“चीजें खुद नहीं होतीं, उन्हें करना पड़ता है !!”
Success Story Of IAS Gunjan Dwivedi : यूपीएससी (UPSC) परीक्षा की कठिनाई के स्तर से हर वह केंडिडेट वाकिफ है, जो भी परीक्षार्थी यह परीक्षा देने और उसमें सफल होने की इच्छा रखते हैं वे यह बात भी भली-भांति जानते हैं कि इस परीक्षा को पास करने के लिए कम से कम एक से दो साल तक कठिन तपस्या करनी होगी, तभी उन्हें सफलता मिलेगी.
कई बार कठोर तपस्या के बावजूद भी अधिकतर केंडिडेटस को निराशा ही हाथ लगती है क्योंकि शायद उनके द्वारा तैयारी करने में कहीं कोई कमी रह जाती है. ऐसा ही कुछ हुआ लखनऊ की गुंजन द्विवेदी (IAS GUNJAN DWIVEDI) के साथ.
गुंजन द्विवेदी ने अपना ग्रेजुएशन खत्म करने के तुरंत बाद ही सिविल सर्विसेस की तैयारी करना शुरू कर दी. जिस समय इन्होंने तैयारी करना शुरू किया उस समय वे परीक्षा देने के लिये आवश्यक न्यूनतम आयु सीमा से कम थीं. ऐसी स्थिति में उन्होंने अपने इस समय का बेहतर इस्तेमाल करने के लिये परीक्षा की तैयारी करना ही उचित समझा.
दो साल तक लगातार अच्छे से यूपीएससी की तैयारी करने के बाद उन्होंने पहली बार पूरे आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दी लेकिन इनके द्वारा दिए गए पहले ओर दूसरे प्रयास में उनका प्री-परीक्षा में भी चयन नही हुआ. इस असफलता से गुंजन हताश तो हुई परंतु जल्द ही अपने परिवार और साथियों के सहयोग से दोबारा उठ खड़ी हुई.
नए आत्मविश्वास के साथ उन्होंने फिर से तैयारी करते हुए तीसरी बार फिर से प्रयास किया ओर इस बार उन्होंने सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए न केवल सफलता प्राप्त की बल्कि टॉप टेन में भी शामिल हो गई.
गुंजन की कहानी उन सभी यूपीएससी कैंडिडेट्स के लिये प्रेरणास्त्रोत है जो खूब मेहतन करने के बावजूद सफल न होने पर निराशा के गहरे समंदर में डूब जाते हैं जबकि वे यह जानते ही नही की इस परीक्षा में सफलता का दूसरा नाम ही निरंतरता है.
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IAS GUNJAN DWIVEDI का बचपन से सिविल सर्विसेस की और था रुझान
गुंजन के पिताजी एक रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर हैं और उनकी बड़ी बहन भी इनकम टैक्स ऑफिसर हैं, ऐसे में उन्हें अपने बचपन से ही सिविल सर्विसेस के बारे में पूरी जानकारी थी और यह भी पता था कि कैसे इस क्षेत्र में जाकर उनके द्वारा समाज के एक बड़े वर्ग के लिये काम किया जा सकता है.
इन सभी वजहों से उनका रुझान बचपन से ही यूपीएससी की तरफ हो गया था. कक्षा 12 की पढ़ाई ख़त्म करने के बाद जब उनके सामने अपना कैरियर चुनने की बारी आइ तो उन्होंने बकायदा रिसर्च करके और यूपीएससी के हिसाब से प्लान करते हुए अपने ग्रेजुएशन करने के लिये विषय चुना.
उनकी बड़ी बहन जो स्वयं भी उस समय यूपीएससी की ही तैयारी कर रही थी, उनसे भी गुंजन को इस बारे में बहुत मदद मिली. इसी क्रम में सिविल सेवा की और कदम बढ़ाते हुए उन्होंने दिल्ली के दौलत राम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स में डिग्री ली.
उस समय उनकी उम्र मात्र 21 साल थी तो ऐसी स्थिति में उन्होंने ख़ाली बेठने की बजाय यूपीएससी की तैयारी करने का निर्णय लिया. गुंजन द्विवेदी ने पोस्टग्रेजुएशन नहीं किया था और ग्रेजुएशन के तीनों साल अपने दिमाग में यूपीएससी परीक्षा को लक्ष्य रखते हुए ही जमकर पढ़ाई की. 2014 में ग्रेजुएशन कम्प्लीट करने के बाद उन्होंने अपना पहला अटेम्पट 2016 में दिया, ओर दूसरा अटेम्पट 2017 में.
गुंजन द्विवेदी अपने पहले दोनो प्रयासों में प्री परीक्षा तक पास नही कर पाई थी. किंतु इसके बाद अगले ही वर्ष 2018 में उन्होंने अच्छे से तैयारी करते हुए 9वीं रैंक हासिल करते हुए अपनी पिछली सारी असफलताओं को धो डाला.
