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RADHAKISHAN DAMANI – पिता की मृत्यु के बाद दो भाइयो ने मिलकर खड़ा किया करोड़ो का रिटेल कारोबार, अम्बानी, टाटा और बिरला को भी पीछे छोड़ा

“सफल व्यक्ति वह है जो हर परिस्थिति के अनुसार अपने निर्णय लेने की क्षमता रखता है”

RADHAKISHAN DAMANI SUCCESS STORY : जब भी हम अपने देश के अरबपतियों की चर्चा करते है उस समय सभी के जहन में कुछ चुनिंदा नामो के अलावा अन्य नाम जबान पर भी नहीं आते या फिर वे शायद उनसे इतना रूबरू भी नहीं है.

आज हम जिस कारोबारी की बात करने जा रहे है उसने अपने एक आईडिया और सटीक रणनीति के चलते अपने रिटेल कारोबार ‘डी-मार्ट’ को शुरू करते हुए देश में मौजूद अन्य रिटेल कारोबारियों तथा अंबानी के रिलायंस रिटेल स्टोर, बिरला परिवार के रिटेल ग्रुप आदि को बड़ी तेजी के साथ पटखनी देते हुए अपना डंका बजाया है.

आज राधाकृष्ण दमानी (RADHAKISHAN DAMANI) का रिटेल स्टोर ‘डी-मार्ट’ देश के अलग-अलग 45 शहरों में 118 से ज्यादा स्टोर के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज करवाए हुए है, इसमें में भी सबसे बड़ी मजेदार बात यह है की राधाकृष्ण दमानी जहा भी अपना नया स्टोर खोलते है, उस जगह को भी वे खरीद लेते है जिससे किराये में होने वाले बड़े खर्च से बचा जा सके शायद यही इनकी सफलता का सबसे बड़ा राज है.

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RADHAKISHAN DAMANI के CARRIER की शुरुआत

राधाकृष्ण दमानी ने अपने बिज़नेस करियर की शुरुआत अपने पिता के बेयरिंग बिज़नेस में हाथ बटांते हुए की थी, जहा वे अपने पिता के साथ शॉप पर जाया करते थे और वहा पर काम की बारीकियां सीखा करते थे, लेकिन अचानक ही एक दिन उनके पिता का देहांत हो गया और उनके परिवार की स्थति इस कारण से धीरे-धीरे से बदतर होती रही.

उस समय उनके बड़े भाई राजेंद्र दमानी ने इनका साथ दिया और दोनों भाइयो ने मिलकर इंडियन शेयर मार्किट में स्टॉक ब्रोकिंग का काम शुरू किया.

राधाकृष्ण दमानी को इस फील्ड का कोई भी पूर्व अनुभव नहीं था फिर उन्होंने इस काम में महारत हासिल करने के लिए अपने से बड़े एक बुजुर्ग आदमी से इसकी बारीकियां सीखते हुए सफलता के झंडे गाढ़े, राधाकृष्ण दमानी ने एक ही कंपनी सेविंग ब्लेड बनाने वाली कंपनी “जिलेट” में अपना पैसा निवेश करना शुरू किया और देखते ही देखते हुए वे करोड़पति बन गए.

लेकिन अपने जीवन की शुरुआत से ही राधाकृष्ण दमानी स्वयं का कुछ काम करना चाहते थे, इस चाहत में उन्होंने खुदरा कारोबार करने की सोची और वर्ष 2000 में छोटे और खुदरा व्यापारियों से बात-चीत करते हुए इसकी शुरुआत करते हुए “एवेनुए सुपर लिमिटेड” के बैनर तले “डी-मार्ट” रिटेल स्टोर को स्टार्ट किया.

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BUSINESS में शुरुआती दिक्कते

राधाकृष्ण दमानी को इस काम में कुछ शुरूआती दिक्कतों का सामना करना पड़ा किन्तु इसके बाद इस काम में धीरे -धीरे सफलता मिलनी शुरू हो गयी.

इसके साथ ही उन्होंने अपने कॉम्पिटिटिव बिज़नेस जैसे रिलायंस और आदित्य बिरला ग्रुप जो पिछले एक दशक से ज्यादा समय से इस कारोबार में थे उनको मात देने के लिये एक नयी प्लानिंग के साथ कार्य किया जो की बेहद सफल भी रहा.

उनकी इस रणनीति में शामिल था की वे जहा भी अपना नया स्टोर ओपन करते उस जगह को वे सबसे पहले खरीद लिया करते थे जिस वजह से अपने प्रोडक्ट की कीमत को कम भी रख पाते थे और साथ ही किराए में खर्च होने वाले बड़े पैसो को भी बचा लिया करते थे.

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सालाना टर्नओवर 50000 करोड़ से ज़्यादा

उनकी इस रणनीति में शामिल था की वे जहा भी अपना नया स्टोर ओपन करते उस जगह को वे सबसे पहले खरीद लिया करते थे जिस वजह से अपने प्रोडक्ट की कीमत को कम भी रख पाते थे और साथ ही किराए में खर्च होने वाले बड़े पैसो को भी बचा लिया करते थे.

राधाकृष्ण दमानी की दूरदर्शिता का ही परिणाम है की आज उनके साथ काम करने वाले सभी कर्मचारी भी लखपति और करोड़पति बन चुके है, इसके साथ ही आज उनके डी-मार्ट का वार्षिक टर्न ओवर बढ़ कर 50,000 करोड़ से ज्यादा तक जा पंहुचा है, जो की बड़े-बड़े बिज़नेस कारोबारियों से कही ज्यादा है.

राधाकृष्ण दमानी ने अपनी कंपनी का आईपीओ (IPO) भी जारी किया था जिसे भी मार्किट से अविश्वनीय रिस्पांस मिला और मात्र 229 मूल्य वाला शेयर ओपन होते ही 641 रुपये तक जा पंहुचा. 

अंत में राधाकृष्ण दमानी की कहानी नए कारोबारियों को एक सही दिशा में प्रयास और सटीक रणनीति के तहत काम करने की प्रेरणा देती है. साथ ही अपनी इसी कार्यशैली से बरसो पुराने दिग्गजों को भी पटखनी दे सकते है इसके लिए आप के आईडिया में नयापन और दूरदर्शिता बेहद जरुरी है.

ओर एक बात ओर आप इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को शेयर करे ताकि लोग इससे प्रेरणा ले सके. 

तो दोस्तों फिर मिलते है एक और ऐसे ही किसी प्रेणादायक शख्शियत की कहानी के साथ…

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