“ऐसी मेहनत ही क्या,जिसमे सपने मजबूर ना सच होने के लिए”
SUCCESS STORY OF SATYENDRA GUPTA : आज की सफलता की कहानी राजस्थान के एक छोटे से गाँव के रहने वाले सत्येंद्र गुप्ता (SATYENDRA GUPTA) की है जो की बहुत ही साधारण बैकग्राउंड से आते है किंतु इन्होंने अपने एक छोटे से आइडिया के दम पर सालाना 2.5 करोड़ से ज़्यादा का टर्नओवर करने वाली कम्पनी तक का सफ़र तय किया है.
SATYENDRA GUPTA का का जन्म ओर शिक्षा
सत्येंद्र गुप्ता राजस्थान के एक छोटे से गाँव रामपुरा में जन्में और पले-बढ़े है ऐसे में उनके परिवार की किसी प्रकार की कोई व्यावसायिक पृष्ठभूमि भी नहीं थी. इस स्थिति में इनके सामने विरफ एक ही विकल्प था ओर वो यह कि वे जल्द से जल्द अपनी पढ़ाई पूरी करे ओर एक अच्छी नौकरी करे. ऐसे में किसी व्यवसाय को चलाने या फिर उद्यमी बनने की बात तो उनके मन में दूर-दूर तक नहीं थी.
सत्येंद्र द्वारा अपनी कंपनी की शुरुआत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा की कुछ दोस्तों और बनिया पड़ोसियों के प्रभाव के कारण से उनके मन में भी खुद का कारोबार शुरू करने की इच्छा शुरू हुई. सत्येंद्र अपने बचपन से ही पत्थर खेल के दौरान दूसरे प्रतिभागियों से जीते हुए हर किसी के पत्थर जीतने के बाद उसे ही वापस बेच दिया करते थे. इसके अलावा सत्येंद्र संक्रांति के दौरान कटे पतंग लूटते ओर उसे भी बेच देते थे.
सत्येंद्र ने अपनी स्कूल की पढ़ाई अपने गाँव से ही पूरी की ओर स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने अपने ग्रेजुएशन लेवल की पढ़ाई के लिए आर्ट्स कला-विज्ञान का चूनाव किया ओर आगे की पढ़ाई के लिए ही इन्हें पहली बार अपने गांव से बाहर शहर जाने का मौका भी मिला. सत्येंद्र ने अपनी ग्रेजुएशन तो पूरी कर ली किंतु उसके बाद भी अंग्रेजी नहीं बोल पाने की वजह से इन्हें कहीं पर भी नौकरी नहीं मिल पाई.
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नौकरी की तलाश में किया दिल्ली का रुख़
बहुत तलाश के बाद अंत में इन्होंने जॉब की तलाश के लिए अपना रुख़ दिल्ली की ओर करने का फैसला किया. दिल्ली में भी इन्हें इसी दिक़्क़त का सामना करना पड़ा ओर उन्होंने दिल्ली पहचने के बाद सबसे पहले अपनी अंग्रजी सुधारी और उसके बाद इनफ़ोसिस कंपनी में एक साल तक काम किया. दिल्ली में एक साल तक काम करने के बाद इन्होंने अपना रुख़ हैदराबाद की और करते हुए कारोबारी जगत में कदम रखा.
हमारे देश में वर्तमान समय में मौजूद लगभग 36 मिलियन माइक्रो, स्मॉल, एवं मध्यम उद्यमों को लुभाने के लिए कई देशी एवं विदेशी कंपनियां इन्हें ई-कॉमर्स प्लेटफार्म मुहैया कराने के लिए तैयार खड़े है. इस हिसाब से देखें तो वर्तमान परिदृश्य में अपने कारोबार को ज्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए इन्टनेट और सूचना प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल करना मज़बूरी के साथ-साथ जरुरी भी हो गया है. छोटे कारोबारियों की इन्हीं मज़बूरी को बहुत ही करीब से भांपते हुए हैदराबाद की एक स्टार्टअप कंपनी अपने ऑफ़लाइन विपणन को मजबूत करते हुए बाज़ार में उपस्थित छोटे व्यवसायों को व्यापक ग्राहक आधार तक पहुंचने में उनकी मदद कर रही है.