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पिछली गलतियों से सिख ली
गुंजन ने एक इंटरव्यू में बताया कि मैंने जब अपने जीवन के प्रमुख चार साल देने के बाद भी जब प्री परीक्षा में असफलता का सामना किया तो उस समय एक बार निराशा तो हुई पर उनका परिवार और उनके दोस्त उनके प्रति इतने अधिक सहयोगी थे और इसी नाते वे उन्हें सदैव सकारात्मक सोच रखने पर जोर देते थे ओर इस कारण से वे अधिक समय तक असफलता का शोक नहीं मनाती थीं.
अपनी पुरानी कमियों से सिख लेते हुए वे दोबारा से तैयारी में जुट जाती थीं. यहां तक की तीसरी बार जब उन्होंने परीक्षा पास कर ली तब भी वह अंतिम परिणाम आने से पहले ही अपने चौथे प्रयास की तैयारी में जुट गई थीं और सिलेक्शन से पहले दो महीने तक प्री के लिये पढ़ रही थीं. उन्होंने अपने मन में यह तय कर लिया था कि चाहे जो हो जाए, वे चाहे जितनी बार असफल हों पर इसके बावजूद उन्हें यूपीएससी को किसी भी स्थिति में पास करना ही है.
उन्हें कम से कम तब तक नहीं रुकना है जब तक की उनके पास एक भी मौका बाकी है. गुंजन की ऐसी हिम्मत और जुनून के आगे सफलता भी आख़िर कब तक दूर भटकती, ओर आखिर तीसरे प्रयास में आ ही गिरी गुंजन की झोली में. तीसरे अटेम्पट का परिणाम आने पर उन्हें खुद नहीं यकीन हुआ कि वे यह रैंक भी ला सकती हैं.
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घर पर सेल्फ़ स्टडी से की तैयारी
गुंजन ने अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिये किसी प्रकार की कोई भी कोचिंग नहीं ली थी उन्होंने सिर्फ़ 6 या 7 महीने के लिये एक बार जीएस की तैयारी के लिए कोचिंग ज्वॉइन की थी. वहां पर मिलने वाले एनुअल नोट्स की सहायता से उन्होंने आगे की तैयारी स्वयं ही की थी. यूपीएससी की तैयारी के दौरान वे बेसिक्स क्लियर करने पर बहुत जोर देती हैं.
यूपीएससी की तैयारी की शुरुआत में सबसे पहले उन्होंने एनसीईआरटी की कक्षा 6 से 12 की सारी किताबें पढ़ डालीं उसके बाद वे लक्ष्मीकांत और स्पेक्ट्रम आदि पर आई. सिविल परीक्षा की तैयारी के लिए वे साफ सलाह देते हुए कहती हैं कि शॉर्टकट ढूंढ़ने की कोशिश कभी भी न करें.
गुंजन द्विवेदी का मानना है कि करेंट अफेयर्स आदि के लिए तो आप अपने अनुसार नोट्स बना सकते हैं पर बाकी सिलेबस को अच्छे से पूरी तरह से पढ़ें ओर किसी प्रकार से शॉर्टकट को न तलाशें. हालांकि तैयारी के दौरान कुछ हिस्से अगर आपको बिलकुल भी समझ नहीं आते तो आप उन्हें छोड़ सकते हैं.
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ऑनलाइन उपलब्ध है सम्बंधित कंटेंट
गुंजन कंटेंट के बारे में कहती हैं कि अब समय पहले से काफी ज़्यादा बदल चुका है. आज हर व्यक्ति के लिए आसानी से ऑनलाइन मैटीरियल उपलब्ध है जिसकी सहायता से आप घर बेठे बिना कोचिंग के भी तैयारी कर सकते हैं, फिर चाहे वो मेन्स की तैयारी हो या फिर इंटरव्यू की.
बस ऑनलाइन कंटेंट ढूँढते समय यह ध्यान रखे की बिना काम की चीजों में व्यर्थ ही अपना ध्यान न भटकायें. यूपीएससी की तैयारी के लिए हर दिन अखबार पढ़ें और न्यूज देखें. जो केंडिडेटस पहले ही सफलता हासिल कर चुके हैं, उनसे मिलें ओर उनसे उनके अनुभव पूछें.
अपने विवेक के अनुसार सबसे पहले सिलेबस को ठीक तरह से समझ लें और अच्छे से प्लानिंग करते हुए मनचाही किताबें इकट्ठी करके बस तैयारी करने बैठ जाए क्योंकि अंततः आपको अपने लिये ही पढ़ना है. जहां तक असफलताओं का सवाल है तो वह सफलता के रास्ते में आने वाली बाधा मात्र हैं पर अगर आपके इरादे अटल हो ओर विश्वास मजबूत हो तो सामने आने वाली कोई चुनौती कठिन नहीं.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…