“कहते हैं ना सपने सच जरूर होते हैं, बस आपके अंदर उन्हें पूरे करने का जज़्बा और जुनून होना चाहिए.”
SUCCESS STORY OF MIKE LINDELL : सपनो के बारे में अक्सर कहा जाता है की सपने वही होते है जो एक व्यक्ति द्वारा जगती आँखो से देखे जाते है. परंतु आज हम जिस व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे है उस व्यक्ति को उनके सपने ने ही अरबपति बना दिया.
अब आप कहोगे की कैसे एक सपना किसी व्यक्ति को कैसे एक अरबों रुपए की कंपनी का मालिक भी बना सकता है? अगर आपको यह बात नामुमकिन लग रही है तो आप पूरी तरह से गलत हैं क्योंकि अमेरिका के माइक लिंडेल (MIKE LINDELL) ने सपने देखने के दौरान मिले एक आइडिया को करोड़ों की कंपनी में तब्दील कर दिया और इस तरह से वे बन गए दुनिया के ‘पिल्लो किंग’.
MIKE LINDELL का जन्म ओर बचपन
माइक लिंडेल का जन्म अमेरिका के मंकतो, मिनेसोटा में हुआ था. लेकिन उनका अधिकांश जीवन चस्का नाम के शहर में ही बीता था.
माइक के साथ उनके बचपन से ही एक परेशानी थी ओर वह यह थी कि उन्हें अक्सर सोने में बहुत परेशानी होती थी, क्योंकि वो अपने तकिये को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे. ऐसा इसलिए क्योंकि उनका तकिया आरामदायक नही था ओर इस कारण से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती थी.
एक रात को माइक लिंडेल अपने घर पर सो रहे थे की तभी अचानक से सोते वक़्त उनकी नींद टूट गई और उन्होंने अपने घर के हर कोने में ‘मायपिलो’ लिख दिया. और इस प्रकार से उनके घर से ही उनके बिजनेस की शुरुआत भी हुई.
माइक लिंडेल ने तकिए से हो रही प्रॉब्लम के बारे में सोचा ओर यह महसूस किया की जब उन्हें इस छोटी सी चीज़ से इतनी ज़्यादा तकलीफ होती है तो दुनियाँ में ऐसे और भी लोग जरूर होंगे जिन्हें भी उन्ही की तरह से सोने में तकलीफ़ होती होगी.
इस बारे में काफ़ी सोच-विचार करने के बाद माइक लिंडेल के मन में सबके लिए आरामदायक तकिया बनाने का जुनून सवार हो गया. और उनके उसी जुनून की वजह से आज उन्हें पूरी दुनिया ‘पिल्लो किंग’ के नाम से जानती है.
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राह में आइ बहुत सारी मुश्किलें
आपको पिल्लों के बारे में सुनने में बहुत आसान लग रहा होगा की इसमें कौनसी बड़ी बात है किंतु असल में यह बिल्कुल भी आसान नहीं था. ‘मायपिल्लो’ कंपनी के सक्सेस से पहले माइक लिंडेल की ज़िन्दगी में कई प्रकार के उतार चढ़ाव आये भी आए. एक समय ऐसा भी था जब लिंडेल सिर्फ़ अपनी पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए दो-दो नौकरी करते थे.
माइक लिंडेल को उस समय यह लगा की पढ़ाई में वह अपना समय बर्बाद कर रहे हैं. इसलिए उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर नौकरी ज्वाइन कर ली. लेकिन नौकरी करने के दौरान ही एक दिन उनका झगड़ा उनकी कंपनी के मैनेजर से हो गया और इस वजहस ए उन्हें नौकरी से बाहर निकाल दिया गया. इस बेइज्ज़ती के बाद उनके अंदर खुद का एक कुछ करने की ललक पैदा हो गई.
बहुत से कामों में हो चुके है नाक़ाम
माइक लिंडेल ने नौकरी से निकाल दिये जाने के बाद कई बिजनेस में हाथ-पैर मारे. उन्होंने इस दौरान कार्पेट क्लीनिंग के बिज़नेस से लेकर सूअर पालन तक में अपने हाथ आजमाए. लेकिन उन्हें किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिली और इन कामों में उनकी जो भी बचाई हुई कमाई थी वह भी डूब गई. पैसे ख़त्म होने के बाद उन्होंने एक बार में बारटेंडर की नौकरी शुरू की और यहां पर उन्हें ड्रग्स की बुरी लत लग गई.
ड्रग्स की लत ने ज़िंदगी बर्बाद कर दी
बार में नौकरी करने के दौरान माइक लिंडेल को ड्रग्स की बहुत बुरी लत लग गई ओर उसकी वजह से वह दिन-रात नशे की हालत में ही रहने लगे. इस वजह से माइक लिंडेल का उनकी पत्नी के साथ तलाक भी हो गया और वह इस तरह से वे अपना घर भी गवा बैठे. इस तरह से पूरी तरह से बर्बाद होने के बाद माइक लिंडेल को फिर से सामान्य होने में करीब 10 महीने का वक़्त लगा.
2009 में एक पार्टी के दौरान माइक लिंडेल ने आखिरी बार नशा किया. उसके बाद उन्होंने अपनी कोकीन और शराब की लत को सदा के लिए अलविदा कर दिया ओर उसी के साथ अपना पूरा फोकस सिर्फ़ अपने बिज़नेस पर लगा दिया.
2011 में एक स्थानीय समाचार पत्र ने माइक लिंडेल की कंपनी के बारे में छापा था और उसके आधार पर एक स्टोर नें उन्हें अपना रिटेल स्टोर खोलने की पेशकश की. किंतु माइक लिंडेल के पास उस समय स्टोर खोलने के लिए पैसे नही थे ओर इस वजह से उन्होंने कही से 97000 हजार (15000) डॉलर का क़र्ज़ लिया और उसके बाद अपना पहला स्टोर खोला.
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मात्र 6 साल में कंपनी 2000 करोड़ की हुई
किसी समय सिर्फ़ पांच कर्मचारियों के साथ शुरू हुई माइक लिंडेल की कंपनी में अब कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 500 से ज़्यादा हो गई. उनकी कंपनी ‘मायपिलो’ (my Pillow) सालाना करीब तीन करोड़ से ज़्यादा तकिये बेचती है. उनका सालाना टर्नओवर करीब 2000 करोड़ से भी अधिक का हो गया है.
माइक लिंडेल ने इसके अलावा समाज कल्याण के उद्येश्य को ध्यान में रखते हुए लिंडेल फाउंडेशन की स्थापना भी की है. लिंडेल फाउंडेशन के प्लेटफॉर्म से हर तरह के सामाजिक मुद्दों पर आवाज उठाई जा सकती है. यह लोगों को गारंटी देता है कि दान की गई सौ प्रतिशत राशि उन लोगों को सीधे जाती है, जो सभी प्रकार के ओवरहेड और प्रशासनिक लागतों का भुगतान करते हैं.
लिंडेल फ़ाउंडेशन में देने वाला, उन व्यक्तियों का चयन कर सकते हैं, जिन्हें वे सहायता प्रदान करना चाहते हैं और सीधे उनसे संपर्क भी कर सकते हैं. अगस्त 2017 में तूफान हार्वे से प्रभावित लोगों की मदद के लिए भी लिंडेल फाउंडेशन ने काफी काम किया था.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…