वर्तमान समय में हमारे आस-पास चारों ओर अपर कारोबार की संभावनाएं उपस्थित है. अगर इस बारे में सिर्फ़ बाजार क्षेत्र में ही देखें तो यहाँ उपस्थित चाय विक्रेताओं, मोबाइल शॉप मालिकों, ब्यूटी पार्लर मालिकों, एलआईसी एजेंटों से लेकर कई प्रकार के अन्य छोटे-छोटे व्यवसायिक आपको मिल जायेंगें. सत्येंद्र गुप्ता ने भी इन्हीं छोटे कारोबारियों पर अपना सम्पूर्ण ध्यान केंद्रित करते हुए क्रिएटिव फ़ोर्स कम्युनिकेशन नाम से अपनी स्वयं की एक एडवरटाइजिंग फर्म की शुरुआत की.
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SATYENDRA GUPTA की शुरुआत
सत्येंद्र गुप्ता इस बारे में बताते हैं कि वे अपनी एडवरटाइजिंग कंपनी के बैनर तले अपने ग्राहकों से डिजाईन से संबंधित समाधानों के बदले में उनसे प्रीमियम शुल्क लेते थे. इस दौरान इन्होंने कई बार देखा कि इनके कई ग्राहक अपने लेटरपेड या बिजनेस कार्ड के लिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा 100 रुपये तक ही देना चाहते थे किंतु यह सम्भव नही था किंतु ऐसी स्थिति में इन्होंने ग्राहकों को इनकार न करते हुए यह सोचा कि क्यों न वे एक डिजाइन फर्म की स्थापना करे, जहाँ पर हर किसी व्यवसायी को कम खर्चे में उसके द्वारा चाही गई चीजों के लिए बेहतर सेवा प्रदान की जाई जा सके.
सत्येंद्र गुप्ता ने अपने इस आइडिया को मूर्त रूप देते हुए अपनी विज्ञापन एजेंसी के माध्यम से 10 लाख रुपये की पूंजी के साथ प्रिंटएशिया (printasia.in) नाम से एक नई कंपनी की स्थापना की. सत्येंद्र ने इसके लिए रात-रात भर जग कर अपनी ई-कॉमर्स वेबसाइट को मूर्त रूप दिया और इस प्रकार से इन्होंने ऑनलाइन कारोबार की शुरुआत की. ऑनलाइन बिजनेस के द्वारा पहला ऑर्डर प्राप्त हुआ तो ये बहुत उत्साहित हुए लेकिन जल्द ही इनकी यह उत्सुकता समाप्त हो गई क्योंकि इनका पहला ऑर्डर केवल 149 रुपये का था.
लेकिन इसके बावजूद इन्होंने हार नहीं मानी और स्थानीय बाजारों का दौरा करते हुए मसाले के पैकेट और अचार जारों के लेबल पर मौजूद फोन नंबरों की एक लिस्ट बनाई. लिस्ट बनाने के बाद सत्येंद्र ने हर स्थानीय निर्माताओं को फोन कर उनके उत्पाद लेबल के लिए अपने प्लेटफ़ॉर्म के द्वारा नए डिजाइनों की ओर विश्वास दिलाया. लेकिन इसके शुरुआती समय में इनके द्वारा तमाम लोगों को ग्राहकों में परिवर्तित करने के लिए इन्हें कई सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
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प्रिंटएशिया (PRINTASIA.IN) को मिला पहला ऑर्डर
सत्येंद्र गुप्ता द्वारा शुरू की गई इस कम्पनी की शुरुआत भले ही 149 रुपये के पहले आर्डर से हुई किंतु इसके बावजूद इनकी कंपनी ने पिछले वर्ष 19 लाख रुपये का टर्न ओवर किया और अब तक इन्होंने लगभग 5,500 से ज़्यादा ग्राहकों को अपनी सेवाएं प्रदान की है.
एमएसएमई (MSME) को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी माना जाता है, किंतु इसके बावजूद एक सच यह भी है कि यह क्षेत्र आज भी पूर्ण रूप से असंगठित ही है क्योंकि इससे जुड़े हुए कई व्यवसाय छोटे, अपंजीकृत और असुविधाजनक हैं. सत्येंद्र ने इसी क्षेत्र में बड़ी संभावनाओं को देखा ओर बहुत ही छोटे स्तर से शुरुआत करते हुए एक सफल कारोबार खड़ा किया.
अपडेट: सत्येंद्र गुप्ता द्वारा स्थापित प्रिंटएशिया ने जुलाई 2020 तक 2 लाख से भी ज्यादा ग्राहकों को अपनी सेवा प्रदान की है ओर इनकी यह कंपनी वर्तमान समय में 2.5 करोड़ से ज़्यादा का टर्नओवर कर रही है.
ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके.
तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…