“अगर आप Failure को Attention नहीं देंगे तो आपको कभी भी Success नहीं मिलेगी I”
IAS MAMTA POPAT SUCCESS STORY : गुजरात की रहने वाली ममता पोपट (IAS MAMTA POPAT) की यूपीएससी के सफर की कहानी बहुत ही उत्साहित करने वाली है. यूपीएससी का सफर ऐसा है जिसमे आपको हर कदम पर धैर्य बनाए रखना होता है क्योंकि यहा की बार आपको अनप्रिडेक्टिबल परिस्थितियों का सामना भी करना होता है.
ममता ने भी इस दौरान हमेशा संयम का परिचय दिया. इन्होंने कुल मिलकर पाँच बार यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा दी, ओर आखिर अपने पांचवे प्रयास मे वे यूपीएससी मे चयनित हो पाई. इससे पहले के चार प्रयासों मे वे तीन बार मेंस तक ओर एक बार इंटरव्यू राउन्ड तक पहुचकर भी चयनित नहीं हो पाई थी.
हालांकि अपने चोथे प्रयास के दौरान इंटरव्यू तक पहुचने के बावजूद चयनित न होने पर वे थोड़ी डिप्रेस्ड हो गई ओर उस समय उन्हे यह भी लगने लगा की शायद उनकी किस्मत मे आईएएस बनना लिखा ही नहीं है. उस वक्त उनके परिवार खास-तौर पर उनके पति ने उन्हे फिर से हिम्मत दी ओर यह समझाया की इस तरह से आखिर तक पहुचकर हार मानना अच्छा नहीं.
IAS MAMTA POPAT की यूपीएससी की प्रेरणा
ममता पोपट ने अपना ग्रेजुएशन केमिस्ट्री विषय में किया है इसके बाद उन्होंने जीएलएस यूनिवर्सिटी से एमबीए किया ओर जीआईडीसी में नौकरी कर रही थी. यहां पर उन्होंने चार साल तक काम किया. यहां पर नौकरी के दौरान एक दिन उनके बॉस जो कि स्वयं भी एक आईएएस अधिकारी थे ने उन्हें सिविल सर्विसेस की तैयारी करने के लिए कहा. अपने बॉस द्वारा उन्हे इस प्रकार प्रेरित करने के बाद उन्होंने सीरियसली होकर इस बारे में सोचा और इस तरह से इनकी यूपीएससी की तैयारी शुरू हुई.
ममता ने जब अपना यूपीएससी का पहला अटेम्पट दिया उस समय वे नौकरी भी कर रही थी. उनका ऑफिस उनके घर से काफी दूर था ऐसे मे सुबह नौ से रात आठ बजे तक घर के बाहर बीत जाता था और इस स्थिति मे उनको पढ़ाई के लिए बिलकुल समय नहीं मिलता था. अपने पहले प्रयास में ममता का प्री में भी सेलेक्शन नहीं हुआ उन्होंने शुरू मे इस परीक्षा को उतना कठिन नहीं समझा किन्तु अब उन्हे लगा कि यूपीएससी की परीक्षा कठिन है, ओर इसे नौकरी के साथ पास नहीं किया जा सकता.
ममता ने नौकरी छोड़ते हुए की यूपीएससी की तैयारी
केशोद की रहने वाली ममता ने अंततः अपना अंतिम निर्णय लेते हुए नौकरी छोड़ दी और दिन रात एक करते हुए परीक्षा की तैयारी में लग गई. यूपीएससी के दूसरे प्रयास में ममता का सेलेक्शन मेन्स में भी हो गया पर उन्हे इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया. इसके बावजूद ममता ने अपनी हिम्म्त नहीं हारी और एक बार फिर से तैयारी की.
अपने तीसरे प्रयास में एक बार फिर से ममता मेन्स तक पहुंची पर आगे नहीं जा पाई. यही वो समय होता है जब एक यूपीएससी कैंडिडेट अपना धीरज खोने लगता है. जब इतनी मेहनत और प्रयासों के बावजूद भी आपको सफलता नहीं मिलती तो बहुत दुख होता है.
ममता ने अपने यूपीएससी के दूसरे अटेम्पट की तैयारी के दौरान कोचिंग भी ज्वॉइन कर ली थी. यूपीएससी का चौथा अटेम्पट ममता के लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ जब प्री, मेन्स, ओर इंटरव्यू मे उनका सिलेक्शन होने के बावजूद उन्हे वेटिंग लिस्ट में रखा गया ओर इस तरह से अपने चौथी प्रयास मे आखिर तक पहुंचकर भी वे चयनित नहीं हुईं.
