“तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे मेरा”
MANOJ BHARGAVA SUCCESS STORY : भारतीय वेदो और शास्त्रों में भी बताया गया है की मनुष्य को पैदा होने के बाद इसी धरती के संसाधनों से आय अर्जित करनी है. और पुनः इसी को सब कुछ लौटा देना चाहिए, जो इंसान इस मार्ग को अपनाते हुए चलता है और अपनी संपत्ति में से कुछ हिस्सा समाज के उत्थान के लिए खर्च करता है उसे मरने के पश्चात स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कोई मनुष्य अपनी अर्जित धन-संपंदा का 99 फीसदी हिस्सा केवल एक चैलेंज के रूप में दान कर दे जी हां कुछ ऐसा ही किया है आज की कहानी के सच्चे नायक मनोज भार्गव (MANOJ BHARGAVA) जिन्होंने काम करते समय पूरी शिदत के साथ किया वही जब दान करने की बारी आयी तब भी बिना एक पल सोचे अपनी पूरी संपत्ति का 99 प्रतिशत हिस्सा सामाजिक सरोकार और उत्थान में लगा दिया.
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जानिये पूरी कहानी सच्चे नायक मनोज भार्गव की –
मनोज भार्गव का जन्म उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था, इनके व्यवसायी पिता जिनका की अमेरिका में प्लास्टिक का बहुत बड़ा व्यापार था. वर्ष 1967 में वे अपने माता-पिता के साथ फिलाडेल्फीया, अमेरिका चले गए.
मनोज भार्गव की सारी शिक्षा अमेरिका में ही हुई जहा उन्होंने हिल स्कूल, पोटस्टाउन से स्कूली शिक्षा प्राप्त की एवं प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अपनी ग्रैजुएशन की लेकिन अपनी पढाई को बीच में ही अधूरी छोड़ वे भारत लौट आये.
भारत आकर उन्होंने सबसे पहले 12 वर्षो तक भारत दर्शन किया जहा उन्होंने अपना ज्यादतर समय “हंसलोक आश्रम” एवं उसके स्वामित्व वाले मठो में व्यतीत किया, शायद यही वजह रही होगी की जब उन्हें अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा दान करने की बारी आई तो उन्होंने बिना सोचे तुरंत प्रभाव से सारी संपत्ति को एक झटके में दान कर दिया.
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इसके साथ ही भारत भ्रमण करते समय उन्होंने कई सारे काम भी किये जिसमे उन्होंने कंस्ट्रक्शन लाइन में काम करते हुए – मजदूरी, ड्राइवर, क्लर्क, अकाउंटेंट आदि सभी तरह के कार्य किये.
इसके बाद मनोज भार्गव पुनः पिता के प्लास्टिक के बिज़नेस को संभालने के लिए अमेरिका लौट गए यहाँ भी उन्होंने पूरी लगन के साथ काम करते हुए पिता के बिज़नेस को कुछ ही समय में एक नयी ऊंचाइयों पर ले गए, इसमें उन्होंने कई सारी कंपनी को टेक ओवर और मर्ज भी किया.
किन्तु अचानक एक दिन मनोज भार्गव ने पिता से प्लास्टिक बिज़नेस से हटने का फैसला सुनाते हुए अपना खुद का नया रासायनिक बिज़नेस खोलने की बात रख दी, पिता भी पुत्र की मेहनत और लगन को जानते थे अतः मना नहीं किया.
इसके बाद मनोज ने सबसे पहले अपना एक पेय प्रोडक्ट वर्ष 2004 में “फाइव ऑवर एनर्जी ड्रिंक” लांच किया, यह एनर्जी ड्रिंक का व्यवसाय लिविंग एसेंशियल LLC के अन्तर्गत आता है. इस प्रोडक्ट ने अमेरिका में धूम मचाते हुए एक ही साल में लगभग 1.25 अरब डॉलर की कमाई कर रिकॉर्ड बना डाला.
वर्ष 2012 तक आते आते उन्होंने अपना नाम अमेरिका के अरबपतियों की सूची में लाकर खड़ा कर दिया था, यह वह समय था अमेरिका के ही एक और अरबपति और माइक्रोसॉफ्ट के मालिक ‘बिल गेट्स’ ने दुनिया के सामने अपनी संपत्ति को दान करते हुए सभी को एक चैलेंज दिया था की “आओ एक कदम आगे बढ़ा कर समाज के लिए कुछ नए सरोकारों का काम करते हुए अपनी संपत्ति का एक हिस्सा दान करे”.
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मनोज भार्गव ने भी चैलेंज को स्वीकार करते हुए अपनी विपुल संपत्ति का 99 फीसदी हिस्सा दान में देते हुए, “स्टेज टू इनोवेशन” (S2E) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य नई तकनीक वाले उद्योगों के व्यावसायीकरण में मदद और उनके सशक्तिकरण पर भी बल देना था इसके साथ ही यह संस्था लोगों को व्यावहारिक बिज़नस के तरीके बताती है और उन्हें चलाने में मदद करती है. जरुरत पड़ने पर नए व्यवसायी और नए तरीकों को बाजार में सफल बनाने के लिए भी सपोर्ट करती है. उनके ऐसे बहुत से प्रोजेक्ट हैं जो सच में संसार को बदलने की ताकत रखते हैं.
मनोज भार्गव के ऐसे तो सामाजिक सरोकारों की लिस्ट बहुत लम्बी है किन्तु उनमे से कुछ पॉपुलर कार्यो की एक झलक देखे –
1. कैलिफोर्निया में सूखे को देखकर मनोज भार्गव की S2E टीम ने “द रेनमेकर” नाम के एक सरल टूल का अविष्कार किया जिसके द्वारा केवल एक घंटे में 1000 गैलन समुद्री जल को शुद्ध किया जाता है. इसका उपयोग पीने के लिए और खेती के लिए किया जाता है.
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इसमें जिस तकनीक का यूज़ किया गया है उसमे ग्रेफीन कार्बन अपरूप से बनी द्वि-आयामी, परमाण्विक-माप की, षट्कोणीय लैटिस होती है. इसमें ग्रेफाइट के तार वाली एक श्रृंखला होती है जो प्लैनेट-केंद्र से ऊष्मा को सतह तक प्रदूषण मुक्त तरीके से ले आती है.
2. फ्री इलेक्ट्रिक हाइब्रिड बाइक यह – एक अचल बाइक है जो एक घंटे पैडलिंग करने पर पूरी 24 घंटे तक के लिए प्रदूषण मुक्त उर्जा उत्पन्न करती है. 2016 में सबसे पहले 50 बाइक उत्तराखंड के 15 से 20 छोटे गांवों में देने की योजना बनाई गई थी. उसके पश्चात बड़े स्तर पर लगभग 10,000 बाइक देने की योजना को मूर्त रूप दिया जा चूका है.
3. मनोज भार्गव की बनाई गई एक डॉक्युमेंट्री में हमारे जीवन में बिजली की महत्ता बताई गई है.
अंत में जाते जाते मनोज भार्गव के कुछ कथन जो स्वयं उन्होंने जब अपनी अचल संपत्ति को दान किया तब कहे थे – “अगर आपके पास धन है, तो यह आप का कर्तव्य है कि जिनके पास नहीं है उनकी सहायता करें”.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…