय पर अपने ग्राहकों को मकान डिलीवर करते थे. इसी वजह से वे सुर्ख़ियों में भी आए.

स्थानीय लड़के होने की वजह से भी उन्हें अपने इस बिज़नेस को जमाने में मदद मिली. और इसी वजह से वे अपने 200 प्रोजेक्ट पूरा कर पाए. कुछ समय के लिए प्रेस्टीज बैंगलोर से संचालित तो होता था पर वास्तव में वह कहीं और से संचालित होता था. दो चीजें जो हमेशा से प्रेस्टीज के पक्ष में थीं पहला नसीब और दूसरा सुव्यवस्थित तरीके से आईपीओ की योजना.

इक्कीसवीं सदी की शुरुआत से ही बैंगलोर टेक्नोलॉजी का नया हब बन चुका था और उसी समय बहुत सी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां वहां पर अपने पैर जमा रही थीं. इसका मतलब साफ था कि वहां पर कोमर्शियल जगह की जरुरत थी और वहां पर काम करने वाले कर्मचारियो के लिए भी फ्लैट्स और घर की जरुरत थी. ओर जब आबादी बढ़ेगी तो उसके लिए शॉपिंग माल्स की जरुरत भी होगी. इन सभी अवसर का एक साथ आना नसीब की बात थी.

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IPO के द्वारा किए रुपए इकट्ठे

उनकी कंपनी का अगला कदम 2010 में आईपीओ के जरिये पैसे इकट्ठा करना था. कंपनी को 1200 करोड़ रुपये आईपीओ के द्वारा प्राप्त हुए जिसे मार्केट में इन्वेस्ट कर दिया गया. इससे पिछले तीन वर्षों में उनका लाभ 9.4% तक बढ़ गया और इस वजह से उनके बिज़नेस का विस्तार भी लगातार होता रहा. इस दौरान प्रेस्टीज ने न केवल मैसूर, कोची, हैदराबाद, चेन्नई, मैंगलोर में अपना बिज़नेस फैलाया बल्कि अहमदाबाद और पुणे में भी अपनी शुरुआत की.

इरफ़ान रज़ाक कहते हैं कि वित्तीय वर्ष 2015 उनके ओर उनके बिजनेस के लिए असाधारण रहा, पर अब वे यह कोशिश कर रहे हैं कि उसे बेचने के बजाय कमर्शियल एसेट्स के रूप में लीज पर दें. इससे उनका वार्षिक टर्न-ओवर ज्यादा हो सके.

इरफ़ान के परिवार की आने वाली सभी पीढ़ियों के लोग इनके इस बिजनेस का हिस्सा हैं. उनकी बेटी वर्तमान समय में कंपनी की डायरेक्टर हैं. रिज़वान के बेटे भी उनकी कंपनी में अपना हाथ बटाते हैं. उनकी कंपनी के 70% शेयर प्रमोटर्स के पास हैं फ़िलहाल इरफ़ान अपनी विरासत को बढ़ाने में लगे हुए हैं.

एक छोटे से कपड़े की दुकान से शुरुआत करते हुए इरफ़ान आज रियल एस्टेट बिज़नेस के क्षेत्र में टाइकून बन गए हैं. अगर कोई व्यक्ति अपने ऊपर भरोसा करे और लोगों के साथ लम्बे समय तक अच्छे संबंध बनाए रखे तो, चाहे आपके सामने कितना भी कठिन लक्ष्य क्यों न हो, वह पूरा हो सकता है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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