परिवार ओर पति ने डिप्रेशन से निकालने मे की मदद
अपने चौथे अटेम्पट में इंटरव्यू राउन्ड तक पहुंचने के बावजूद चयन न होने से ममता इस बार डिप्रेशन मे चली गई. अपने डिप्रेशन के बारे मे एक इंटरव्यू में ममता ने कहा कि इस दुख को केवल वही व्यक्ति समझ सकता है जो स्वयं भी इस स्थिति से गुजरा हो. जब सफलता के इतने पास आकर वह आपके हाथ से फिसल जाए तो ऐसे मे इंसान अंदर से हिल जाता है.
इस प्रयास के बाद ममता ने यह तय कर लिया कि वे अब यूपीएससी की परीक्षा नहीं देंगी लेकिन तभी उनके पति जो की इनके यूपीएससी के सफर में हमेशा से सबसे बड़े सहयोगी रहे ने आगे बढ़कर इस स्थिति मे उन्हें संभाला. उन्होंने ममता को समझाते हुए कहा कि इतना आगे आने के बाद अब उनके पास पीछे मुड़कर देखने का रास्ता ही नहीं बचा है. वे इस तरह से खुद को कम मानकर अपनी इतने सालों की मेहनत को व्यर्थ नहीं कर सकतीं. ममता के पति हार्दिक एक एमएनसी में काम करते थे, उन्होंने इतने सालों से सिर्फ ममता ही नहीं अपने घर को भी अब तक संभाला था.
ममता इस बारे मे कहती हैं मुझे इस बारे मे कुछ नहीं पता था की घर पिछले चार सालों से कैसे चल रहा था, क्योंकि इस दौरान मैं केवल पढ़ाई करती थी. ममता ने अपने पति के समझाने पर पूरी मेहनत के साथ यूपीएससी की तैयारी की ओर परीक्षा दी ओर इस बार ममता और हार्दिक को इतने सालों की तपस्या का फल भी मिला, जब साल 2017 में ममता ने 45वीं रैंक के साथ परीक्षा पास करने के साथ-साथ टॉप भी किया.
ममता अपने आखिरी अटेम्पट के बारे में याद करते हुए कहती है कि उस समय उनके प्री की परीक्षा में सिर्फ 15 दिन रह गए थे और वह इंटरव्यू देने के बाद यह सोच कर बेठी थी कि इस बार तो उनका सिलेक्शन होना ही है ऐसे मे अब आने वाली परीक्षा की प्री के लिए क्या पढ़ना किन्तु इसे संयोग कहे या विडंबना लो उनका इंटरव्यू के बावजूद सिलेक्शन नहीं हुआ.
उसी दौरान ममता जीपीएससी परीक्षा पास करके गुजरात में डिप्टी कलेक्टर के पद के लिए ट्रेनिंग कर रही थी.
IAS MAMTA POPAT की यूपीएससी कैंडिडेट्स को सीख
ममता का यूपीएससी कैंडिडेट्स को यही कहना है कि यूपीएससी में सफलता पान इतनी आसान नहीं. इसके लिए आपको एक स्ट्रेटजी बनाकर, दूसरी सभी बाते भूलकर दिन-रात केवल पढ़ाई करनी होगी तभी आपको इसमें सफलता मिलती है. ममता कहती है की आप टॉपर्स के इंटरव्यू देखें और उनसे सीखें किन्तु अपनी प्लानिंग करते समय स्वयं की क्षमताओंका भी ध्यान रखे. ममता गलतियों से भी जरूरी मानती हैं अपनी गलतियों पर काम करना.
यूपीएससी की तैयार के दौरान अपने हर प्रयास में मिली असफलता के बाद उन्होंने अपनी असफलताओ की वजह तलाशी और उन्हें दूर करने का प्रयास किया. वे कहती हैं कि अधिक से अधिक मॉक टेस्ट दें, ओर खूब प्रैक्टिस करें क्योंकि खाली पढ़ने से कुछ नहीं होता.
मॉक टेस्ट देने के बाद आप अपने उत्तर को मॉडल पेपर से मैच करें और देखें कि आप कहां पर क्या गलत कर रहे हैं, ओर अपनी गलती को तुरंत सुधारें. क्योंकि अपनी गलतियों को स्वीकार करते हुए उन्हें दूर करना इस परीक्षा में सफलता के लिए बहुत आवश्यक है. ममता कहती है की आपको तैयारी के साथ ही धैर्य रखना होगा और असफल होने पर कभी भी हिम्मत न हारें. अगर आपकी तैयारी आपका प्रयास सच्चा है तो देर से ही सही किन्तु आपको सफलता जरूर मिलेगी.
गुजराती मीडियम में परीक्षा देने के कारण उन्हे तैयारी के दौरान अपने जैसे साथी भी नहीं मिलते थे जिनसे की वे इस बारे मे चर्चा कर सकें ताकि उन्हे तैयारी में मदद हो सके. लेकिन अपने धैर्य, मेहनत और लगन से ममता ने निराशा के माहौल से निकलकर आखिर मे सफलता प्राप्त कर ही दम लिया, और अपने समाज मे सबके लिए प्रेरणा बन गई.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…